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समय का उधार (कहानी) #मोहितपन

18 अक्टूबर 2016

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पणजी स्थित निजी पर्यटन कंपनी में सेल्स मैनेजर आनंद कुमार एक अरसे बाद कुछ दिनों की छुट्टियों पर अपने घर अलीगढ आया था। पहले कभी कॉलेज हॉस्टल से छुट्टियों में घर लौटकर जो हफ़्तों की बेफिक्री रहती थी वो इस अवकाश में नहीं थी। रास्ते में ही आनंद को काम में कुछ अधूरे प्रोजेक्ट्स की बेचैनी सता रही थी। माँ, पिता और छोटी बहन से मिलकर कुछ देर के लिए आनंद को सुकून मिला।

माँ देखते ही शिकायत करने लगी कि “रंग कितना गिर गया है, चेहरे पर निशान हो गए हैं। अपना बिल्कुल भी ख्याल नहीं रखता ये लड़का!”

घर अब पहले सा क्यों नहीं लग रहा? आनंद के मन में उथल-पुथल चल रही थी…. पहले मुझे अगले दिन तक की फ़िक्र नहीं रहती थी, आज इतनी चिंता क्यों है? माँ-बाप जो कभी खाली बैठना पसंद नहीं करते थे अब उम्र के असर से धीरे-धीरे चलते है और उन्हें बीमारी, जोड़ों के दर्द को सहते हुए काम करते देखकर तकलीफ होती है। माँ किचन में खाना बनाते हुए अपनी खांसी नहीं रोक पा रही थी, लंगड़ाते हुए जब वों खाना लेकर आयीं तो आनंद बड़ी मुश्किल से अपनी पीड़ा छुपा पाया। वह माँ जो उसे गोद में लेकर घंटो तक पार्क, मेलों में घुमा लाती थी, जिसका बीमार होना घर में किसी को कभी पता नहीं चलता था। आज उनमे मेरे प्रति उतना ही स्नेह था पर उनका शरीर साथ नहीं दे रहा था। अपनी सर्विस में 12-15 घंटे की शिफ्ट करने वाले पिता जी का स्वास्थ्य अब अक्सर ख़राब रहता। पढाई के साथ-साथ बहन को घर का काम करना पड़ता। घरवालो की इस हालात को देखकर मुझे खुद पर शर्म आई। कुछ समय पहले तक मैं सोच रहा था कि मेरे लगभग सभी दोस्तों की शादी हो गयी है और मैं 30 साल का हो चूका हूँ, मुझे भी पणजी में अपनी गृहस्थी बसानी चाहिए। अब घर की स्थिति देखकर लगता है कुछ पैसे और जोड़कर 3-4 साल बाद शादी करनी चाहिए।

आनंद शहर में रह रहे अपने बचपन के स्कूली मित्रों के हाल-चाल लेने निकला। 5-6 मित्र जब साथ मिले तो लगा ही नहीं कि इतना समय अंतराल हुआ है, वही पुरानी बेफिक्री और हँसी-ठहाको का माहौल लौट आया। नुक्कड़ की गुमटी पर चाय के दौर में सबने अपने बीते वर्षों के किस्से बांटे। काफी समय बाद आनंद के माथे पर जो शिकन हमेशा बनी रहती थी, वो कुछ देर के लिए मिट गयी। फिर किसी दोस्त ने कहा - “सुना अंशु मैम गुज़र गयीं।” सभी चुप हो गए, उन्हें याद आया कि हरदम शैतानी करने वाले वो बच्चे कैसे अंशु मैम की क्लास में भोले, मासूम बन कर बैठ जाते थे। जो किसी विषय में ढंग से पढाई नहीं करते थे, काम पूरा नहीं करते थे, वो अंशु मैम के विषय सोशल स्टडीज़ में बाकी क्लास से बेहतर करते थे। मैम को क्या पसंद है, मैम का घर कहाँ है, घर में कितने लोग हैं, मैम का रूटीन क्या है आदि जैसी कई बातें आनंद और उसके गुट को रटी हुई थी। अंशु मैम उनका पहला क्रश थी, जिनके प्रति वो सब आकर्षित तो थे साथ ही सब उनका बहुत आदर करते थे। मैम को इम्प्रेस करने में आनंद सबसे अव्वल था। क्या क्लासवर्क, क्या होमवर्क वह तो कोर्स से बाहर की बातें तक याद करता था कि कहीं मैम के सामने स्टाइल मारने में काम आ जाएं। गुट का नेता होने के नाते बाकी मित्र थोड़ा दबे रहते थे। फिर सबको कहीं से खबर मिली कि अंशु मैम की शादी होने वाली है। मित्रों में मातम सा छा गया, काश मैम 10-12 साल इंतज़ार कर लेती हमारे सेटल होने तक, वैसे ये अपेक्षा तो सबको पता थी कि वास्तविक नहीं थी लेकिन मैम की शादी दूसरे शहर में हो रही थी यानी सबके मन में उनके स्कूल को छोड़कर जाने का दुख अधिक था। अंशु मैम की शादी का दिन आया और सभी मित्र घर पर कोई ना कोई बहाना बनाकर, 21 किलोमीटर साइकिल चला कर शहर के दूसरे छोर पर स्थित विवाह स्थल फार्महाउस पर पहुंचे। वहाँ स्कूल का कोई बच्चा नहीं आया था बल्कि इक्का-दुक्का ही शिक्षक पहुंचे थे। दुल्हन बनी अंशु मैम बहुत सुन्दर लग रहीं थी। उन्हें देखकर सबके चेहरे खिल गए। आनंद एंड पार्टी का शाम को इतनी दूर तक साइकिल चला कर आना जैसे सफल रहा। मैम बच्चो को देखकर चौंक गयीं, उन्होंने सबको अपने पास बुलाया। पूछने पर आनंद ने बताया की सब उसके दोस्त के बड़े भैया की कार में आएं हैं। मैम ने सबको धन्यवाद दिया और कहा कि “क्लास में सबको न्योता तो मैंने यूँ ही दे दिया था। मुझे लगा कोई बच्चा तो वैसे भी नहीं आने वाला, तुम सब आये मुझे बहुत अच्छा लगा। शाम को ज़्यादा देर तक मत रुकना और अच्छे से खाना खाकर जाना। बच्चो ने मैम को गुलदस्ता दिया और ऐसे कोने में चले गए जहाँ से मैम उन्हें देख या टोक ना सकें। इतनी मेहनत करने के बाद सबको तेज़ भूख लगी थी, खाने की तरफ बढ़ते उनके कदम स्टेज पर आते दूल्हे को देखकर रुक गए। आनंद गुट को दूल्हे का चेहरा देखकर जैसे सांप सूंघ गया। सबके भोले मन में एक बात थी कि हमारी परी जैसे मैडम का वर इतना मोटा-थुलथुल, बदसूरत कैसे हो सकता है? और तो और ऐसे व्यक्ति से शादी करने को मैम राजी कैसे हुई? मैम इतनी खुश कैसे हो सकती हैं? ज़रूर मैडम की ज़बरदस्ती शादी की जा रही है। इस मार्मिक आघात के बाद मित्र मण्डली की भूख मर गयी। नम आँखें लिए सब लोग अपने घर को चले, जितनी तेज़ी से विवाह स्थल पर आने को वो लोग पैडल मार रहे थे, अब वापसी में साइकिल चलाना उतना ही भारी हो गया था। दूल्हे और उसके खानदान को भला-बुरा सुनाते हुए सबने किसी तरह रास्ता काटा। आज 16-17 वर्षों बाद अंशु मैडम की मौत की खबर ने वो साड़ी यादें ताज़ा कर दी।

मित्रों में अपनी कहानी साझा करने की बारी आनंद की थी। उसने दोस्तों को याद दिलाया कि कैसे किशोरावस्था में वो सब आनंद के शरीर और चेहरे की वजह से उसको मॉडलिंग में जाने की सलाह देते थे पर वह पढाई में व्यस्त हो गया। स्कूल वाले आनंद से काफी सयाने हो चुके इस आनंद के लिए सब जानने वाले आश्वस्त थे कि वह कहीं अच्छी जगह जाएगा। मित्रों के साथ उसने पढाई शुरू की, समय के साथ बहुत कम लोग अपने इच्छित क्षेत्र में सफल हुए, कुछ लोगो ने अपने अभिभावकों की सम्पत्ति से दूकान या कोई व्यवसाय शुरू किया और कुछ तैयारी में लगे रहे। उसके कई प्रयासों बाद जब वह कोई सरकारी नौकरी पाने में सफल नहीं हुआ तो उसने कुछ जगह नौकरी का आवेदन दिया। ऐसा नहीं था कि आनंद में दिमाग या लगन की कमी थी पर भारत जैसे विशाल देश में आवेदको की इतनी भीड़ थी कि हर बार वह लिखित या साक्षात्कार में ज़रा से अंतर से रह जाता और यह सिर्फ आनंद की कहानी नहीं थी, उसके जैसे लाखो लोग इन दशमलव अंको से जीवन की दौड़ हार रहे थे।

आखिरकार एक सिलाई मशीन और मिक्सी की कंपनी में उसे सेल्समैन की नौकरी मिल गयी। कभी ऐसी नौकरियों पर वह हँसता था और कमिश्नर, बैंक पीओ बनने के सपने देखता था। मशीन बेचने जाते हुए वह हमेशा यह प्रार्थना करता कि कहीं कोई जान-पहचान वाला ना देख ले और उसकी बेइज़्ज़ती ना हो जाए। जब उसने यह काम शुरू किया तब आनंद के मन में फील्ड वर्क करने वाले लोगो के लिए उसके मन में सम्मान बढ़ा। जीवन के बहुमूल्य वर्ष वह तैयारी में निकाल चुका था इसलिए वह अपनी नौकरी पूरी लगन से करने लगा। जो माँ का दुलारा हुआ था और धूप में बाहर निकलने में नखरे किया करता था वह अब मौसम की परवाह किये बिना अपने सेल्स टारगेट को पूरा करने में लगा रहता था। काम से उसकी त्वचा काली और धब्बेदार हो गयी, अनियमित खान-पान से उसका शरीर बेडोल हो गया। कुछ वर्ष पहले जिसे मॉडल बनने के सुझाव मिलते थे, अब कोई पुराना मित्र उसे देख कर पहचान नहीं सकता था। खैर मेहनत रंग लायी और उसे पणजी में अच्छे वेतन और बेहतर पद पर नौकरी मिल गयी। अब आनंद का लक्ष्य पैसे जुटाकर घरवालो का संघर्ष कुछ कम करना था। पणजी में काम करते हुए उसे 4-5 वर्ष हो चुके थे। उसकी कहानी सुन एक मित्र ने दिलासा दिया कि आनंद अकेला नहीं है देश की भीड़ में हर दूसरा व्यक्ति ऐसा ही संघर्ष करने को मजबूर है।

