Ruk Jana Nahin Tu Kahin Haar Ke Lyrics of Imtihaan (1974) is penned by Majrooh Sultanpuri, it's composed by Laxmikant and Pyarelal and sung by Kishore Kumar.
इम्तिहान (Imtihaan )
रुक जाना नहीं तू कहीं हार के की लिरिक्स (Lyrics Of Ruk Jana Nahin Tu Kahin Haar Ke )
रुक जाना नहीं तू कहीं हार के काँटों पे चलके मिलेंगे साये बहार के रुक जाना नहीं तू कहीं हार के काँटों पे चलके मिलेंगे साये बहार के ओ राही
सूरज देख रुक गया है तेरे आगे झुक गया है सूरज देख रुक गया है तेरे आगे झुक गया है जब कभी ऐसे कोई मस्ताना निकले है अपनी धुन में दीवाना शाम सुहानी बन जात
रुक जाना नहीं तू कहीं हार के काँटों पे चलके मिलेंगे साये बहार के ओ राही
साथी न कारवाँ है यह तेरा इम्तिहान है साथी न कारवाँ है यह तेरा इम्तिहान है यूं ही चला चल दिल के सहारे करती है मंज़िल तुझको इशारे देख कहीं कोई रोक नहीं ले तुज
रुक जाना नहीं तू कहीं हार के काँटों पे चलके मिलेंगे साये बहार के ओ राही
नैन आंसू जो लिए हैं यह राहों के दिए हैं नैन आंसू जो लिए हैं यह राहों के दिए हैं लोगों को उनका सब कुछ देके तू तो चला था सपने ही लेके कोई नहीं तो तेरे अपने ः
रुक जाना नहीं तू कहीं हार के काँटों पे चलके मिलेंगे साये बहार के ओ राही