‘कश्मीरी लोग बरसों से मुश्किलें झेल रहे हैं। उनके हालात तब भी बुरे थे जब मैं छोटी थी, तब भी जब मेरे माता पिता छोटे थे और वे लोग तब भी मुश्किलों में जी रहे थे जब मेरे दादा जी जवान थे। उन्हें और कष्ट झेलने की जरूरत नहीं है।’ -मलाला का ट्वीट
मलाला युसूफजई का यह ट्वीट कश्मीर की जनता का दुख दर्द बयां करता है उस कश्मीर की जनता का जो शुरू से लेकर आज तक भारत में सरदार पटेल व श्यामा प्रसाद मुखर्जी की बदौलत विशेष दर्जा प्राप्त कर रह रही थी, जिसे भारतीय जनता के मुकाबले बहुत सस्ता अन्न व जीवन के लिए आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध होती थी, जिनकी ज़मीन भारत के किसी और हिस्से का नागरिक खरीद नहीं सकता था, जिनकी सुरक्षा पाकिस्तान जैसे नापाक पड़ौसी से करने में देश के दूर दराज के क्षेत्रों के युवा फौजी शहादत को प्राप्त हो गए, जिन्हें अपना यह विशेष दर्जा इतना पसंद था कि मुल्क़ की आवाम द्वारा बार बार आवाज़ उठाए जाने के बावज़ूद सरकार द्वारा इस ओर कदम नहीं बढ़ाया गया और जब मोदी सरकार द्वारा इस ओर कदम बढ़ाने की सोची भी गई तो पहले कश्मीरी जनता के द्वारा फैसले की खिलाफ़त को सोचते हुए वहां सात लाख के करीब सेना के जवान तैनात किए गए, वहां सूचना संचार के सभी तंत्र बंद किए गए, वहां धारा 144 लगायी गयी और ये सब इसलिये कि वहां की विशेष दर्जे में रहने की आदत वाली कश्मीरी जनता को सामान्य दर्जे में रहने की आदत डाली जा सके और उस जनता को मलाला अब तक की स्थिति में परेशान दिखाने की कोशिश कर रही हैं जबकि परेशानी तो कश्मीरी जनता की अब बढ़ने वाली है क्योंकि
मोदी सरकार के इतने बड़े फैसले के बाद कश्मीर में अचानक सब कुछ बदल जाएगा।
अनुच्छेद 370 के हट जाने से कश्मीर में क्या-क्या बदल जाएगा, ये जानना हम सभी के लिए बहुत ज़रूरी है क्योंकि अनुच्छेद 370 का खत्म होना कश्मीरी जनता को बहुत कुछ दे रहा है तो बहुत कुछ छीन रहा है -