Roz Shaam Aati Thi Magar Aisi Na Thi Lyrics of Imtihaan (1974) is penned by Majrooh Sultanpuri, it's composed by Laxmikant and Pyarelal and sung by Lata Mangeshkar.
इम्तिहान (Imtihaan )
रोज़ शाम आती थी मगर ऐसी न थी की लिरिक्स (Lyrics Of Roz Shaam Aati Thi Magar Aisi Na Thi )
रोज़ शाम आती थी मगर ऐसी न थी रोज़ रोज़ घटा छाती थी मगर ऐसी न थी यह आज मेरी ज़िन्दगी में कौन आ गया
रोज़ शाम आती थी मगर ऐसी न थी रोज़ रोज़ घटा छाती थी मगर ऐसी न थी यह आज मेरी ज़िन्दगी में कौन आ गया
डाली में यह किसका हाथ करे इशारे बुलाये मुझे झूमती चंचल हवा छू के तन गुड़गुड़ाये मुझे हौले हौले धीरे धीरे कोई गीत मुझको सुनाये प्रीत मन में जगाये खु
रोज़ शाम आती थी मगर ऐसी न थी रोज़ रोज़ घटा छाती थी मगर ऐसी न थी यह आज मेरी ज़िन्दगी में कौन आ गया
अरमानों का रंग है जहाँ पलकें उठाती हूँ मैं हंस हंस के है देखती जो भी मूरत बनाती हूँ मैं जैसे कोई मोहे छेड़े दिल खो और भी जाती हूँ मैं डगमगाती हूँ मै
रोज़ शाम आती थी मगर ऐसी न थी रोज़ रोज़ घटा छाती थी मगर ऐसी न थी यह आज मेरी ज़िन्दगी में कौन आ गया