कहते हैं कि हरिद्वार में रहने वाले गंगा जी में नहीं नहाते। वैसे नहाते तो होंगे पर कहने का मतलब यहाँ कुछ और है…कि जो बात करने में बहुत आसान हो उसे हम “ये तो कभी भी हो जाएगा” कहकर टाल देते हैं। आज प्रख्यात लेख क वेद प्रकाश शर्मा जी के निधन का समाचार मिला। 2015 में Parshuram Sharma जी का साक्षात्कार लिया था, उसके बाद उनसे कभी-कभार मिलना हो जाता था। वैसे परशुराम जी से मिलना एक संयोग था, नहीं तो शायद वह बात भी टालता रहता। एक-दो बार तो यूँ ही टहलते हुए मिल गए। Ved prakash sharma जी से मेरठ में मिलना किसी ना किसी कारण से टलता रहा।
दिसम्बर 2013 में दिल्ली में आयोजित कॉमिक फेस्ट इंडिया इवेंट में उन्हें नमस्ते कर बस उनके हाल-चाल पूछ पाया और एक-दो बार कहीं जाते हुए उनकी झलक दिखी। मैंने तुलसी कॉमिक्स में उनकी लिखी कुछ कॉमिक्स पढ़ी और कुछ उपन्यास पढ़े। बाद में एक मित्र ने बताया कि मेरे पास रखे उपन्यास वेद जी की बेस्ट सेलर कृतियां नहीं हैं। फिर वही टालने की आदत में सोचा कभी बाद में आराम से पढता हूँ। अब लगता है जब मैं मेरठ में रहता था तो कितने दिन ऐसे थे जब मैं उनके पास जा सकता था और उनका साक्षात्कार ले सकता था। जब आप किसी कलाकार, रचनाकार के साथ तसल्ली से बैठते हैं तो उनके अनुभव, मेहनत के असंख्य क्षणों के निचोड़ के कुछ कणों का अमृत वो निस्वार्थ आपसे बाँट लेते हैं। एक सबक मेरे और आप सबके लिए कि काम होने से पहले उसे पूरा किया हुआ ना मान बैठें। वेद जी को नमन व श्रद्धांजलि! भगवान उनकी आत्मा को शान्ति दे। RIP
#ज़हन