इसाक (2013) के आग का दारिया गीत नीलेश मिश्रा द्वारा लिखे गए हैं, यह सचिन जिगर द्वारा रचित है और अंकित तिवारी द्वारा गाया गया है।
इस्साक (Issaq )
आग का दरिया की लिरिक्स (Lyrics Of Aag Ka Dariya )
ज़र्रा ज़र्रा जले
वह तीर सी चुभती खून की बारी जुंग का यह सिलसिला जनम से जारी मेरे जिस्म में जैसे रूह है जाएगी मुझमें ही जैसे कोई हो गया है बाग़ी परिंदे को उड़ना है सब साढे निस
क्यों तेरे रूप-रंग में खान-खान है और बाटियाँ में रास मन्थन है क्यों तेरे रूप-रंग में खान-खान है और बाटियाँ में रास मन्थन है तू भरम है या एहसास मेरा मस्त
रंग से तेरे जुदा होके बे-रंग ही मुझको रहना है रंग से तेरे जुदा होके बे-रंग ही मुझको रहना है पल पल पलछिन मैं वारे कहे की कुछ न कहना है टुकड़ों-टुकड़ों में ज