आर्यन और उसके जूनियर्स की टीम ने आखिरकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक के ऐसे उन्नत रोबोट्स बना लिए थे, जो दुर्गम से दुर्गम स्थान पर पहुँच कर कठिन कामो को करने में सक्षम थे। रोबोटिक ऐड नामक 48 रोबोट्स की पहली टुकड़ी आपातकालीन स्थितियों और प्राकृतिक आपदाओं के समय बचाव कार्यों के लिए तैयार की गयी। इन रोबोट्स की ख़ास बात यह थी कि इनमे अन्य निर्देशों के साथ-साथ इंसानो की तरह तर्कशक्ति भरी गयी थी।
बड़े देश में उनकी ज़रुरत तीसरे दिन ही पड़ गयी। पहाड़ी क्षेत्र में भूकंप के असर से हुए भूस्खलन और बाढ़ से काफी नुक्सान हुआ था और कई लोग मदद का इंतज़ार कर रहे थे। रोबोटिक ऐड ने हज़ारो लोगो को बचाया भी पर उन्होंने कई लोगो को मरता छोड़ कुछ अन्य लोगो को बचा लिया। उनके तर्क में कुछ बड़ी खराबी थी। कुछ जगह न्यूज़ कवरेज और सीसीटीवी फुटेज पर गौर करने पर पाया गया कि रोबोट सबसे अधिक प्राथमिकता साधन संपन्न लोगो को दे रहे थे। उसके बाद मध्यम वर्गीय लोगो को बचाया जा रहा था। मदद की गुहार लगाते मरते हुए गरीब लोगो को रोबोट्स देख कर भी अनदेखा कर रहे थे।
बाद में इस घटना की जांच होने पर मिशन मे रोबोटिक ऐड के ऐसे व्यवहार का कारण टीम लीडर ने खुद बताया।
"हमने उन लोगो को बचाया जो बचाये जाने के बाद, खुद को और अपने बच्चो को अच्छे स्तर का लंबा जीवन देने में सक्षम थे या जिनमे हमें ऐसा करने की ज़्यादा उम्मीद दिखी। ऐसे लोगो को बचा कर क्या फायदा जिन्हे घिसट-घिसट के औसतन 10-15 साल जीना है और अपनी अगली पीढ़ी को भी वैसा भविष्य देना है? बाकी लोगो को बचाने के लिए समय कम था इसलिए गरीबों को नहीं बचाया।"
यह रोबोट की अपनी सोच नहीं थी। इसमें इंसानी तर्क और पूर्वभासों की मिलावट थी, जिसमे फायदे को सही और नुक्सान को गलत माना जाता है। यहाँ फायदा हुआ या नुक्सान? रोबोट्स का तर्क अच्छा था पर भावनाओं बिना तर्क में अर्थ नहीं था।
समाप्त!
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