अपनी छुट्टी यादों में गोते लगाते हुए पूरी करने के बाद आनंद पूरे जोश के साथ नौकरी में जुट गया। उसकी मेहनत के सब कायल हो गए, 5 वर्षो में वह सीनियर मैनेजर, जोनल मैनेजर के पद से दक्षिण भारत में उस कंपनी का डिप्टी हेड बन गया। अब उसकी मासिक आय लाखों में हो गयी। माँ-बाप के लिए एक नया घर खरीदने और छोटी बहन की शादी करने के बाद 35 वर्ष की आयु में उसने शादी करने का मन बनाया। किस्मत से उसकी शादी एक सुशील व सुन्दर लड़की मधु से हुई, जिसने आनंद का संघर्ष देखा था और इसी वजह से वह आनंद की बहुत इज़्ज़त करती थी।

विवाह दिवस आया और आनंद स्टेज पर आया। ख़ुशी के अवसर पर परिवार के चेहरे खिले हुए थे, माता-पिता अपने बच्चे की मेहनत और तरक्की से खुश थे। उसकी मित्र मण्डली जश्न में डूबी थी, उनका हीरो, उनका लीडर आज घोड़ी चढ़ रहा था। फिर मेहमानों की भीड़ में आनंद की नज़र कई अनजान चेहरों पर पड़ी। कुछ लोगो की आँखों में अविश्वास था, तो कुछ उसका मज़ाक उड़ा रहे थे। मधु भी एक शिक्षिका थी और आखिरकार मधु के कुछ छात्र भी शादी में आये। सबकी प्रतिक्रिया वैसी ही थी जैसी 21-22 साल पहले अंशु मैम की शादी में उनके दूल्हे को देख कर आनंद और उसके मित्रों की थी। हर किसी की नज़रें जैसे कह रहीं हो कि परियों सी मधु मैडम का पति इतना मोटा, दाग-धब्बेदार, बदसूरत कैसे हो सकता है और मधु मैम इस शादी से इतनी खुश क्यों हैं? किसी को भी सालों तक बाहर भागने से धूप में जली आनंद की खाल, काम की जल्दी में हुई दुर्घटना से हुए निशान, समय की ठोकरो एवम व्यस्तता के चलते अनियमित खाने-पीने से बिगड़े-बेडोल शरीर, आँखों पर चश्मे की हकीकत नहीं पता थी। ना ही किसी ने पता करने की ज़हमत उठायी। नम आँखों के साथ आज आनंद (और उसके दोस्त) अन्य लोगो की नज़रों में अपने पुराने रूप को देख रहा था और अंशु मैम से माफ़ी मांग रहा था कि "मैडम! आपने गलत निर्णय नहीं लिया था, आपने सही इंसान को अपना जीवनसाथी चुना था।”

समाप्त!

- मोहित शर्मा ज़हन

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Art - Ihor P.

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सम्पादकीय - परिक्रमा कॉमिक (मोहित ट्रेंडस्टर, यश ठाकुर)

9 सितम्बर 2015
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कुपोषित संस्कार (कटाक्ष)

13 अप्रैल 2017
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वर्ष में एक बार होने वाले धार्मिक अनुष्ठान, हवन के बाद अपने अपार्टमेंट की छत पर चिड़ियों को पूड़ी-प्रसाद रखने गया तो 150 पूड़ियाँ देख के मन बैठ गया कि मेरी पूड़ी तो इतनी कुरकुरी भी नहीं लग रही जो बाकी डेढ़ सौ को छोड़ कर कोई कौवा या चिड़िया इसमें कुछ रूचि ले। फिर कुत्ते और गाय को नीचे ढूंढ़ने निकला ही था कि

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बाज़ीगरनी (लघुकथा) - लेखक मोहित शर्मा ज़हन

25 मई 2016
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अक्सर सही होकर भी बहस में हार जाना दीपा की आदत तो नहीं थी, पर उसका बोलने का ढंग, शारीरिक भाषा ऐसी डरी-दबी-कुचली सी थी कि सही होकर भी उसपर ही दोष आ जाता था। जब वह गलत होती तब तो बिना लड़े ही हथियार डाल देती। आज उसकी एफ.डी. तुड़वा कर शेयर में पैसा लगाने जा रहे पति से हो रही उसकी बहस में उसके पास दमदार त

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कलरब्लाइंड साजन (कहानी) #ज़हन

9 जुलाई 2017
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Color Blind Lover (Hindi Story)"देखना ये सही शेड बना है? आना ज़रा...""मैं नहीं आ रही! जब कोई काम कर रही होती हूँ तभी तुम्हे बुलाना होता है।"अपने कलाकार पति आशीष को ताना मारती हुई और दो पल पहले कही अपनी ही बात ना मानती हुई रूही, उसके कैनव

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Micro Fiction Experiment (Kidnap) - मोहित शर्मा ट्रेंडस्टर

28 नवम्बर 2015
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Theme: अपहरण (Kidnapping) - Mohit Trendster*) - बाहरी लोग सही कहते थे जंगली लोग जादू-टोना करते है। दो महीनों तक घने जंगल की गुमनामी में बंधक बना पर्यटकों का दल आज उन्हें बचाने आये कमांडोज़ और उनके अपरहरणकर्ता कबीले वालों के बीच में ढाल बनकर खड़ा था। *) - बब्बन पाशा चिंतित था। बड़े गुटों के कुछ आत्मघाती

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सीमा समाप्त (हॉरर कहानी) #ज़हन

29 जुलाई 2017
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रात के 3 बजे सरोर पुलिस थाने से सटे कमरे में सोते दीवान जी की किवाड़ ज़ोर से धड़धड़ाई। यकायक हुई तेज़ आवाज़ से दीवान जी उठ बैठे। उन्होंने तो जूनियर मुंशी को थाने पर किसी इमरजेंसी

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अकूत संपत्ति (कहानी) - मोहित शर्मा ज़हन

19 जून 2016
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2 पुराने दोस्त राजीव मेहरा और मयंक शर्मा 18-20 सालों बाद मिले थे। भाग्य के फेर से अपनी ज़िंदगियों में काफी व्यस्त और एक-दूसरे से हज़ारों किलोमीटर दूर की शुरू के कुछ सालों बाद दोनों जैसे भूल ही गए अपने जिगरी यार के हाल-चाल लेना। इतने समय में कई चीज़ें बदल गयीं थी। अब प्रौढ़ अवस्था में वो किशोरों वाली फुर

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खौफ की खाल (नज़्म) #ज़हन - पगली प्रकृति कॉमिक

6 नवम्बर 2017
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Poetry and artwork from Pagli Prakriti (Vacuumed Sanctity) Comicखौफ की खाल उतारनी रह गयी,...और नदी अपनों को बहा कर ले गयी!बहानों के फसाने चल गये,ज़मानों के ज़माने ढल गये...रुक गये कुछ जड़ों के वास्ते,बाकी शहर कमाने चल दिये। खौफ की खाल उतारनी रह गयी,गुड़िया फ़िर भूखे पेट सो गयी...समझाना कहाँ था मुश्किल, क

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पत्रिका - इंडियन कॉमिक्स फैंडम (फ्रीलान्स टैलेंट्स)

7 सितम्बर 2015
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हम सब (आंशिक) पागल हैं #लेख

8 दिसम्बर 2017
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मानसिक रूप से अस्थिर या गंभीर अवसाद में सामान्य से उल्टा व्यवहार करने वाले लोगों को पागल की श्रेणी में रखा जाता है। समाज के मानक अनुसार सामान्यता का प्रमाणपत्र लेना आसान है - आम व्यक्ति, अपनी आर्थिक/सामाजिक स्थिति अनुसार हरकतें और आम जीवन। इतनी परतों वाला जीवन क्या केवल दो श्रेणियों में बाँटा जा सकत

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स्वर बंधन (लघुकथा) - मोहित शर्मा ज़हन

4 जुलाई 2016
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आलीशान बंगले में एक अंधी महिला ने प्रवेश किया। स्टाफ मे नई सेविका ने उत्सुकतावश हेड से पूछा। "ये कौन है?"स्टाफ हेड - "मैडम के बच्चे चीकू की देखभाल के लिए..."सेविका - "पर ये तो देख नहीं सकती? क्या मैडम या साहब को दया आ गई इस बेचारी पर और कहने भर को काम दे दिया?"स्टाफ हेड - "तुझे साहब लोग धर्मशाला वाल

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लोड शैडिंग (कहानी) - मोहित शर्मा ज़हन

6 जुलाई 2016
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यमराज के सामने एक छोटे द्वीप समूह देश का बड़ा अर्थशास्त्री (इकोनॉमिस्ट) बंदी बना खड़ा था। उसपर (उस व्यक्ति के भूत पर) 700 लोगो को डराकर मारने का आरोप था, जो उसने तुरंत मान भी लिया था। उसने बताया कि मरने के बाद उसकी अतृप्त आत्मा देश की अर्थव्यवस्था की बिगड़ी हालत से परेशान थी। दुनिया से जाते-जाते उसने स

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एक अधूरा प्रोजेक्ट :( - मोहित ज़हन

11 सितम्बर 2015
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बीटा टेस्टिंग इकाई (भारतीय कॉमिक्स)

12 जुलाई 2016
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नमस्ते! यह विचार काफी समय से मन में है और संजय गुप्ता जी से साझा कर चूका हूँ हालांकि उस समय विस्तार से समझा नहीं पाया था पर जितना उन्होंने सुना था उन्हें पसंद आया था। मित्रों, प्रो रसलिंग आप देखते होंगे या उसके बारे में थोड़ा बहुत अंदाज़ा होगा। वर्ल्ड रसलिंग एंटरटेनमेंट या डब्लू.डब्लू.ई. के अलावा अमेर

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"बड़े हो जाओ!" - मोहित शर्मा (ज़हन)

26 जनवरी 2016
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अपनी बच्ची को सनस्क्रीन लोशन लगा कर और उसके हाथ पांव ढक कर भी उसे संतुष्टि नहीं मिली। कहीं कुछ कमी थी...अरे हाँ! हैट तो भूल ही गया। अभी बीमार पड़ जाती बेचारी...गर्दन काली हो जाती सो अलग। उस आदमी को भरी धूप, गलन-कोहरे वाली कड़ी सर्दी या बरसात में भीगना कैसा होता है अच्छी तरह से पता था। ऐसा नहीं था कि व

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स्वर्ण बड़ा या पीतल? (कहानी)

