बाईजू बावरा से तू गंगा की मौज के गीत: मोहम्मद रफी और लता मंगेशकर द्वारा यह एक बहुत अच्छा गीत है जो नौशाद द्वारा अच्छी तरह से तैयार संगीत के साथ है। तु गंगा की मौज गीत खूबसूरती से शकील बदायुनी द्वारा लिखे गए हैं।
बैजू बावरा (Baiju Bawra )
हो जी हो तू गंगा की मौज
अगर तू है सगर तो मझधार मैं हूँ मझधार मैं हूँ तेरे दिल की कश्ती का पटवार मैं हूँ पतवार मैं हूँ चलेगी अकेले न तुमसे यह नैया न तुमसे यह नैया मिलेगी न
भला कैसे टूटेंगे बंधन यह दिल के बंधन यह दिल के बिछड़ती नहीं मौज से मौज मिलके हो मौज मिलके छुपोगे भँवर में तो छूपने न देंगे तो छूपने न देंगे डुबो देंगे
तू गंगा की मौज
तू गंगा की मौज