एक रात वृद्ध अंकल जी को अचानक सपने दिखने लगे।
रंग-बिरंगे, प्रकृति के, खेल-खिलोनो के, बच्चो के, समुद्र के, युद्ध के, मौसम के, अश्लील वाले, यात्रा के और विभिन्न विजुअल्स।
सपने उन्हें आते थे कभी कबार पर इतने अधिक और इस तरह के रोलरकोस्टर दृष्टांत तो कतई नहीं।
अंदाज़ लगाया कि शायद ईश्वर ने उन्हें मरने से पहले अपने आस-पास मौजूद दूसरो के सपने देखने की शक्ति दी है, चलो इस बहाने रोज़ नींद में ही सही कुछ मनोरंजन हो जाएगा।
ध्यान केंद्रित कर उन्होंने किसी भी व्यक्ति के नये-पुराने सपने पढ़ने की शक्ति अर्जित कर ली, चलो इस बहाने संपत्ति का अधिक हिस्सा किसे दूँ यह निर्णय हो जाएगा।
पहले बेटे के सपने नीरस थे, हुंह जैसे ये कुछ नहीं बोलता वैसे ही इसके सपने भी बोगस। छोटे बेटे के सपने देखता हूँ, वो मुझे बहुत प्यार और सम्मान देता है।
अरी मईया! पहले ही सपने में मेरी चिता जला कर उसके अराउंड शादी के फेरे ले रहा है। अब ना देने का इसे रुड़की वाला प्लाट।
छोटे बेटे के कई सपनो में बूढ़े अंकल ने अपनी मौत, पिटाई, बेइज़्ज़ती देखी।
वैसे तो बड़ा भी कुछ ख़ास नहीं पर लुच्चो की इस टक्कर में कुछ दशमलव अंको से मैं उसे जिताता हूँ। ज़्यादा संपत्ति बड़े को, बाकी थोड़ा बहुत हिस्सा राम गोपाल वर्मा के उस विकृत रूप, मेरे छोटे बेटे को।
अंकल ये भी हो सकता था कि आपके छोटे बेटे को मनोविज्ञान, अपराध, डार्क आदि विषयों में रूचि हो और आप उसके दिल के सबसे करीब होने के कारण उसके विकृत ख्वाबों में कहीं ना कहीं आ जाते हों। अंकल-अंकल....लो बिना ये विचार किये ही काल के ग्रास में समा गए अंकल !
- मोहित शर्मा (ज़हन)
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