19 जुलाई 2016
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शीतकालीन ओलम्पिक खेलों की स्पीड स्केटिंग प्रतिस्पर्धा में उदयभान भारत के लिए पदक (कांस्य पदक) जीतने वाले पहले व्यक्ति बने। यह पदक इसलिए भी महत्वपूर्ण था क्योकि भारत में शीतकालीन खेलों के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी। मौसम के साथ देने पर हिमांचल, कश्मीर जैसे राज्यों में कुछ लोग शौकिया इन खेलों को खेल लेत

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हीरोज़ इन रियल हार्श वर्ल्ड सीरीज - मोहित ट्रेंडस्टर

7 सितम्बर 2015
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99 का फेर (कहानी)

26 जुलाई 2016
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एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में उच्च पद पर कार्यरत हितेश कंपनी की तरफ से मिले टूर पर अपने माता-पिता को यूरोप के कुछ देश घुमाने लाया था। टूर के दूसरे दिन उसके अभिभावक सूरज कुमार और वीणा गहन विषय पर चिंतन कर रहे थे। सूरज कुमार - “टूर तो कंपनी का है पर फिर भी यहाँ घूमने-फिरने में काफी खर्चा हो जाएगा।”वीणा -

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#शायरी - मोहित शर्मा ज़हन

28 फरवरी 2016
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1) - यूँ ही फिर दिल को कोई नयी बात लुभा गई,गिचपिच, मन की संकरी गलियों से किसी पुरानी याद को हटा गई… जो याद हटी….जाते-जाते आखरी बार ख़्वाब में आ गई…===================2) - दुनियाभर को बकवास जिसने बताया, वो रुखा दार्शनिक…एक बच्चे की मुस्कान पर रिझ गया…कितने बही खाते सिफर में उलझे रहे, और एक तस्वीर में

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कद्दू ले लो (धर्मनिरपेक्ष कहानी) #मोहितपन

4 सितम्बर 2016
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एक महत्वपूर्ण संदेश देती यह ऑडियो कहानी.*) – Youtube: http://goo.gl/AeI1Bv*) – SoundCloud: http://goo.gl/klCe7H *) – Vimeo: http://goo.gl/uaQ4IhDuration – 5 Minutes 28 Seconds

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बागेश्वरी पत्रिका # ०६ में मेरी रचनाएँ......

19 सितम्बर 2015
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इंडी आर्टिस्ट का मतलब क्या है?

7 अक्टूबर 2016
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Art - Thomas Lepineकिसी रचनात्मक क्षेत्र में किये गए स्वतंत्र काम को इंडी (Indie/Indy) यानी इंडिपेंडेंट रचना कहा जाता है। इंडी काम कई प्रकार और स्तर का हो सकता है, कभी न्यूनतम या बिना किसी निवेश के बनी रचना केवल कला के बल पर अनेक लोगो तक पहुंच सकती है और धन अर्जित कर सकती है, तो कभी कलाकार का काफी प

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"आप करें तो हुनर...हमारे लिए गुज़र-बसर!"

5 मार्च 2016
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कटाक्ष टून

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इंसानी परी (पेरीफेरल एंजल) कॉमिक

19 नवम्बर 2016
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नीरजा भनोट को काव्य कॉमिक के रूप में श्रद्धांजलि देने की कोशिश की है . अब यह आप बताइये इसमें कितना सफल रही मेरी टीम .Available (Online read or download):Readwhere, Scribd, Author Stream, ISSUU, Freelease, Slideshare, Archives, Fliiby, Google Books, Play store, Daily H

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समय का उधार (कहानी) #मोहितपन

18 अक्टूबर 2016
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पणजी स्थित निजी पर्यटन कंपनी में सेल्स मैनेजर आनंद कुमार एक अरसे बाद कुछ दिनों की छुट्टियों पर अपने घर अलीगढ आया था। पहले कभी कॉलेज हॉस्टल से छुट्टियों में घर लौटकर जो हफ़्तों की बेफिक्री रहती थी वो इस अवकाश में नहीं थी। रास्ते में ही आनंद को काम में कुछ अधूरे प्रोजेक्ट्स की बेचैनी सता रही थी। माँ, प

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अक्ल-मंद समर्थक (कहानी) - मोहित शर्मा ज़हन

13 मार्च 2016
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Scene 1) - एक हिंसक गैंगवार के बाद एक छोटे कसबे के घायल नेता को उसके समर्थको की भीड़ द्वारा अस्पताल लाया गया। डॉक्टर्स ने जांच के बाद नेता जी को मृत घोषित कर दिया।  "अरे ऐसे कैसे हमारे मसीहा को मरा हुआ बता दिया?" समर्थको का गैंगवार से मन नहीं भरा था। .....उन्होंने डॉक्टर्स को ही पीट-पीट कर मृत घोषित

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अपने-अपने क्षितिज - लघुकथा संकलन

9 दिसम्बर 2016
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4 stories in the anthology, Book Launch: 8 January, 2017 - World Book Fair Delhi :)अपने-अपने क्षितिज - लघुकथा संकलन (वनिका पब्लिकेशन्स)56 लघुकथाकारों की चार-्चार लघुकथाओं का संकलन।मुखावरण - चित्रकार कुंवर रविंद्र जीविश्व पुस्तक मेले में 8 जनवरी 2017 को 11:30 बजे वनिका पब्लिकेशन्स के स्टैंड पर इस पुस

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किसका कठिन काम (लघुकथा) - मोहित ट्रेंडस्टर

24 अक्टूबर 2015
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कल कंपनी की क्वार्टर क्लोजिंग होने के कारण संदीप, राघव और प्रखर को देर रात तक रुक कर काम और खाते निपटाने के आदेश मिले थे। त्यौहार की लगातार छुट्टियों के तुरंत बाद क्लोजिंग उनके शिथिल शरीरों और दिमागों को अल्सर की तरह दर्द दे रही थी। दफ्तर, बॉस, फाइल्स, लैपटॉप, बांग्लादेशी प्रवासी, केंद्र सरकार, ससुर

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जुग जुग मरो #1 - मुआवज़ा (काव्य कॉमिक) #ट्रेंडस्टर

21 जनवरी 2017
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जुग जुग मरो सीरीज की पहली कविता और कॉमिक्स के संगम से बनी काव्य कॉमिक्स, "मुआवज़ा" शराबियों और सरकार पर कटाक्ष है, जो अपने-अपने नशे में चूर पड़े रहते हैं और जब तक उन्हें होश आता है तब कुछ किया नहीं जा सकता। अपना मन बहलाने के लिए कड़े कदम और राहत की मोक ड्रिल की जाते है

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लेखकों के लिए कुछ सुझाव

27 मार्च 2016
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हर लेखक (या कवि) अपनी शैली और पसंद के अनुसार कुछ रचना-पद्धतियों (genres) में अच्छा होता है और कुछ में उसका हाथ तंग रह जाता है। यह कहना ज़्यादा ठीक होगा कि कुछ विधाओं में लेखक अधिक प्रयास नहीं करता। समय के साथ यह उसकी शैली का एक हिस्सा बन जाता है। अक्सर किसी अनछुई विधा को कोई लेखक पकड़ता भी है तो उसमे

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सुविधानुसार न्यूक्लीयर परिवार (कहानी)

16 फरवरी 2017
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अपने छोटे कस्बे से दूर सपनो के सागर में गोते लगाता एक रीमा और मनोज का जोड़ा बड़े शहर के कबूतरखाना स्टाइल अपार्टमेंट में आ बसा। जितना व्यक्ति ईश्वर से मांगता है उतना उसे कभी मिलता नहीं या यूँ कहें की अगर मिलता है तो माँगने वाले की नई इच्छाएं बढ़ जाती है। कुछ ऐसा ही इस दम्पति के साथ हुआ, सोचा कितना कुछ औ

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Mohitness {मोहितपन} - मोहित शर्मा ज़हन ब्लॉग

8 सितम्बर 2015
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Mohitness {मोहितपन} - मोहित शर्मा ज़हन ब्लॉग

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स्लीपर क्लास पत्नी, फर्स्ट ए.सी. पति (कहानी)

22 फरवरी 2017
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कुंठा अगर लंबे समय तक मन में रहे तो एक विकार बन जाती है। कुंठित व्यक्ति यूँ ही गढ़ी बातों को बिना कारण विकराल रूप दे डालता है। कुछ ऐसा ही हाल विकल को अपने मित्र और बिज़नस पार्टनर चरणप्रीत का लग रहा था। एक बार व्यापार से जुड़े मामले में दोनों मित्र कार से दूसरे शहर जा र

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बागेश्वरी पत्रिका (मई-जून 2016)

30 अप्रैल 2016
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नमस्ते! बागेश्वरी के नये अंक में मेरी रचना "  उदार प्रयोग"https://www.facebook.com/BageshwariHindiMagazine/

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कुत्ते ने काट लिया! (हास्य कहानी) #ज़हन

10 मार्च 2017
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दिलजला कुत्ताकुत्ते के काटने और गोली लगने में तुलना की जा सकती है। जैसे कुत्ता काटकर निकल ले, उसके दाँतों और आपके शरीर का कोण सही ना बैठे या आप तुरंत छुड़ा लें, तो उसे गोली शरीर से छूकर निकलना कहा जा सकता है, फिर दूसरा होता है कि कुत्

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पैरानॉयड मीडिया - मोहित ट्रेंडस्टर

11 नवम्बर 2015
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Y - "आखिर हम मीडिया वालो से समस्या क्या है आपको? जो हो रहा है देश में वही तो दिखाया जाता है।"Z - "तो भाई साधारण लेंस इस्तेमाल क्यों नहीं होता? मैग्नीफाइंग ग्लास क्यों उपयोग करते है आप मीडिया वाले?"Y - "मैं समझा नहीं!"Z - "एक उदाहरण, हिंसक अपराधो में भारत का स्थान दुनिया में कहीं बीच में 70-80 रहता ह

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शाकाहारी मनोज का मांसाहारी बदला (कहानी) #ज़हन

19 मार्च 2017
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पंखे की आवाज़ से ध्यान हटाकर मनोज कुछ महीनो पहले की अपनी मनोस्थिति सोच रहा था। तब गाँव से शहर आकर पढाई और सरकारी नौकरियों की प्रतियोगी परीक्षाओं तैयारी करना मनोज को जितना कठिन लग रहा था, असल में उतना था नहीं। यहाँ बने घनिष्ठ मित्रों, शिक्षको के सहयोग से मनोज का सफर कुछ आसान हो गया था। हालांकि, कुछ बा

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अब लगता है....(नज़्म) - मोहित शर्मा ज़हन #ट्रेंडस्टर

