मोदी सरकार हो या योगी सरकार जब से आयी हैं तब से बदलावों के लिए खुद को तैयार रखना पड़ता है और सर्वाधिक महत्वपूर्ण यह है कि इनके खुद के जीवन में नारी का कोई विशेष स्थान नहीं है एक के लिए संगठन की शर्तों के कारण तो एक के लिए जीवन की धारा में परिवर्तन के कारण, एक ने विवाह करने के बाद पत्नी को त्याग दिया तो एक ने इस ओर गमन ही नहीं किया फिर भी दोनों को पत्नियों का बहुत ध्यान है अपनी नहीं औरों की, मोदी जी ने तो तीन तलाक को अपराध घोषित कराकर मुस्लिम महिलाओं के जीवन में फरिश्ते के रूप में पदार्पण किया है और अब योगी जी भी ऐसा ही कुछ करने जा रहे हैं. योगी सरकार उत्तर प्रदेश में जब से आयी है बहुत से क्रांतिकारी बदलाव लेकर आयी है और अब उन्हीं बदलावों में एक और वृद्धि करने जा रही है यहां की पीड़ित महिलाओं या यूं कहें कि पीड़ित पत्नियों के लिए, तो ज्यादा उचित रहेगा, एक सुकून भरे जीवन की शुरुआत और वह यह है -
मतलब यह है कि प्रदेश में तीन तलाक पीड़ित व परित्यक्ता पत्नी की मदद का मसौदा तैयार कर लिया गया है और चालू वित्त वर्ष में यह लागू कर दिया जाएगा जिसमें 5000 तीन तलाक पीड़िताओं को और 5000 परित्यक्ताओं को साल में 6000 रुपये दिए जाया करेंगे और इसके लिए उन्हें केवल यह सबूत देना होगा कि उन्होंने पति के खिलाफ एफ आई आर कराई है या पति पर भरण पोषण के लिए मुकदमा किया है.
तो अब दीजिए योगी जी को धन्यवाद क्योंकि खुद विवाहित न होते हुए भी उन्होंने विवाहित धर्म की पीड़ाओं में उलझी पत्नियों की पीड़ा को दूर करने का ठेका उठाया है. जिसको उठाना हर किसी के बस में नहीं है क्योंकि हमेशा से पुरुष सत्तात्मक समाज होने के कारण पुरुष की ही चलती आयी है और पत्नी के लिए तो यही समझा गया है कि वह एक गाय है जिसकी नकेल उसके पति के हाथ में है और इसी का परिणाम यह रहा कि पंचायत चुनावों में भी महिलाओं को प्रधानता दिए जाने पर भी स्थिति में बदलाव नहीं आया और महिला प्रधान चुने जाने पर भी पुरुष की अर्थात उसके पति की ही प्रधानी चलती रही.
लेकिन फिर धीरे धीरे पिंक क्रांति आयी, मोदी जी के रूप में एक फरिश्ता पीड़ित मुस्लिम पत्नियों को मिला और उजाड़ हो गई मुस्लिम समुदाय की घर गृहस्थी क्योंकि पहले तीन तलाक घर तोड़ देता था शरियत के अनुसार और अब तीन तलाक घर तोड़ रहा है भारतीय कानून के अनुसार, इतने विद्वान मनीषियों द्वारा कानून तैयार किया गया है कि जो अपराध न होने पर भी दंड दे रहा है और हमेशा से निभायी जा रही भारतीय परंपरा को तोड़ रहा है जिसमें प्रावधान था कि किसी भी धर्म के पर्सनल लॉ में दखल नहीं दिया जाएगा और यहां दखल दिया गया, परिणाम क्या रहा क्या तीन तलाक रुक गए? नहीं, और वे रुक भी नहीं सकते क्योंकि मुस्लिम पतियों का कहना है कि तीन तलाक के बाद पत्नी हराम है फिर चाहे कुछ भी कर लो संबंध शरियत के अनुसार ही आगे बढ़ सकता है उसके उल्लंघन में नहीं और ये मोदी जी को भी मालूम था किंतु महिलाओं की अक्ल को घुटने में मानने वाले, महिलाओं के अस्तित्व को दो कौड़ी का मानने वाले उसका फायदा उठा ले गए और मुस्लिम पीड़ित पत्नियों को इस तरह बहका कर चुनावों में अच्छा खासा वोट प्रतिशत महिलाओं की ओर से ले गए.
ऐसे ही अब आए हैं योगी जी, 2022 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा व नगरपालिका दोनों के चुनाव हैं और जैसे इनके मोदी जी ने किसानों को दिए साल भर में 6000 रुपये अब ये पीड़ित पत्नियों को देंगे और इसके लिए उन पीड़ित पत्नियों को दिखानी होगी एफ आई आर या पति पर किया गया भरण पोषण का मुकदमा और इन्होंने घेरा है हिन्दू महिलाओं को भी क्योंकि केवल मुस्लिम महिलाओं की मदद इनके वोट प्रतिशत में शायद इजाफा न कर पाए इसलिए अब इन्होंने शुरू की है हिन्दू मुस्लिम दोनों घर तोड़ने की कवायद, क्योंकि पहले भी कानून में महिलाओं के प्रति बरती जा रही नरमी अदालतों में वादों की संख्या बढ़ा रही है और नारी/ पत्नी पर किए जा रहे जुल्मों की सच्चाई पुरुष के बेघरबार होने के रूप में वकीलों के सामने रोज आ रही है और दुष्कर्म /यौन उत्पीड़न जैसे मामलों में महिला सुरक्षा में विफलता को छिपाने के लिए चाकलेट के रूप में घुटने में अक्ल रखने वाली स्त्री प्रजाति के लिए 6000 रुपये का झुनझुना लाए हैं जिसे देखते हुए लगता है कि अब दिखावे के विवाह बढ़ेंगे और उनके नाम पर उत्पीड़न भी क्योंकि 6000 रुपये पाने की कोशिश तभी पूरी होगी जब कोई विवाहिता होगी.
इस तरह मोदी और योगी का सत्ता में आगमन देखा जाए तो वकीलों के लिए भी और मीडिया के लिए बहुत अधिक लाभकारी है क्योंकि दोनों के ही काम में बढ़ोतरी होने वाली है एक के अदालती तो एक के धारावाहिक जैसे सावधान इंडिया, इसलिए यही कह सकते हैं कि
"इब्तदाये इश्क है रोता है क्या,
आगे आगे देखिये होता है क्या."
शालिनी कौशिक एडवोकेट
(कौशल)