आपका लिखा एक खत आपको क्रुर बताने और तलाक दिलाने के लिए काफी है। कोर्ट ने अपने पत्नी से अलग रह रहे एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही।
द टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक खबर के मुताबिक पीड़ित व्यक्ति 28 साल से अपनी पत्नी से अलग रह रहा था। 1990 में उसकी पत्नी ने गुस्से में आकर अपने पति को एक चिट्ठी लिखी। चिट्ठी में पत्नी ने कहा कि वह तलाक चाहती है। उसे अपना एक पूर्व प्रेमी वापस मिल गया है, और वह उससे शादी करना चाहता है। पत्नी ने पत्र में यह भी बताया कि वह उनकी बेटी को भी अपनाने को तैयार है। उस वक्त महिला का पति विदेश में नौकरी करता था जबकि उसकी पत्नी भारत में ही थी।
यह मामला ट्रायल कोर्ट में चल रहा था। अब इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए पति को तलाक की अनुमति दे दी। कोर्ट ने व्यक्ति को तलाक की अनुमति के साथ कहा कि एक पत्र भी जिसमें मानसिक कष्ट हो उसे भी क्रुरता का व्यवहार का आधार माना जा सकता है। दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश नाजमी वजीरी ने ट्रायल कोर्ट का फैसला बरकरार रखते हुए कहा है कि अपनी पत्नी से दूर रह रहे एक पति के लिए काफी कष्टदेह है जब पत्नी उसे पत्र लिखकर सूचित करे कि वह वैवाहिक सम्बंध खत्म करना चाहती है और एक अन्य पुरुष से विवाह करना चाहती है। कोर्ट के फैसले के बाद पत्नी ने कहा कि उसने गुस्से में आकर अपने पति को चिट्ठी लिखी वह उनके साथ रहना चाहती थी।
महिला ने कोर्ट को बताया कि उसका कोई भी पुरूष मित्र नहीं है, और उसकी तलाक लेने की भी कोई योजना नहीं है। वह सिर्फ अपने पति को झटका देना चाहती थी। उसका ऐसा कोई इरादा नहीं था।
1995 में जब यह मामला ट्रायल कोर्ट में आया तो महिला ने वहां भी यही बयान दोहराया था। हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए उसके पति को तलाक देने की अनुमति दे दी और महिला की सभी दलीलें खारिज कर दी।
गौरतलब है कि 1980 में इस दम्पत्ति का विवाह हुआ। वर्ष 1987 में महिला का पति विदेश नौकरी करने चला गया, जबकि उसकी चार साल की बेटी और पत्नी भारत में ही रहे।[साभार -अमर उजाला ]
शालिनी कौशिक