15 मई 2016
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*) - अब लगता है.... मेरे पहरे में जो कितनी रातों जगी,कब चेहरा झुकाए मुझे ठगने लगी,पिछले लम्हे तक मेरी सगी,जानी पहचानी नज़रें अब चुभने लगीं। याद है हर लफ्ज़ जो तुमने कहा थाअब लगता है.... इश्क़ निभाना इतना भी मुश्किल न था.... अटके मसलात पर क़ाज़ी रस्म निभाए,उम्मीदों में उलझा वो फिर कि... ...पुराने कागज़ों म

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तेरे प्यार के बही-खाते... #ज़हन

27 मार्च 2017
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जुबां का वायदा किया तूनेकच्चा हिसाब मान लिया मैंने,कहाँ है बातों से जादू टोना करने वाले?तेरी कमली का मज़ाक उड़ा रहे दुनियावाले... रोज़ लानत देकर जाते,तेरे प्यार के बही-खाते...तेरी राख के बदले समंदर से सीपी मोल ली,सुकून की एक नींद को अपनी 3 यादें तोल दी।इस से अच्छा तो बेवफा हो जाते,कहीं ज़िंदा होने के मि

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८४ टीयर्स - मोहित ट्रेंडी बाबा, रवि शंकर

6 सितम्बर 2015
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लालच का अंकुर (कहानी) #ज़हन

11 अप्रैल 2017
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वास्तु वन्य अभयारण्य की खासियत उसके तरह-तरह के पशु, पक्षी थे। इतने कम क्षेत्रफल में इतनी अधिक विविधता पर्यटकों को लुभाती थी क्योंकि उन्हें पता था कि यहाँ आने पर उन्हें कई जंगली और लुप्तप्राय जानवर ज़रूर दिखेंगे। वास्तु अभयारण्य की दुर्गम स्थिति और अच्छी सुरक्षा के कारण

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क्या सीखा मैंने अपनी Dushman (Anti-Body) Short film से...

21 मई 2016
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कल पुणे के थीएट्रिकस ग्रुप द्वारा एलियन हैंड सिंड्रोम नामक मानसिक विकार (जिसमे व्यक्ति का एक हाथ कभी-कभी उसके नियंत्रण से बाहर होकर अपनी मर्ज़ी से हिलने-डुलने लगता है, चीज़ें पकड़ने लगता है और कुछ मामलों में लोगो पर या स्वयं पीड़ित पर हमला करता है) पर मेरी लिखी कहानी-स्क्रिप्ट पर 'दुश्मन (एंटी-बॉडी)' ना

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मरणोपरांत आशीर्वाद (कहानी) #ज़हन

18 अप्रैल 2017
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पत्नी के देहांत के बाद रविन्दु सामंत गहरे अवसाद में चले गए थे। उनकी दिनचर्या अपने कमरे तक सीमित हो गयी थी। वहीं उनके तीन बच्चो की अब और इंतज़ार करने की इच्छा नहीं थी। एक शांत दिन उनके 3 बच्चो ने उन्हें बेहोशी की दवा सुंघा कर बेहोश किया और फिर पंखे से टांग कर उन्हें मार दिया गया, कुछ इस तरह कि पत्नी क

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भ्रम की परत (कहानी) - मोहित ट्रेंडस्टर

23 नवम्बर 2015
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किस्मत का साथ ना देना तो अक्सर सुना है पर किस्मत का सूद समेत हिसाब वसूलना कम ही देखने को मिलता है। अवनीश मोहन की आध्यात्म, धर्म, योग व् आयुर्वेद में रूचि थी पर नौकरीपेशा होने के कारण इनमे कम समय दे पाता था। किसी विषय में रूचि होने से आप स्वतः अपने जाननेवालो में उस विषय के अंधों में काणे राजा बन जाते

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कुछ हास्य मिनी-पॉडकास्ट

8 मई 2017
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अपने खाली समय में ऑडियो रिकॉर्ड करता रहता हूँ . हाल ही में रिकॉर्ड किये कुछ सेकण्ड्स के पॉडकास्ट आप लोगो से साझा कर रहा हूँ . 1) - Hindi Songs Funny Remix by Local DJs2) - Accessories (Indian Songs)3) - Doga 2008 Song Sample - Mohit Trendster4) - Bollywood Pls (Dooba Dooba)Also updated on Vimeo, Cyl

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हॉरर नोवेला - मरो मेरे साथ!

2 जून 2016
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डेलीहंट के सौजन्य से मेरी 2008 में प्रकाशित हॉरर कहानी दोबारा नये कवर के साथ पब्लिश की जा रही है .

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विकिपीडिया और बिकाऊ मीडिया के पार की दुनिया (कहानी) #ज़हन

10 जुलाई 2017
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नाखून चबाती मशहूर अभिनेत्री मेघना कमल कमरे में इधर-उधर टहल रही थी। फ़ोन पर अपने मैनेजर पर चिल्लाती हुई वो टीवी न्यूज़ चैनल्स बदल-बदल कर खुद पर आ रही खबरों को देखने लगी। पिछली रात पास के अपार्टमेंट में से किसी ने उसकी एक वीडियो बनाई थी जिसमें वो एक पिल्ले को किक मारती हुई अपने बंगले से बाहर कर रही थी।

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A Minus vs. B Plus (#mohitness)

10 सितम्बर 2015
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A Minus - "जब-तब लोगो को कहते सुनता हूँ कि फलाना 25 वर्षों से हमारी समिति के सदस्य है, यह वरिष्ठ सदस्या ढिमकानी बहन जी दशको से इस संस्था की सेवा करती आ रही है। इन उदाहरणों में थोड़े वेरिएशंस और जोड़ लो।"B Plus - "हाँ तो दिक्कत क्या है, कोई वर्षो तक कहीं अपना योगदान दे तो उसका सम्मान होना चाहिए। यह तो

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कोलेबोरेटिव पेंटिंग कलाकार ज्योति सिंह के साथ...

18 जुलाई 2017
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आर्टिस्ट ज्योति सिंह के साथ एक और पेंटिंग पर विचार साझा किये, यह एक चित्र को देखकर प्रेरणा ली.Painting details - Oil on canvas, size-24"24" inch, inspired by a pic… Concept description - प्रकृति से ऊपर कुछ नहीं! प्रकृति (मदर नेचर) स्वयं में एक सच है, प्रकृति पूरक है, पालक है और संहा

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भूतनी बीवी (कहानी) - मोहित शर्मा ज़हन

12 जून 2016
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गर्मी और उमस से परेशान क्षितिज छत पर टहल रहा था तभी एक आवाज़ से वह ठिठका, जैसे किसी ने उसका नाम लिया हो। मन का वहम मान कर वह मुड़ा तो “हू!” उसकी पत्नी राधिका हँस रही थी। क्षितिज की घिग्घी बंध गई, राधिका को मरे 4 महीने हो गए थे। डर के मारे क्षितिज की लो फ्रीक्वेंसी चीख निकली जो इंसान तो नहीं पर शायद चम

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मतलबी मेला (काव्य कॉमिक) #ज़हन

3 अगस्त 2017
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कल कई प्रमुख ऑनलाइन पोर्टल्स पर काव्य कॉमिक "मतलबी मेला" प्रकाशित हुई। बम ब्लास्ट त्रासदी को एक बच्ची की आँखों से देखने की कोशिश..... साथी चित्रकार अनुज कुमार जी ने जब यह कॉमिक बनायीं थी तब वो नए थे और इसपर कलर होने में इतना समय लगा अब उनकी कला में बहुत सुधार आया है। यह काव्य-कहानी भी 10 साल पुरानी

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सेल्फिश बुक (नया संकलन)

6 दिसम्बर 2015
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The Selfish Book: and Other Stories by M. Kari Barr, Oscar Wilde, Andrew Lawson, Christina Foster, Stephanie Haw, Mohit Sharma, Star Belina Ryan.Children's stories written to capture the essence of Oscar Wilde by various authors from around the world. Published - 17 Novemver 2015Publisher - Melani B

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जीवन में विलेन ढूँढने की आदत (लेख) #ज़हन

29 सितम्बर 2017
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कॉमिक्स लेखन में एक कहावत है, "विलेन भी अपनी नज़रों में हीरो होता है।" खलनायक अपनी छोटी भूल से लेकर जघन्य अपराधों तक का इतनी चपलता से स्पष्टीकरण देता है कि लगे उस स्थिति में सबसे ठीक विकल्प वही था। बचपन से हमें बुराई पर अच्छाई की जीत वाली कई गाथाओं का इस तरह रसपान करवाया जाता है तो कोई भी बुरा नहीं ब

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शोबाज़ी (कहानी) - मोहित शर्मा ज़हन

27 जून 2016
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छात्रों के पास से गुज़रती प्रोफेसर के कानो में कुलदीप की एक बात पड़ी। "हमारे पूर्वजो ने तुम्हे बचाया। तुम लोगो के घर-बार और तुम्हारी बहु-बेटियों की इज़्ज़त लुटने से बचाने वाले हम लोग ही थे। अगर हम न होते तो क्या होता तुम्हारे समुदाय का?"प्रोफेसर के कदम थम गए, ऐसा वाक्य उन्होंने पहली बार नहीं सुना था। वो

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कलाकार के प्रकार (लेख) #ज़हन

16 नवम्बर 2017
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एक कला क्षेत्र के प्रशंसक, उस से जुड़े हुए लोग उस क्षेत्र में 2 तरह के कलाकारों के नाम जानते हैं। पहली तरह के कलाकार जिनके किये काम कम हैं। फिर भी उन्होंने जितना किया है सब ऐसे स्तर से किया है कि प्रशंसकों, क्षेत्र के बाहर कई लोगों को उनके बारे में अच्छी जानकारी है। दूसरी तरह के कलाकारों के काम की सं

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सबकी अनैतिक बढ़त - लेखक मोहित शर्मा (ज़हन)

4 सितम्बर 2015
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अंतर्राष्ट्रीय साइकिल रेस के लिए चुना गया नेचुरल कोर्स शिव के लिए नया नहीं था। आखिर यही वह रास्ता था जहाँ वो वर्षो से प्रतिदिन अभ्यास करता था। उसके मित्रों और जानने वालो को पूरा विश्वास था कि यह रेस जीतकर शिव अंतर्राष्ट्रीय सितारा बन जाएगा। कॉलेज में कुछ हफ्ते पहले ही उसको यह दर्जा मिल गया था। शिव क

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वीभत्स रस नज़्म - सड़ता हुआ मांस क्या कहेगा?

