अमर प्रेम - 1 9 72 में लाता मंगेशकर द्वारा गाया गया बादा नाटकत है रे कृष्ण कन्हैया गीत के साथ पढ़ें और गाएं। आप अमर प्रेम से अन्य गाने और गीत भी प्राप्त कर सकते हैं।
अमर प्रेम (Amar Prem )
बड़ा नटखट है रे कृष्ण कन्हैया का करे यशोदा मैया हाँ बड़ा नटखट है रे
ढूंढें ऋ अँखियाँ उसे चंहु ओअर जाने कहाँ छुप गया नन्दकिशोर ढूंढें ऋ अँखियाँ उसे चंहु ओअर जाने कहाँ छुप गया नन्दकिशोर उड़ गया ऐसे जैसे पुरवैया का करे
मेरे जीवन का तू एक ही सपना जो कोई देखे तोहे समझे वह अपना मेरे जीवन का तू एक ही सपना जो कोई देखे तोहे समझे वह अपना सबका है प्यारा हो सबका है प्यारा बंसी बजैया का
बड़ा नटखट है रे कृष्ण कन्हैया का करे यशोदा मैया हाँ बड़ा नटखट है रे
मोरे:
आ तोहे मैं गले से लगा लूं लागे न किसी की नज़र मन में छुपा लूँ आ तोहे मैं गले से लगा लूं लागे न किसी की नज़र मन में छुपा लूँ धुप जगत है रे ममता है