इंकार (2013) के तेरे मेरे दर्मियान गीत स्वानंद किर्किर द्वारा लिखे गए हैं, यह शांतनु मोइत्र द्वारा रचित है और स्वानंद किर्किर द्वारा गाया गया है
इंकार (Inkaar )
तेरे मेरे दरमियान की लिरिक्स (Lyrics Of Tere Mere Darmiyaan )
क्यूँ निगाहें निगाहों को शिक़वे सुनाये मुर्दा अफ़सुर्दा लफ़्ज़ों के मानी जगाये जो है खुद से शिकायत क्यूँ तुझको बताये क्यों हम यादों के रंगों से खाबों को सजाये एक ऐसी बी
बात सहमी सहमी सी तेरी ओअर थी चलि फिसल गयी क्यों मैंने बर्फ सी कही शोला बन तुझे मिली बदल गयी क्यों मायनों के बोझ से बात सीधी साधी से कुचल गयी क्यों बात ांध
एक ऐसी बात बढ़ रही है तेरे मेरे दरमियान एक ऐसी बात चल रही है तेरे मेरे दरमियान क्यूँ सुबह खिल रही है तेरे मेरे दरमियान क्यूँ शाम ढल रही है तेरे मेरे दरमि
क्यूँ निगाहें निगाहों को शिक़वे सुनाये मुर्दा अफ़सुर्दा लफ़्ज़ों के मानी जगाये
जो है खुद से शिकायत क्यूँ तुझको बताये क्यों हम यादों के रंगों से ख़्वाबों को सजाये एक ऐसी बात बढ़ रही है तेरे मेरे दरमियान एक ऐसी बात चल रही है तेरे मेरे डी
क्यूँ निगाहें निगाहों को शिक़वे सुनाये मुर्दा अफ़सुर्दा लफ़्ज़ों के मानी जगाये
एक ऐसी बात बढ़ रही है तेरे मेरे दरमियान एक ऐसी बात चल रही है तेरे मेरे दरमियान क्यूँ सुबह खिल रही है तेरे मेरे दरमियान क्यूँ शाम ढल रही है तेरे मेरे दरमि