3 दिसम्बर 2017
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अपने रचे पागलपन की दौड़ में परेशान समाज की कुत्सित मानसिकता "अच्छा-अच्छा मेरा, छी-छी बाकी दुनिया का" पर चोट करती 'वीभत्स रस' में लिखी नज़्म-काव्य। यह नज़्म आगामी कॉमिक 'समाज लेवक' में शामिल की है - सड़ता हुआ मांस क्या कहेगा?सड़ता हुआ मांस क्या कहेगा? बिजबिजाते कीड़ों को सह

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गूगल अनुवाद में योगदान

3 जुलाई 2016
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गूगल ट्रांसलेट कम्युनिटी का हिस्सा बन अनुवाद शुरू किया था शब्दों और वाक्यों का दोनों भाषाओँ में. आप लोग भी कर सकते हैं .

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प्रतिक्रियाओं पर प्रतिक्रिया (हर कलाकार के लिए लेख) #ज़हन

9 दिसम्बर 2017
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हर प्रकार के रचनात्मक कार्य, कला को देखने वाले व्यक्ति की प्रतिक्रिया अलग होती है। यह प्रतिक्रिया उस व्यक्ति की पसंद, माहौल, लालन-पालन जैसी बातों पर निर्भर करती है। आम जनता हर रचनात्मक काम को 3 श्रेणियों में रखती है - अच्छा, ठीक-ठाक और बेकार। हाँ, कभी-कभार कोई काम “बहुत बढ़िया / ज़बरदस्त” हो जाता है औ

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हास्य पॉडकास्ट - अवचेतन मस्तिष्क लोचा (मोहित शर्मा ट्रेंडस्टर)

14 दिसम्बर 2015
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My latest comedy podcast after a log time, "Avchetan Mastishk Locha". Do leave feedback! Podcast link:https://soundcloud.com/mohit-trendster/avchetan-mastiksh-locha-mohit-trendsterAlso uploaded - Vocaroo, Clyp, Picosong, wordpress etc.Aapke mastishk, mastiksh.... masshuhs...Massachusetts... Dimaag m

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कला में संतुलन की कला #ज़हन

12 दिसम्बर 2017
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“लाइफ इज़ नॉट फेयर”, ये प्रचलित कहावत है। मैंने पहले कई बार कलाकारों की दयनीय स्थिति पर बात रखी है। आज एक अलग सिरे से विचार रख रहा हूँ। कलाकार अगर प्रख्यात हो जाये तो जीवन सही है और अगर ना हो तो लाइफ इज़ नॉट फेयर? नहीं! मैंने अलग क्षेत्रों के कई तरह के कलाकारों में एक बात देखी, जिसे शायद वो समझा ना प

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बागेश्वरी (जनवरी - फरवरी २०१६) में रचनाएँ

1 जनवरी 2016
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An article and Micro Fiction experiments in January - February 2016 issue of Bageshwari Magazine (Editor Mr. Yogesh Amana Yogi)

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जीवन दण्ड (कहानी) - मोहित शर्मा ज़हन

7 जुलाई 2016
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ढेरी नामक तटीय क्षेत्र के जंगल में मानव सभ्यता से दूर टोमस जंगली प्रजाति रहती थी। अब तक दुनिया में ऐसी गिनी-चुनी प्रजातियां रह गयीं थी जिनका मानव सभ्यता से कोई संपर्क नहीं हुआ हो। किसी भी संपर्क की कोशिश पर टोमस जंगली बेहद आक्रामक हो जाते और इनकी सुरक्षा के लिए सरकार या सेना को पीछे हटना पड़ता। समय क

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लंगूरी प्रणाली (काव्य कॉमिक)

7 सितम्बर 2015
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जागते रहो! (हॉरर कहानी) #मोहितपन

10 जुलाई 2016
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नील को पता था कि उसे सीवियर स्लीप पैरालिसिस की समस्या थी। इस विकार में कभी-कभी नींद खुलने पर उसका दिमाग कई मिनट जगा रहता था और अपने आस-पास की चीज़ें महसूस करता था पर वह अपनी मर्ज़ी से अपना शरीर नहीं हिला पाता था। ऊपर से सोने पर सुहागा ये कि ऐसी अवस्था में अक्सर उसे भ्रम की स्थिति होती थी। भ्रम और डर म

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भूत स्वैग - लेखक मोहित शर्मा ज़हन #mohitness

19 जनवरी 2016
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Holi festival 2014 Pic---------------------------------टीनएजर भूतों के एक ग्रुप के लड़के एक दूसरे पर शेखी बघार रहे थे। भोलू भूत - "भाई एक बार मैं इंद्र देव की मूर्ति के बगल से निकल चुका हूँ।" भक भूत - "चल बे! इतने में ही बस ..मै तो शिवजी भोलेनाथ की प्रतिमा के सामने से गया हूँ।" पीछे से आवाज़ - "बस-बस!

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राष्ट्र-प्रकृति (कहानी) #मोहितपन

13 जुलाई 2016
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दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों में से एक सीन की राजधानी चीबिंग में 5 दिवसीय विश्व सम्मलेन होने वाला था जिसमे लाखों की संख्या में लोग आने की सम्भावना थी। लगभग उसी समय चीबिंग और आस-पास के क्षेत्रों में लगातार कुछ दिन भारी बारिश होने के आसार बन रहे थे। सीन के तानाशाह राष्ट्रपति ने वैज्ञानिकों से एक मौस

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बावरी बेरोज़गारी (शार्ट फिल्म) - थेअटरिक्स, फ्रीलान्स टैलेंट्स

12 सितम्बर 2015
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टप...टप...टप...(हॉरर कहानी)

19 जुलाई 2016
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चन्द्रप्रकाश को पानी बहने से चिढ थी और पानी बहना तो वो सह लेता था पर कहीं से धीमे-धीमे पानी का रिसना या नल से पानी टपकना...टप...टप...टप...जैसे हर टपकती बूँद उसके मस्तिष्क पर गहरे वार करती थी। जब तक चन्द्रप्रकाश पानी का टपकना बंद न कर देता तब तक वह किसी बात पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता था। कभी भी 1

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मुनीम रोबोट - लेखक मोहित शर्मा (ज़हन) #ट्रेंडस्टर

21 फरवरी 2016
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आर्यन और उसके जूनियर्स की टीम ने आखिरकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक के ऐसे उन्नत रोबोट्स बना लिए थे, जो दुर्गम से दुर्गम स्थान पर पहुँच कर कठिन कामो को करने में सक्षम थे। रोबोटिक ऐड नामक 48 रोबोट्स की पहली टुकड़ी आपातकालीन स्थितियों और प्राकृतिक आपदाओं के समय बचाव कार्यों के लिए तैयार की गयी। इन रो

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राष्ट्र-रक्षक (कहानी)

19 जुलाई 2016
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उफनते समुद्र से फामित देश के राष्ट्रपति और उनके परिवार को नौका में बचा कर लाते लाओस कोस्ट गार्ड (तटरक्षक) प्रमुख को उनकी टीम के सदस्य घृणा भाव से देख रहे थे। अब तक जिस व्यक्ति को उन्होंने अपना आदर्श माना, आज उसपर से उनका भरोसा उठ गया था। कुछ देर पहले प्रमुख को 2 आपातकाल संदेश आए थे और सीमित साधनों क

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ऋतुकालीन बेरोज़गारी

5 सितम्बर 2015
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अर्द्धअच्छा काम (कहानी) #मोहितपन

22 जुलाई 2016
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दिनेश ऑफिस से थका हारा घर पहुंचा। उसकी पत्नी रूपाली जो 1 महीने बाद अपने मायके से लौटी थी, उसके पास आकर बैठी। दोनों बीते महीने की बातें करने लगे। फिर दिनेश ने महीने की बातों के अंत के लिए एक किस्सा बचा कर रखा था। “परसो एक आदमी फ़ोन पर बात कर रहा था। जल्दबाज़ी में ऑफिस के बाहर बैग छोड़ गया, मैंने फिर वाप

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इंटरनेटी अफवाह (लघुकथा) - मोहित ट्रेंडस्टर

27 फरवरी 2016
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प्राइम टाइम न्यूज़ का सेट, जिसपर लाइव देश का प्रख्यात पत्रकार-एंकर आनंद कुमार। "...और ब्रेक से पहले जैसा हम चर्चा कर रहे थे इंटरनेट की विश्वसनीयता और वहां फैले झूठ, अफवाहों की। पिछले बुलिटिन में ही हमने आपको खबर दी थी कि गुमनामी में रहने वाले प्रख्यात लेखक सोहन वर्मा की हृदयघात से मौत हो गयी है जबकि

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मवाली भूत (कहानी)

26 जुलाई 2016
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गिरधारी बाबा ऊपरी संकट, भूत-प्रेत-चुड़ैल भगाने में पारंगत थे। एक सुनसान रात बाबा भारी ज्वर से पीड़ित अपने आश्रम के बाहर पड़े होते हैं और कई भूत, चुड़ैल और प्रेत उन्हें घेर लेते हैं। बुखार मे तप रहे बाबा कराहते हुए कहते हैं - “चीटिंग! अब इस हालत में बदला लोगे तुम लोग?”भूत दल के मुखिया - “ओहोहोहो…देखो बहु

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इंसानी गिद्ध (कहानी) - लेखक मोहित शर्मा (ज़हन)

14 सितम्बर 2015
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"क्या अम्मा, कैसे हुआ यह?" सहानुभूति भरे स्वर में इलाके के नेता ने पूछा।""बस भईया भगवान की मर्ज़ी थी, उन्हें अपने पास बुला लिया।" बुढ़िया ने सुबकते हुए बताया। गाँव में एक वृद्ध की प्राकृतिक मौत के बाद यह नेता और इसके गुर्गे वैसी ही तेज़ी से वृद्धा के पास पहुंचे जैसे किसी ख़ुशी के अवसर पर जाने कहाँ से क

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कहानी संग्रह - ज़हनजोरी

13 अगस्त 2016
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नमस्ते! मेरा कथा संग्रह ज़हनजोरी प्रकाशित होने वाला है .आशा है भगवान और आप सबके सहयोग, आशीर्वाद से आगे भी ऐसे ही लिखता रहूँ...

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50 वर्ष की अनिद्रा (कहानी) - मोहित शर्मा (ज़हन)

28 फरवरी 2016
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कुश्ती में विश्वविख्यात पहलवान शिव मोंगा बढ़ती उम्र की वजह से संन्यास ले रहे थे। उन्हें विश्व कुश्ती परिषद एवम अन्य स्थानीय, अंतर्राष्ट्रीय फेडरेशन्स सम्मानित कर रहीं थी। पत्रकारों, प्रशंषको से सवालों की बौछार हो रही थी। करियर के हर पड़ाव को याद कर शिव किस्से सुना रहे थे।  जब सवाल पूछा गया कि उनके लिए

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पेंटिंग

10 सितम्बर 2016
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कलाकार ज्योति सिंह से कुछ विचार साझा किये, जिनके अनुसार उन्होंने यह सुंदर वाटरकलर पेंटिंग बनाई. इस पेंटिंग को अपनी आगामी कॉमिक पेरीफेरल एंजल में काव्य रचना के साथ जगह दूँगा .

