Holi festival 2014 Pic
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टीनएजर भूतों के एक ग्रुप के लड़के एक दूसरे पर शेखी बघार रहे थे।
भोलू भूत - "भाई एक बार मैं इंद्र देव की मूर्ति के बगल से निकल चुका हूँ।"
भक भूत - "चल बे! इतने में ही बस ..मै तो शिवजी भोलेनाथ की प्रतिमा के सामने से गया हूँ।"
पीछे से आवाज़ - "बस-बस! लिपरीडिंग की थी तब तेरी सबने! कांपते हुए शंकर जी के सामने नर्वसनेस में जय संतोषी माता निकल रहा था तेरे मुंह से। वो तो बाइचांस की बात है कि भोलेबाबा ने तुझे माफ़ कर दिया होगा।"
थोड़ा झेंपने और ध्यान बंटने के बाद फिर डिस्कशन चालू।
भोलू भूत - "यार तू भरी सुबह में क्यों निकलता है। कोई तांत्रिक पकड़ ले, कुछ उंच नीच हो जाए तो क्या इज़्ज़त रह जायेगी तेरी फैमिली की?"
भक भूत - "अबे भाई-यार भक बे! तुम डरपोक सुबह साढ़े तीन बजे निकल लेते हो, हम साढ़े 6 से पहले वापस नहीं जाते, अपनी शान में रहते है।"
पीछे से आवाज़ - "....और तभी रोशनी से झुलस कर फ्राइड मोमोज़ हुए फिरते हो।"
भक भूत ने मण्डली के हंसने से पहले ही नया दावा किया - "मेरे सुबह घूमने की आदत की वजह से...बाय चांस मुझे देख कर एक बार एक अंकल जी को हार्ट अटैक आ गया और वो मर गए।"
पीछे से आवाज़ - "वो उन्हें पहले से ही अटैक पड़ा था, तू तो बस क्रेडिट लेने कूद पड़ा उनके सामने उनके मरने के बाद।"
भक भूत - "अरे! ये कौन है पीछे से अफवाहें फैला रहा है? अब एक हीरो शान्ति से अपने किस्से भी नहीं सुना सकता !!"
पीछे की आवाज़ का मालिक आगे आया - "मै वही अंकल जी का भूत हूँ, जिसकी नेचुरल डेथ का क्रेडिट तू अपनी दहशत के नाम चढ़ा रहा था। आजा मेरी नन्ही परी...कुछ छड़ी खा ले....तेरे अंदर का स्वैग निकालू।"
समाप्त!
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