रिहेल्वर रानी से पेहेल लोहे की चिंगारी गीत: गीत गोरिशा, समीरा, मंजेरा और केका घोषाल ने गाया है जिन्होंने इसे खूबसूरती से गाया था। यह गीत संगीतकार संजीव श्रीवास्तव द्वारा एक महान रचना है।
रिवाल्वर रानी (Revolver Rani )
पहले लोहे की चिंगारी (Pehle Lohe Ki Chingaari ) सांगकी लिरिक्स (Lyrics Of Pehle Lohe Ki Chingaari )
पहले लोहे की चिंगारी चमकी हाय मृत्यु जाएगी कोहरे से दोहरी है धरती अँधियारे ने अग्नि दागी मानव धड़ और गर्दन खून की पिचकारी छितराये जो भी ललकारे जान-नइ को एक
मारे जाने का दिन है यह मृत्यु मारे है किलकारी मटकी से सर फट-ते जाएँ बहती रक्तों की पिचकारी चाट चाट चाट सबको देखो रणचंडी वह ताक बिछाए सौ हाथों की
भूख से ****** को देखो वह मृत्यु का जनम कराएं साड़ी गर्भवती बन्दूकें करके धान्य धान्य चिल्लाएँ मौतें चीखें मुट्ठी बांधे लोहा लोहे केहता जाए सन्नाटे
घन घन करके गरजे लोहा घन घन गोले बरसे लोहा निकला कैसे चीरे देखो जलते धड़के सर से लोहा डर के मारे अम्बर ऊँचा ऊंचा ऊंचा होता जाए क़दमों से यूँ धूल उड़े
पागल हाथी जैसी डोले मृत्यु चिंघाडे और बोले कट गयी सारी रक्त शिराएं सबका खून उबल कर खुले दम खम लेकर वीर लाडे हैं घायल होकर भी लाडे हैं सर कट जा
आँखों में जो खून भरेगा सारा लाल लाल निकलेगा आँखें बंद करो और बांटो वर्ना जान माल निकलेगा दर के धरती बोल रही है डर जाऊंगी बोल रही है लाशों का अंबार क
हर नस में ****** भरा है और साँसों में काल भरा है मेरी बू से धरती सारी और आधा पातळ भरा है निखरे मुण्ड लुंड भी देखो रक्तिम गहरा कुण्ड भी देखो गिद्धों क
तप के हवा के पद गए छाले तलवारों से छिल गयी काय जीवन के तारों पे देखो मृत्यु ने संगीत बजाया जल गए ज़िंदा कितने मानव गाँव को भी जल जाने दो जंगल के सा
लाशें ऐसी छितरि बिखरी गिद्धों की बुद्धि चकराई मांस के लोथड़े ऐसे फैले मृत्यु को भी ******* आये फिर भी उसने जबड़े खोले साँसों को भी चबा लिया है बर्बादी के