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लॉन्ग लिव इंकलाब - मोहित शर्मा ज़हन, ज्योति सिंह

8 सितम्बर 2015
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3 रन का सौदा (कॉमिक) - अमित अल्बर्ट, मोहित ज़हन

1 अक्टूबर 2016
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CulPop intro - "3 रन का सौदा - भारतीय क्रिकेट में राजनीति और पैसे के खेल से बर्बाद हुए अनेक कैरियर्स की दास्ताँ। सुनहरी दुनिया की रौनक के पीछे के मटमैले धब्बो को दर्शाती अमित अल्बर्ट की कला और मोहित शर्मा की लेखनी से सुसज्जित एक यादगार कॉमिक।"

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विजेता - Freelance Talents चैंपियनशिप (२्०्१्३्, २०१४ और २०१५) #ftc1516

2 मार्च 2016
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वाटरकलर पेंटिंग - "रूट्स"

7 अक्टूबर 2016
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कलाकार ज्योति सिंह के साथ अपने आईडियाज़ साझा कर रहा हूँ. उनका लक्ष्य कला प्रदर्शनियों और कला प्रेमियों के लिए कुछ महीनो मे बहुत सी कलाकृतियां (वाटरकलर, एक्रेलिक और ऑयल) बनाने का है. जिसमे मैं अपने कुछ विचार, विज़ुअल आदि बाँटकर छोटा सा योगदान दे रहा हूँ . उन विचारों मे से एक पर आधारित ये वाटरकलर पेंटिं

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इंफ्रा-सुर्ख शायरस (काव्य संकलन)

23 सितम्बर 2015
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विज्ञापन वॉर कॉमिक कवर

15 अक्टूबर 2016
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कॉमिक्स आर पैशन कम्युनिटी के साथ एक पुरानी स्क्रिप्ट पर यह फैन वर्क कॉमिक बनायीं है . अब भी अंदर फैन बॉय ज़िंदा है. :)

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बाइनरी मम्मी (लघुकथा) - लेखक मोहित शर्मा ज़हन

6 मार्च 2016
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नेत्र रोग डॉक्टर के पास, अपने 5 वर्ष के बच्चे के साथ चिंतित माँ-बाप बैठे थे। माँ - "सीनू के पापा को मोटे वाला डबल-लेंस चश्मा लगा था तो इसे भी चश्मा ना लगे इसलिए नियमित गाजर का जूस, विटामिन और सारे घरेलु नुस्खे करती थी। फिर भी पता नहीं कैसे इसे इतनी कम उम्र में ही धुंधला दिखने लगा?"डॉक्टर - "बच्चे को

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पत्रिका - अनिक प्लैनेट का पहला अंक

15 नवम्बर 2016
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कॉमिक्स पत्रिका अनिक प्लैनेट के पहले अंक की कवर स्टोरी लिखी, साथ ही पत्रिका टीम(कॉमिक्स आवर पेशन) ने मेरे 2 आगामी कॉमिक प्रोजेक्ट्स (कद्र और इंसानी परी) के विज्ञापन पत्रिका में शामिल किये.

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सेलेब्रिटी पी.आर. का घपला (लेख) #मोहितपन

7 नवम्बर 2016
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पैसा और सफलता अक्सर अपने साथ कुछ बुरी आदते लाते हैं। कुछ लोग इनसे पार पाकर अपने क्षेत्र में और समाज में ज़बरदस्त योगदान देते हैं वहीं कई शुरुआती सफलता के बाद भटक जाते हैं। एक बड़े स्तर पर आने के बाद प्रतिष्ठित व्यक्ति पर इमेज, ब्रांड मैनेजमेंट की ज़िम्मेदारी आ जाती है लोगो पर, अब या तो आप मेहनत और साफ़-

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सभ्य रोमानी बंजारा (कहानी) #ज़हन

10 मार्च 2016
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अथाह समुद्र से बातें करना मेरा शौक है। यह हर बार मुझे कुछ सिखाता है। मैं सागर किनारे या नाव से किसी टापू पर या फिर सागर के बीचो बीच अक्सर आता हूँ। हाँ, जब कोई बात अक्सर हो तो उस से कभी-कभार बोरियत हो जाती है। वो ऐसा ही एक कभी-कभार वाला दिन था। इतना सीखा था सागर से कि ऐसे दिन झेले जा सकते थे। जब लगा

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अपना उधार ले जाना! (नज़्म) #मोहितपन

20 नवम्बर 2016
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अपना उधार ले जाना!तेरी औकात पूछने वालो का जहां, सीरत पर ज़ीनत रखने वाले रहते जहाँ, अव्वल खूबसूरत होना तेरा गुनाह, उसपर पंखो को फड़फड़ाना क्यों चुना?अबकी आकर अपना उधार ले जाना!पत्थर को पिघलाती ज़ख्मी आहें,आँचल में बच्चो को सहलाती बाहें,तेरे दामन के दाग का हिसाब माँगती वो चलती-फिरती लाशें। किस हक़ से देखा

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वो कोई पीर रहा होगा .... (काव्य)

15 अक्टूबर 2015
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A Tribute to Netaji Subash Chandra Bose  ग़ुलामी के साये मे जो आज़ाद हिन्द की बातें करता था ...किसी दौर मे खून के बदले जो आज़ादी का सौदा करता था ...बचपन मे ही स्वराज के लिये अपनों से दूर हुआ होगा ...बस अपनी सोच के गुनाह पर जो मुद्दतों जेल गया होगा ... वो कोई पीर रहा होगा ....क्या बरमा ...अंडमान  .. क्य

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बेटा जब बड़े हो जाओगे...(कद्र काव्य कॉमिक से)

5 दिसम्बर 2016
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Intro Poem Kadr Kavya Comicबेटा जब बड़े हो जाओगे….बेटा जब बड़े हो जाओगे ना……और कभी अपना प्रयास निरर्थक लगें, तो मुरझाये पत्तो की रेखाओं से चटख रंग का महत्त्व मांग लेना। जब जीवन कुछ सरल लगे,तो बरसात की तैयारी में मगन कीड़ो से चिंता जान लेना।बेटा जब बड़े हो जाओगे ना……और कभी दुख का पहाड़ टूट पड़े,तो कड़ी धूप

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उदार प्रयोग - मोहित शर्मा ज़हन

13 मार्च 2016
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"पोराजिमोस बोलते हैं उसे, जर्मनी और उसके सहयोगी देशो में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान नाज़ी सरकार द्वारा रोमानी जिप्सी समुदाय का नरसंहार। पता सबको था कि कुछ बुरा होने वाला है फिर भी मुस्कुराते हुए नाज़ी सिपाहियों को देख कर भ्रम हो रहा था। शायद जैसा सोच रहें है या जो सुन रहें है वह सब अफवाह हो। हज़ारो इंस

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दुश्मन मेहमान (कहानी) - मोहित शर्मा ज़हन

17 दिसम्बर 2016
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वर्ष 1978ब्रिटिश साम्राज्य से आज़ादी मिलने के बाद बने क्रोनेशिया और सर्बा पडोसी मुल्कों के बीच रिश्ते हमेशा तल्ख़ रहे। दशकों तक शीत युद्ध की स्थिति में दोनों देशो का एक बार भीषण युद्ध हो चुका था। अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद युद्ध समाप्त हुआ। युद्ध में कुछ टापू और समुद्री सीमा कब्ज़ाने वाले सर्बा को जीत म

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लेखक-कवि मोहित शर्मा ज़हन | टंबलर

8 सितम्बर 2015
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कैशलेस रिश्वत

10 जनवरी 2017
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एक सरकारी दफ्तर में एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, सौरभ घुसता है। सौरभ अपना झोला लेकर अंदर आता है और अपने विभाग से जुड़े एक बाबू (क्लर्क) के बारे में पूछता है। उसकी डेस्क पर जाकर वो अपना दुखड़ा रखता है।"सर मेरा कई सालों का ट्रेवल अलाउंस, पेट्रोल अलाउंस, नच बलिये अलाउंस कुछ नहीं आया है, अब आप ही कुछ कीजिये

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रचनात्मक प्रयोगों से डरना क्यों?

27 मार्च 2016
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एक कलाकार अपने जीवन में कई चरणों से गुज़रता है। कभी वह अपने काम से पूरी तरह संतुष्ट रहता है तो कभी कई महीने या कुछ साल तक वो खुद पर शक-सवाल करता है कि क्या वह वाकई में कलाकार है या बस खानापूर्ति की बात है। इस संघर्ष में गिरते-पड़ते उसकी कला को पसंद करने वालो की संख्या बढ़ती चली जाती है। अब यह कला लेखन,

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गणतंत्र दिवस विशेष पेंटिंग

26 जनवरी 2017
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कलाकार ज्योति सिंह जी के साथ कभी-कभी कुछ विचार, दृश्य साझा कर लेता हूँ, जिनपर वो कलाकृतियां बनाती हैं। इस बार उन्होंने कैनवास पर यह भाव उतारे हैं। Jyoti Singh with Mohit Sharma"Happy republic day.... (Size: 24"-24", Medium: Acrylic on canvas, De

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मित्रता की परीक्षा (बालकथा) - लेखक मोहित शर्मा (ज़हन)

31 अक्टूबर 2015
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मोहन बाज़ और चंचल हिरण राजन वन्य क्षेत्र की शान थे क्योकि अपनी बुद्धिमता और कौशल से वो दोनों लंबे समय से अलग-अलग और संयुक्त रूप से राजन जंगल के लिए कई सामान्य ज्ञान, विज्ञानं, लेखन, क्विज आदि प्रतियोगितायें जीतते आ रहे थे। उम्र और कक्षा बढ़ने के साथ उनकी प्रतियोगिताओं का स्तर बड़ा हो रहा था पर दोनों घन

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रिया के मम्मी-पापा (डार्क कहानी) #ट्रेंडस्टर

8 फरवरी 2017
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*कमज़ोर दिल के लोग यह कहानी न पढ़ें।*रिया की मम्मी - “मैं और मेरे पति सामान्य जीवन व्यतीत कर रहे हैं…कम से कम बाहर से कोई मिले या देखता होगा, वह तो यही कहेगा। कुछ महीने पहले हमारी एकलौती बेटी रिया ने आत्महत्या कर ली। उसका वज़न सामान्य से अधिक था, बस इतनी सी बात थी। भला यह भी कोई बात हुई? काश एक बार मुझ

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इवेंट न्यूज़ (मार्च २०१६) - कवि मोहित शर्मा ज़हन

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कुछ योगदान और मंच पर थोड़ी तुकबन्दी....

