हर महीने के पहले और तीसरे मंगलवार को उत्तर प्रदेश के हर जिले में हर तहसील पर तहसील दिवस आयोजित किया जाता है .जिसमे कभी जिला मजिस्ट्रेट तो कभी उप-जिला मजिस्ट्रेट उपस्थित हो लोगों की समस्याओं को सुनते हैं और उनकी समस्याओं को देखते हुए तहसील स्तर के विभागों से जिन कर्मचारियों की वहां उपस्थित होती है उन्हें लोगों की समस्याओं के समाधन हेतु निर्देश भी देते हैं .ये सब इतनी अधिकारिता से होते देख एक बार तो पीड़ित को लगता है कि अब उसकी समस्या सक्षम अधिकारी के सामने पहुँच गयी है और अब इस समस्या का समाधान निश्चित रूप से हो जायेगा और वह ये सोचकर घर आकर चैन की बंसी बजाता है .
लेकिन सच्चाई कुछ और है और जो केवल वही बता सकता है जो कम से कम एक बार तो तहसील दिवस में अपनी समस्या लेकर गया हो और मैं उन्हीं लोगों में से एक हूँ जो तीन बार तहसील दिवस में अपनी समस्या लेकर गई हूँ और निराशा ही हाथ लेकर आयी हूँ मेरी समस्या क्या है कोई बहुत व्यक्तिगत नहीं है बल्कि सार्वजानिक है और जिसके लिए मैं अकेले नगरपालिका कांधला द्वारा उत्तर प्रदेश नगरपालिका अधिनियम १९१६ में धारा ७ में दिए गए उनके अनिवार्य व् मुख्य कर्तव्यों की अवहेलना को रोके जाने के लिए तहसील दिवस के माध्यम से उत्तर प्रदेश सरकार के द्धार गयी हूँ .सबसे पहले मेरा आवेदन प्रस्तुत है जो मैंने १९ सितम्बर २०१७ को दिया था -
सेवा में ,
उपजिला मजिस्ट्रेट /तहसील दिवस प्रभारी
कैराना [शामली ]
विषय-उत्तर प्रदेश नगरपालिका अधिनियम १९१६ की धारा ७ के अंतर्गत नगर पालिका कांधला द्वारा अपने अनिवार्य व् मुख्य कर्तव्यों की अवहेलना के सम्बन्ध में .
श्रीमान जी ,
निवेदन यह है की प्रार्थिनी नगरपालिका कांधला के मोहल्ला ..................के मकान संख्या ................की निवासी है और प्रार्थिनी का मकान जहाँ स्थित है ,वहां सभ्य ,शैक्षिक वातावरण है और प्रार्थिया द्वारा भी इस वातावरण में अपनी ओर से स्वच्छता बनाये रखने का ध्यान रखा जाता है ,साथ ही पर्यावरण के क्षेत्र में यथाशक्ति एन.जी.टी.द्वारा अपनाये जा रहे कायदे-कानूनों को अमल में लाया जाता है किन्तु नगरपालिका कांधला द्वारा इस सम्बन्ध में कानून की अनदेखी प्रार्थिनी व् प्रार्थिनी के आस-पास के क्षेत्र व् क्षेत्रवासियों पर भारी पड़ रही है .
सर्वप्रथम तो प्रार्थिनी का क्षेत्र एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ सभी लोग शिक्षित हैं ,मंदिर-मस्जिद,विद्यालय ,दुकानों का यह क्षेत्र स्वच्छता की दरकार रखता है ,यहाँ के सभी नागरिक शौचालय का प्रयोग करते हैं ,इन सबके बावजूद यह क्षेत्र केवल इसलिए गन्दा रहता है क्योंकि इसमें कांधला के उन मोहल्लों से ,जहाँ अशिक्षा का ,अन्धविश्वास का वातावरण है ,जहाँ रहने वाले निवासीगण शौचालय का प्रयोग नहीं करते ,लेकर गंदगी डाली जाती है और सबसे दुखद स्थिति यह है की ऐसे मोहल्लों की मल-कचरा आदि गंदगी प्रार्थिनी के आवास में स्थित बगीचे की दीवार के पास डाली जाती है ,कचरे आदि में पहले आग लगा दी जाती थी जो प्रार्थिनी के बगीचे के पेड़ों को झुलसा देती थी और जिससे उत्पन्न धुआं प्रार्थिनी के आवास में भर जाता था ,तब भी प्रार्थिनी तहसील दिवस में अपनी समस्या लेकर आयी थी जिस पर माननीय उपजिलाधिकारी महोदय ने कांधला पुलिस को निर्देश दिया था तब कांधला पुलिस ने कचरे में आग लगाने को लेकर तो रोक लगवा दी थी किन्तु गन्दगी हटवाने में यह कहकर ''कि कूड़ा कहीं तो पड़ेगा '' अपनी असमर्थता व्यक्त कर दी थी .
