यमराज के सामने एक छोटे द्वीप समूह देश का बड़ा अर्थशास्त्री (इकोनॉमिस्ट) बंदी बना खड़ा था। उसपर (उस व्यक्ति के भूत पर) 700 लोगो को डराकर मारने का आरोप था, जो उसने तुरंत मान भी लिया था। उसने बताया कि मरने के बाद उसकी अतृप्त आत्मा देश की अर्थव्यवस्था की बिगड़ी हालत से परेशान थी। दुनिया से जाते-जाते उसने सोचा कि देश के लिए कुछ कर के जाना चाहिए। तब उसने कई परम्यूटेशन-कॉम्बिनेशन पर विचार किया और एक तरीका सोचा जो उसके हिसाब से देश की अर्थव्यवस्था से भार कम कर सकता था।
मॉर्निंग या इवनिंग वॉक को जाने वाले बुज़ुर्ग लोगो को वह अपना मुँह बिगाड़कर और मुंडी, खून की कटोरी जैसे प्रॉप्स के साथ डरावना धप्पा करता था। यह भूतहा धप्पा इतना डरावना होता था कि ज़्यादातर बुड्ढे-बुड्ढीयां हार्ट अटैक से मर जाते। 2 दिन के अंदर उसने देश के 700 वरिष्ठ नागरिकों को चलता किया। यह असामान्य गतिविधि ऊपर देवलोक में देखी गई और उसे तुरंत बंदी बना लिया गया।
यमदूत ने अर्थशास्त्री को समझाया - “आइडिया कागज़ पर अच्छा है पर जीवनचक्र में कई बातों का ध्यान रखना चाहिए। इन 700 लोगो में 246 लोगो ने देर से शादी की थी जिस कारण इनमे से कई की कई ज़िम्मेदारियाँ अभी पूरी नहीं हुई थी। इनमे कई लोग सेवानिवृत होने के बाद भी देश के लिए लाभ वाले काम कर रहे थे। तो इतना आसान नहीं है कि बुड्ढे उड़ा दो और देश का भार कम। बूढ़ा व्यक्ति समाज का बोझ नहीं ज़रूरत है। अब तुम्हारी सज़ा यह है कि इन 700 बुड्ढे-बुड्ढीयों की लिखा-पढ़ी तुम ही करोगे। नासपिटे! किसने दी तुम्हे डॉक्टरेट की उपाधि? जूत ही जूत बजा दें उसके!”
समाप्त!