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छूटी डोर (कहानी) #ज़हन

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हिन्दी, अंग्रेजी साहित्य के बहुत बड़े समीक्षक-आलोचक, अनुवादक श्री अनूप चौबे का टी.वी. साक्षात्कार चल रहा था। साक्षात्कारकर्ता अनूप के पुराने मित्र नकुल प्रसाद थे। कुछ सवालो बाद नकुल को एक बात याद आ गई और अपने साथ लाये सवालो के बीच उन्होंने एक सवाल रखा। “आपने पहले कई बार अपना उपन्यास, कथा/काव्य संग्रह

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मेरी आँखें, तेरे सपने (काव्य कॉमिक्स सीरीज) - मोहितपन

6 सितम्बर 2015
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राजा की मिसमिसाहट (हास्य कहानी)

18 फरवरी 2017
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बहुत पुरानी बात है...ऐसा लेखक को लगता है पर आप अपने हिसाब से टाइमलाइन सेट कर लो, कोई फॉर्मेलिटी वाली बात नहीं है। मैटरनल काका नाम का एक राजा था, जिसके द्वारा स्थापित पीपणीगढ़ नामक एक विशाल राज्य था, मतलब भोम्पूगढ़ जितना विशाल नहीं पर फिर भी विशाल मेगा मार्ट से बड़ा तो कहूंगा मैं! तो राजा मैटरनल काका को

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आगामी कॉमिक्स #मोहितपन #फ्रीलांस_टैलेंट्स #ट्रेंडस्टर

26 अप्रैल 2016
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*) – 3 Runs ka Sauda (3 रन का सौदा) by Amit Albert (Illustrator) and Mohit Trendster (Writer)*) – Domuha Aakrman – Tadam Gyadu(Penciller), Mohit Trendster (Writer), Haredra Saini (Colorist), Youdhveer Singh (Letterer)*) – Kadr ‪#‎WIP‬ – Deepjoy Subba, Mohit Trendster, Neel Eeshu‪#‎kavya‬ ‪#‎kavyacom

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गुनगुनाते हुए यादों के पुल पार कर लूँ?

25 फरवरी 2017
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यूँ ही बचपन की कुछ धुन, गाने, बातें याद आ गई और कुछ सेकण्ड्स के लिए गुनगुना लिया. शायद आप लोगो की कुछ यादें ताज़ा हो जाएँ....1) - 90s Doodh Advertisement Jingle (32 Seconds)2) - Bollywood Music Just Kidding (54 Seconds) 3) - Dimaag ki Faltu Lyrics (40 Seconds)

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अवचेतन क्रोध (कहानी) - लेखक मोहित शर्मा (ज़हन)

11 नवम्बर 2015
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विदित अपने दोस्त नकुल को कुछ दिनों के लिए अपने घर रहने ले आया। नकुल एक मनोचिकित्सक था पर विदित के कहने पर उसे अपना परिचय एक  बेरोज़गार इंजीनियर के रूप में देना पड़ा जो कुछ साक्षात्कार देने के लिए एक हफ्ता विदित के घर रहने आया था। वजह थे विदित के पिता जो पुलिस निरीक्षक पद से कुछ महीनो पहले रिटायर हुए थ

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दूजी कोख में ‘अपना’ बच्चा (कहानी) #ज़हन

6 मार्च 2017
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“यह सर राजस्थान कहाँ पैसे भेज रहे हैं पिछले कुछ समय से? किसी कोर्ट केस में फँस गए क्या? इतने सालो से विदित सर के साथ हूँ, ऐसा कुछ छुपाते तो नहीं हैं वो मुझसे।” स्टील व कपडा उद्योगपति पंकज जाधव के अकाउंटेंट सुमंत ने उनके सेक्रेटरी कुणाल से पूछा। कुणाल को तो जैसे यह बात बाँटने का बहाना चाहिए था। “एक औ

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कॉमिक फैन फेस्ट # 5 (अप्रैल 2016)

30 अप्रैल 2016
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24 अप्रैल 2016 को कॉमिक फैन फेस्ट इवेंट का पांचवा संस्करण कई यादगार पलों के साथ संपन्न हुआ। इस बार फेस्ट दिल्ली के साथ-साथ लखनऊ और हैदराबाद में भी मनाया गया। दिल्ली में मुख्य अथिति के रूप में प्रख्यात लेखक-कलाकार श्री बिमल चटर्जी ने आयोजन की शोभा बढ़ायी। आने वाले सदस्य

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पुरुष आत्महत्या का सच (कहानी) #ज़हन

15 मार्च 2017
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पार्क में जॉगिंग करते हुए कर्नल शोभित सिंह अपने पडोसी लिपिक शिवा आर्यन से रोज़ की तरह बातें कर रहे थे। उनकी वार्ता में एक बात से दूसरी बात और एक विश्लेषण से कहीं और का मुद्दा ऐसे बदल जाते थे जैसे किशोर टीवी चैनल बदलते हैं। दोनों के लिए अपनी चिंता, मानसिक दबाव कम करने का इस से बेहतर साधन नहीं था। जॉगि

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परिक्रमा कॉमिक - मोहित ट्रेंडस्टर, यश ठाकुर

9 सितम्बर 2015
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कलाकार ज्योति सिंह के साथ एसिड अटैक पेंटिंग

18 मार्च 2017
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मोदीनगर , उत्तर प्रदेश की कलाकार ज्योति सिंह के साथ अक्सर कई विचार साझा करता हूँ , जिन्हें वो बड़े आराम से सुनती हैं और उनमे से कुछ चुनकर सुन्दर कलाकृति बनाती हैं . यहाँ उन्होंने सामाजिक सन्देश देती एक आयल पेंटिंग बनायीं है .30×30 inch, Oil on Canvas.

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एक पाठक का सवाल....

10 मई 2016
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एक पाठक का सवाल - "आपकी कुछ किताबों, ई-बुक्स का पेज काउंट कम क्यों है? जैसे 38 पेज, 49 पेज...."मेरी ई-पुस्तकें वर्ड के डिफ़ॉल्ट आकार पर होती हैं। वर्ड फाइल का डिफ़ॉल्ट साइज 8.5"x11" होता है, जबकि नावेल, फिक्शन किताबों का आकार 5.5"x8.5" या 6"x9" होता है। अभी मैंने अपनी 38 पन्नो की 2 किताबों को 8.5"x11"

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माहौल बनाना (कहानी) #ज़हन

20 मार्च 2017
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वृद्ध लेखक रंजीत शुक्ला की अपने पोते हरमन से बहुत जमती थी। जहाँ नयी पीढ़ी के पास अपनों के अलावा हर किसी के लिए समय होता है वहाँ हरमन का रोज़ अपने दादा जी के साथ समय बिताना जानने वालो के लिए एक सुखद आश्चर्य था। बातों से बातें निकलती और लंबी चर्चा खिंचती चली जाती। एक दिन हरमन ने रंजीत से पूछा कि उन्हें

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Unfair & Ugly (Toon) by Dheeraj Dkboss Kumar and Mohit Trendster

16 नवम्बर 2015
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जुग जुग मरो #2 (काव्य कॉमिक)

26 मार्च 2017
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नशे, दारु की लथ में अपना पति खो चुकी औरत नशे में ही उसे ढूँढ रही है और पूछ रही है ऐसी क्या ख़ास बात है नशे में जो कितनी आसानी से कितनी ज़िन्दगीयां लील लेता है। इस बार एक कविता और एक नज़्म के साथ पेश है - नशेड़ी औरत! (काव्य कॉमिक्स)Illustrator - Amit Albert :: Poet, Scr

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पगलऊ वार्डन (लघुकथा) #ट्रेंडस्टर

15 मई 2016
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9 वर्ष की बच्ची के साथ कुकर्म करने और उसे कोमा में पहुंचाने के बाद स्कूल सर्टिफिकेट के दम पर 15 वर्ष का पवन राज जुवेनाइल कोर्ट के कटघरे में मासूम बना खड़ा था। पुलिस, लड़की के परिजन, पत्रकार और स्वयं न्यायाधीश जानते थे कि लड़का 19-20 साल से कम नहीं है। पुलिस ने सही आयु जानने के लिए बोन डेंसिटी टेस्ट करन

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जीत का समझौता (कहानी)

29 मार्च 2017
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इंटरकॉन्टिनेंटल कप के पहले दौर में हारकर बाहर होने के बाद पापुआ न्यू गिनी क्रिकेट खेमे के एक कोने में 2 खिलाडियों के बीच गंभीर वार्ता चल रही थी। "आप जब खुद यह टीम नहीं छोड़ रहे हैं तो मुझसे ऐसा करने के लिए क्यों कह रहे हैं?" परेशान होकर मेज़ के कोने को मसलने की कोशिश करते क्रिकेटर पॉल ने अपने गुरु जैस

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मोहित ट्रेंडी बाबा - "अब पछताय क्या होत है जब...ऊपर वाले की बेआवाज़ लाठी पड़ी"

4 सितम्बर 2015
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मैंने लोगो को मलाल करते देखा है कि वो किन्ही कारणवश औरों के सामने अपना पक्ष ठीक से नहीं रख पाये, या अपनी बात नहीं समझा पाये और सामने वाला अपनी गलत सोच, बात, कुतर्क, उदाहरण आदि पर खुश होते हुए, यह सोचता हुआ आगे निकल गया कि वह सही था और उसे समझाने वाले या उसके विरोध में खड़े लोग गलत। अगर ऐसा कुछ दफ़े ह

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काश में दबी आह! (कहानी) #ज़हन

9 अप्रैल 2017
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स्कूल जाने को तैयार होती शिक्षिका सुरभि पड़ोस के टीवी पर चलता एक गाना सुनकर ठिठक गई। पहले इक्का-दुक्का बार उसे जो भ्रम हुआ था आज तेज़ गाने की आवाज़ ने वो दूर कर दिया। जाने कब वो सब भूलकर सुनते-सुनते उस गाने के बोल पड़ोस के घर के गेट से सटकर गुनगुनाने लगी। अपनी धुन में मगन सुरभि का ध्यान पडोसी की 4 साल क

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शॉर्ट फिल्म दुश्मन (एंटी-बॉडी) - थिएट्रिक्स ग्रुप, पुणे और मोहित ज़हन

