दो पल सुकून के नहीं ,गर रख लो जायदाद ,
पलकें झपक न पाओगे ,गर रख लो जायदाद ,
चुभती हैं अपने हाथों पर अपनी ही रोटियां
खाना भी खा न पाओगे ,गर रख लो जायदाद . .................................................................
क्या करती बड़े घर का तू ,इंसान बेऔलाद ,
रहने को घर न चाहिए ,गर रख लो जायदाद . ..............................................................
मुझको भी रख ले साथ में,चाहत है सभी की,
अकेले रह न पायेगी ,गर रख लो जायदाद . ................................................................
ज़ालिम तू इस ज़माने से ,क्यों नहीं डर रही ,
डर-डर के जी सके है तू ,गर रख लो जायदाद . .............................................................
मकान हो,दुकान हो ,हैं और किसी की,
अकेले हो ज़माने में ,गर रख लो जायदाद. ...............................................................
पहचान ले ज़माने की ,असलियत ''शालिनी '',
फुकती ही रहेगी सदा ,गर रख लो जायदाद . ...
शालिनी कौशिक
[कौशल ]