प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा पिछले कार्यकाल में ओ डी एफ जैसी महात्वाकांक्षी योजना चलायी गयी, बड़े बड़े दावे किए गए कि ये योजना महिलाओं के सम्मान के लिए उठाया गया एक बहुत बड़ा कदम है और इसी साल ये घोषणा की गई है कि पूरा उत्तर प्रदेश ओ डी एफ घोषित किया जाता है जबकि सच्चाई कुछ और ही है और सच्चाई यह है कि न तो उन महिलाओं को ऐसा कोई सम्मान चाहिए और न ही उत्तर प्रदेश कभी भी ओ डी एफ हो सकता है क्योंकि जैसे कि पुरुष कहीं भी मूत्र विसर्जन के लिए खड़े हो जाते हैं ऐसा ही गाँव की महिलाएं भी करती हैं और मोदी जी द्वारा बनवाए गए शौचालयों का बहिष्कार कर कहीं भी अपने गाँव से बाहर गाड़ी में बैठकर आकर किसी के भी घर के बाहर मूत्र विसर्जन के लिए बैठ जाती हैं और ऐसा इसलिये भी करती हैं क्योंकि पहले तो शौचालय का प्रयोग धार्मिक अंध बुद्धि के खिलाफ है और दूसरे ऐसा करना उनके उन संस्कारों के विरुद्ध है जो उन्हें सिखाते हैं कि " वादडिया सुजादडिया जप शरीरा नाल" इसलिये मोदी जी की ओ डी एफ कम से कम उत्तर प्रदेश में तो कभी भी सफल नहीं हो सकती क्योंकि यू पी के गाँव की महिलाएं कभी भी सुधर नहीं सकती.
शालिनी कौशिक एडवोकेट
(कौशल)