दुसरे ,प्रार्थिनी के आवसीय इलाके ही नहीं लगभग सारे कांधला क्षेत्र में बन्दर इतनी संख्या में हैं कि आये दिन प्रार्थिनी व् क्षेत्र के निवासियों को उनसे हमले का शिकार होना पड़ता है तथा जान-माल का नुकसान उठाना पड़ता है .बाहर के इलाकों से लेकर भी बन्दर छोड़े जा रहे हैं किंतु नगरपालिका कांधला द्वारा उनकी रोकथाम का कोई उपाय नहीं किया जा रहा है .
अतः श्रीमान जी से निवेदन है कि प्रार्थिनी के निवेदन को गंभीरता से लेते हुए प्रार्थिनी के आवासीय स्थल के बगीचे को गंदगी के वातावरण से निजात दिलाई जाये और प्रार्थिनी सहित समस्त कांधला वासियों को सैकड़ों की संख्या में क्षेत्र में आतंक मचने को आतुर बंदरों के प्रकोप से बचाने के लिए उन्हें नगरपालिका कांधला द्वारा पकड़वाने का प्रबंध अतिशीघ्र करने के निर्देश जारी किये जाएँ ताकि नगरपालिका कांधला द्वारा उसके अनिवार्य एवं मुख्य कर्तव्यों की अवहेलना रोकी जा सके .कृपा होगी .
दिनांक -१९.९.२०१७ प्रार्थिनी
शालिनी कौशिक [एडवोकेट ]
मेरे ये शिकायत ले जाने पर उपजिलाधिकारी महोदय ने इसे पढ़ा ,नगरपालिका कांधला के कर्मचारी को बुलाया और उससे स्थिति पूछी वह भला अपनी ओर से कुछ भी गलत क्यों मानता ,उपजिलाधिकारी महोदय न उसकी बात मानी,मेरी नहीं और मेरे से कहा वही ''कूड़ा कहीं तो पड़ेगा 'और जब मैंने कहाँ कि साधारण कूड़े की बात नहीं है बात उन इलाकों की है जहाँ शौचालय नहीं हैं उनकी गंदगी यहाँ साफसुथरे ,शौचालय वाले इलाकों में क्यों डाली जाती है तो वे भड़क गए और कहने लगे कि आप बार-बार शौचालय क्यों कह रही हैं ? अब भला मुझे कोई यह बताये कि जब गंदगी शौचालयों की हो तो मैं उसे फूलों की गंदगी कैसे कह सकती हूँ ,खैर इसके बाद उपजिलाधिकारी महोदय ने नगरपालिका कांधला के कर्मचारी को कुछ निर्देश दिए और मैं वहां से आ गयी .
आज १२ दिन बीतने पर भी कुछ नहीं हुआ और मेरी दूसरी मांग का तो कुछ भी नहीं हुआ ,आगे तहसील दिवस में जाते हुए पैर बंध गए क्योंकि पता नहीं अब क्या कह दें ,क्योंकि एक और भुक्तभोगी के अनुसार उसे पुलिस के आलाधिकारी ने कहा कि बहुत आवेदन देता है तू तहसील दिवस में ,
ये हाल है जनता का ,जिसके लिए रास्ते खोले भी जाते हैं और आग के शोलों ,मार्ग के कंटकों द्वारा रोक भी दिए जाते हैं इसलिए अब कम से कम मेरे तो तहसील दिवस में जाने का प्रश्न उठता ही नहीं है क्षेत्र की सड़कों की बिजली गुल है ,एक सहृदय द्वारा यह कह दिए जाने पर कि तहसील दिवस में एप्लिकेशन दे दो मैंने सड़कों के अँधेरे को ही चुना है क्यूंकि ये अपमान के अँधेरे से बेहतर है .
शालिनी कौशिक
[एडवोकेट ]
कांधला [शामली]]