ओलम्पिक 800 मीटर दौड़ क्वालीफाइंग राउंड में रमन ने गिर कर भी रस पूरी की और क्वालीफाई किया। हालांकि, गिरने के दौरान रमन की कुछ पसलियां टूट गईं, और अंदरूनी चोटें लगी। अन्य राउंड के दौरान यह अपडेट दुनियाभर में दर्शकों को मिली। उन्हें यह भी बताया गया कि रमन ने फाइनल राउंड में दौड़ने का फैसला लिया है। इस हालत में और दौड़ने का मतलब था नुकसान को बढ़ाना। अपने घर पर ओलम्पिक खेलों का सीधा प्रसारण देख रहा आलोक बोला - “सरफिरा है यह इंसान! दौड़ के लिए जान दांव पर लगा रहा है।"
फाइनल में रमन ने दर्द से लड़ते हुए रजत पदक जीता। फिर साक्षात्कार के एक सवाल में जैसे उसने घर बैठे आलोक को उत्तर दिया।
"मेरी उम्र 29 साल है, 4 साल रुकने का कोई औचित्य नहीं था क्योंकि 33 वर्ष का एथलीट अब ओलम्पिक की इस श्रेणी में नहीं दिखता। पिछले 22 वर्षों से मैं इस मंच पर आने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा हूँ। रोज़ सुबह 4 बजे से रात 10 बजे तक मेरी ट्रैनिंग, खान-पान, विचार सब ओलम्पिक मेडल की तरफ केंद्रित रहे। यहाँ आने के लिए मैंने दोस्तो के कई प्लान मिस किए हैं, मेरे जीवन में कॉलेज-प्यार जैसे पड़ाव मैंने स्किप कर डाले, परिवार के साथ तसल्ली से बैठकर बातें करना-समय बिताना छोड़ा है….सपनो की चुभन से रोज़ चैन की नींद छोड़ी है। अब यहाँ तक आकर कैसे लौट जाता? मैंने आगे के जीवन में चैन की नींद चुनी, मैंने अपने घरवालों, मित्रों और चाहनेवालो से आँखें मिलाना चुना।”
आलोक को समझ आया कि अक्सर बातों और लोगो की दिखाई दे रही बाहरी परत के अलावा भी दुनिया होती है।
समाप्त!
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