भारतीय कृषि क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है। यह 50% से अधिक कार्यबल को रोजगार देता है और भारत के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 18% का योगदान देता है। भारत चावल, गेहूं, दालों, तिलहन, फलों, सब्जियों और पशुधन सहित कई तरह के कृषि उत्पादों का एक प्रमुख उत्पादक है।
भारतीय कृषि क्षेत्र कई चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिनमें शामिल हैं:
कम उत्पादकता: भारत में कृषि उत्पादकता कई अन्य देशों की तुलना में कम है। यह कई कारकों के कारण है, जिनमें भूमि जोतों का खंडीकरण, अपर्याप्त सिंचाई और आधुनिक तकनीक तक पहुंच की कमी शामिल हैं। जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन भारतीय कृषि के लिए एक बड़ा खतरा बन गया है। अत्यधिक मौसम की घटनाएं जैसे सूखा, बाढ़ और चक्रवात अधिक बार और गंभीर हो रही हैं। कटाई के बाद होने वाली क्षति: कृषि उत्पादों की कटाई के बाद होने वाली क्षति लगभग 30-40% होने का अनुमान है। यह अपर्याप्त भंडारण और परिवहन सुविधाओं के कारण है।
भारत सरकार कृषि क्षेत्र के सामने आ रही चुनौतियों का समाधान करने के लिए कई कदम उठा रही है। इनमें शामिल हैं:
सिंचाई और जल निकासी के बुनियादी ढांचे में निवेश आधुनिक कृषि तकनीकों के उपयोग को बढ़ावा देना बीज और उर्वरक जैसे इनपुट पर सब्सिडी प्रदान करना कटाई के बाद के प्रबंधन में सुधार
भारतीय कृषि क्षेत्र में कई बदलाव भी हो रहे हैं, जिनमें शामिल हैं:
बढ़ती मशीनीकरण: किसान कृषि कार्यों को करने के लिए मशीनों का तेजी से उपयोग कर रहे हैं, जैसे कि जुताई, बुवाई और कटाई। इससे उत्पादकता बढ़ाने और लागत कम करने में मदद मिल रही है। विविधीकरण: किसान जोखिम को कम करने और आय में सुधार करने के लिए अपनी फसलों और पशुधन में विविधता ला रहे हैं। मूल्यवर्धन: किसान मूल्य जोड़ने और बेहतर कीमत पाने के लिए अपनी उपज को तेजी से संसाधित कर रहे हैं।
आने वाले वर्षों में भारतीय कृ बढ़ने की उम्मीद है। यह बढ़ती जनसंख्या, बढ़ती आय और शहरीकरण जैसे कारकों से प्रेरित होगा। हालांकि, क्षेत्र को अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपनी उत्पादकता बढ़ाने और अपनी चुनौतियों का समाधान करने की आवश्यकता होगी।