हर लेखक (या कवि) अपनी शैली और पसंद के अनुसार कुछ रचना-पद्धतियों (genres) में अच्छा होता है और कुछ में उसका हाथ तंग रह जाता है। यह कहना ज़्यादा ठीक होगा कि कुछ विधाओं में लेखक अधिक प्रयास नहीं करता। समय के साथ यह उसकी शैली का एक हिस्सा बन जाता है। अक्सर किसी अनछुई विधा को कोई लेखक पकड़ता भी है तो उसमे अनिश्चितता और असंतोष के भाव आ जाते है। सबसे बड़ा कारण लेखक ने इतने समय में स्वयं के लिए जो मापदंड बनाए होते हैं, उनपर इस नयी विधा की लेखनी खरी नहीं बैठती। ऐसा होने पर लेखक रही उम्मीद भी छोड़ कर वापस अपनी परचित विधाओं की तरफ वापस मुद जाता है। अपने अनुभव की बात करूँ तो मुझे हास्य, हॉरर, ट्रेजेडी, इतिहास, ड्रामा, सामाजिक संदेश जैसे विषयों पर लिखना अधिक सहज लगता है, जबकि रोमांटिक या साइंस फिक्शन जैसी थीम पर मैंने काफी कम लेखन किया है। नयी श्रेणियों में पैर ज़माने का प्रयास कर रहे लेखकों और कवियों के लिए कुछ सुझाव हैं।
*) - अपनी वर्तमान लेखन क्षमता, शैली और उसकी उसकी लोकप्रियता की तुलना नयी विधा में अपने लेखन से मत कीजिये। ऐसा करके आप नयी रचना-पद्धति में अपने विकास को शुरुआती चरण में रोक देते हैं। खुद को गलती करने दें और नए काम पर थोड़ी नर्मी बरतें। याद रखें बाकी लेखन शैलियों को विकसित करने में आपको कितना समय लगा था तो किसी अंजान शैली को अपना बनाने में थोड़ा समय तो लगेगा ही।
*) - शुरुआत में आसानी के लिए किसी परचित थीम के बाहुल्य के साथ अंजान थीम मिलाकर कुछ लिखें। इस से जिस थीम में महारत हासिल करने की आप इच्छा रखते हैं उसमे अलग-अलग, सही-गलत समीकरण पता चलेंगे। थोड़े अभ्यास के बाद परिचित थीम का सहारा भी ख़त्म किया जा सकता है।
*) - आदत अनुसार कहानी, लेख या कविता का अंत करने के बजाए उस थीम में वर्णन पर ध्यान दें। चाहे एक छोर से दूसरा छोर ना मिले या कोई अधूरी-दिशाहीन रचना बने फिर भी जारी रहें। इस अभ्यास से लेखन में अपरिचित घटक धीरे-धीरे लेखक के दायरे में आने लगते हैं।
*) - यह पहचाने की आपकी कहानी/रचना इनसाइड-आउट है या आउटसाइड-इन। इनसाइड-आउट यानी अंदर से बाहर जाती हुयी, मज़बूत किरदारों और उनकी आदतों, हरकतों के चारो तरफ बुनी रचना। आउटसाइड-इन मतलब दमदार आईडिया, कथा के अंदर उसके अनुसार रखे गए किरदार। वैसे हर कहानी एक हाइब्रिड होती है इन दोनों का पर कहानी में कौन सा तत्व ज़्यादा है यह जानकार आप नए क्षेत्र में अपनी लेखनी सुधार सकते हैं।
- मोहित शर्मा ज़हन
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