20 मई 2016
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एक अजीब मानसिक विकार पर आधारित शार्ट फिल्म .आशा है आप लोगो को पसंद आएगी . बजट की समस्या थी इसलिए सोचे गए कुछ सीन हो नहीं पाये .  Hindi Short film - Dushman (Anti-Body) | Freelance Talents | Theatrix, Pune - https://www.youtube.com/watch?v=-m1TCS4-SMsA guy suffering from Alien Hand Syndrome. Budget c

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साक्षात्कार - सुपरफैन सुप्रतिम साहा

13 अप्रैल 2017
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नागपुर में रह रहे सुप्रतिम साहा का नाम भारतीय कॉमिक्स प्रेमियों के लिए नया नहीं है। सुप्रतिम भारत के बड़े कॉमिक्स कलेक्टर्स में से एक हैं, जो अपने शौक के लिए जगह-जगह घूम चुके हैं। कहना अतिश्योक्ति नहीं, ऐसे सूपरफैंस की वजह से ही भारतीय कॉमिक्स उद्योग अभी तक चल रहा है। पहले कुछ कॉमिक कम्युनिटीज़ में इन

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Kuboolnama (Nazm) - मोहित शर्मा 'ज़हन'

20 नवम्बर 2015
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कुबूलनामा (नज़्म) - मोहित शर्मा (ज़हन)एक दिलेर कश्ती जो कितने सैलाबों की महावत बनी,दूजी वो पुरानी नज़्म उसे ज़ख्म दे गयी। एक बरसो से घिसट रहा मुकदमा,दूजी वो पागल बुढ़िया जो हर पेशी हाज़िरी लगाती रही।मय से ग़म गलाते लोग घर गए,ग़मो की आंच में तपता वहीँ रह गया साकी,अपने लहज़े में गलत रास्ते पर बढ़ चले, .....और र

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रूहानी नाटक (कहानी) #ज़हन

15 अप्रैल 2017
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मेरा नाम कृष्णानंद है और लोग मुझे किशन कहकर बुलाते हैं। 9 साल की उम्र में अपने गांव से बिना सोचे लखनऊ आया, वैसे सोचकर भी क्या कर लेता...नौ साल का दिमाग क्या सलाह देता? सीखने में आम बच्चो जैसा नहीं था तो मुझे मंदबुद्धि कहा जाता था, सोने पे सुहागा यह कि मैं हकलाता था। शहर तो आ गया पर यहाँ रहने लायक को

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अपडेट #मोहितपन

24 मई 2016
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मतलबी मेला नामक आगामी काव्य कॉमिक से एक पैनल की चित्रकला, चित्रकार और सीआरपीएफ के जवान श्री अनुज कुमार ने के लिए यह एक नया अनुभव है . मुझे ख़ुशी है कि इसमें एक लेखक भाई की तरह, मैं उनका साथ दे पाया. अनुज जी में तेज़ी से सुधार हो रहा है .===================Random Micro Fiction Tales1. परिस्थिति कुछ ऐसी

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कठपुतली (शार्ट फिल्म) का पहला पोस्टर

27 अप्रैल 2017
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इस बार निर्देशन का अवसर मिला, आगामी शार्ट फिल्म कठपुतली का पहला प्रोमो पोस्टर आप सबके साथ साझा कर रहा हूँ .

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छद्म मुफ्तखोरी - लेखक मोहित शर्मा #ट्रेंडस्टर

9 सितम्बर 2015
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"जीवन में कुछ भी मुफ्त का खाने वाले मुझे बिलकुल नहीं पसंद ! अरे मेहनत करो, संघर्ष करो दुनिया में, अपनी पहचान बनाओ।" नीतू ने पिकनिक में लंच करते हुए, यूँ ही डिस्कशन कर रही मित्रमण्डली के सामने अपने विचार रखे। माहौल हल्का करने के लिए उसकी पुरानी बेस्टी सरिता ने कहा - "देखो मैडम को मुफ्त का खाने वाले न

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बोगस परग्रही (कहानी) #ज़हन

4 मई 2017
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बोगस परग्रही सीरीज़ में आपका स्वागत है। यहाँ हर एपिसोड में हम कवर करेंगे भौजीकसम ग्रह के दो खोजी-टोही वै ज्ञान िक कुच्चु सिंह और पुच्चु सिंह के रोमांचक कारनामे।ब्रह्माण्ड में तैरते अनगिनत पत्थरों में से उन दोनों को पृथ्वी की खोजबीन और जांच की जिम्मेदारी मिली थी। उनके

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माँ को माफ़ कर दो… (मोहित शर्मा ज़हन)

29 मई 2016
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बीच सड़क पर चिल्ला रहे, ज़मीन पीट रहे, खुद को खुजा रहे और दिशाभ्रमित भिखारी से लगने वाले आदमी को भीड़ घेरे खड़ी थी। लोगो की आवाज़, गाड़ियों के हॉर्न से उसे तकलीफ हो रही थी। शाम के धुंधलके में हर दिशा से आड़ी-तिरछी रौशनी की चमक जैसे उसकी आँखों को भेद रहीं थी। जिस कार ने उसे टक्कर मारी थी वो कबकी जा चुकी थी।

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एक और कॉलेबोरेटिव पेंटिंग

23 जून 2017
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कलाकार ज्योति सिंह के साथ साझा किये विचार से बनी नई पेंटिंग . हाल ही में एक इवेंट की खबर में हमारी कुछ पुरानी पेंटिंग्स भी फीचर हुई द हिन्दू अखबार में .

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तेज़ाबी बरसात (लघुकथा) - लेखक मोहित ट्रेंडी बाबा

23 नवम्बर 2015
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डॉक्टर्स द्वारा हफ्ते-दो हफ्ते का समय शेष पता चलने पर विधिचंद अपने जीवन की लंबी शो-रील के साथ गुपचुप बागीचे में बैठे रहते। देश के स्वतंत्रता संग्राम में अपना संघर्ष, स्वतंत्रता मिलने के बाद देश के लिए सपने, उम्मीदें...फिर समझौते करते अब तक का सफर। 2 दिनों बाद भारी बरसात होने लगी तो उन्हें याद आया कि

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बहाव के विरुद्ध

10 जुलाई 2017
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एक गायन टीवी शो के दौरान चयनित प्रतिभागी को समझते हुए एक निर्णायक, मेंटर बोला। "अपनी कला पर ध्यान दो, तुम्हारा फोकस कहाँ है? मैं नहीं चाहता कि तुम इस जेनरेशन के सुरजीत चौहान या देविका नंदानी कहलाये जाओ। क्या तुम्हे अपने माँ-बाप का सिर श

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काव्य कॉमिक्स संग्रह 3 और संग्रह 4

3 जून 2016
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अलग - अलग प्रकाशनों द्वारा प्रकाशित मेरी शार्ट काव्य कॉमिक्स के 2 संग्रह बनाकर गूगल बुक्स, रीडवेयर, इस्सू जैसी कुछ वेबसाइट और पोर्टल्स पर प्रकाशित किये हैं .आशा है आप लोगो को पसंद आएंगे .

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पैमाने के दायरों में रहना... (नज़्म) #ज़हन

12 जुलाई 2017
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पैमाने के दायरों में रहना,छलक जाओ तो फिर ना कहना...जो जहां लकीरों की कद्र में पड़ा होउस से पंखों के ऊपर ना उलझना...किन्ही मर्ज़ियों में बिना बहस झुक जाना,तुम्हारी तक़दीर में है सिमटना...पैमाने के दायरों में रहना,छलक जाओ तो फिर ना कहना...क्या करोगे इंक़िलाब लाकर?आख़िर तो ग

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बोन्साई कथाएं - मोहित ट्रेंडस्टर

6 सितम्बर 2015
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हाँ पता है...(feat. जूता) - सामाजिक कहानी

17 जुलाई 2017
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सज्जन - “मोहित जी आपको पता है फिलिस्तीन के लोगो पर इजराइल कितना ज़ुल्म कर रहा है? म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिम समुदाय का क्या हाल किया है वहाँ के बहुसंख्यक बौद्ध समाज ने?”“हाँ जी! पता है…और मुझे नाइजीरिया में बोको हराम द्वारा सरकार से युद्ध और स्थानीय लोगो का नरसंहार पता है, दशकों से इराक़ और तुर्की

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दुग्गी ऑफ़ ऑल ट्रेड्स

12 जून 2016
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नमस्ते! :) अक्सर किसी क्षेत्र में सफल या अच्छी जगह पहुंचे लोगो को किस्मत को कोसते, कहते देखता हूँ कि हम यहाँ तो सफल हैं पर इस चक्कर में जिस दूसरे क्षेत्र में भी रूचि थी उसमे कुछ न कर पाने या कम कर पाने का मलाल है। मतलब आपको विराट कोहली भी बनना है और सुनीता विलियम्स भी? या मोहम्मद अली तो बनेंगे ही पर

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गुलाम-ए-हिन्द (करगिल काव्य श्रद्धांजलि)

26 जुलाई 2017
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रूह गुलाम-ए-हिन्द दिवानी, सजी दुलहन सी बने सयानी।फसलों की बहार फिर कभी ....गाँव के त्यौहार बाद में ...मौसम और कुछ याद फिर कभी ....ख्वाबो की उड़ान बाद में। मांगती जो न दाना पानी,जैसे राज़ी से इसकी चल जानी?रूह गुलाम-ए-हिन्द दिवानी।वाकिफ ह

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सूक्ष्म फिक्शन (विज्ञान) - लेखक मोहित शर्मा ज़हन

30 नवम्बर 2015
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Micro Fiction Experiment # 2 (Mohit Trendster)*) - कृतिम रूप से लैब में निर्मित चींटी, दल में घुसपैठ करने के बाद समझ नहीं पा रही थी कि उसकी प्राकृतिक बेवकूफ बहनो में मेहनत और अनुशासन की इतनी सनक क्यों सवार है। -----------------------------*) - रोज़ाना ज़िन्दगी से छोटे-बड़े समझौते करते हुए जिस प्रयोग मे

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खाना ठंडा हो रहा है...(काव्य) #ज़हन

1 अगस्त 2017
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साँसों का धुआं,कोहरा घना,अनजान फितरत में समां सना,फिर भी मुस्काता सपना बुना,हक़ीक़त में घुलता एक और अरमान खो रहा है......और खाना ठंडा हो रहा है। तेरी बेफिक्री पर बेचैन करवटें मेरी,बिस्तर की सलवटों में खुशबू तेरी,डायन सी घूरे हर पल की देरी,इंतज़ार में कबसे मुन्ना रो रहा है......और खाना ठंडा हो रहा है। क

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प्रशंसा का अनुपात (लघुकथा) #mohitness

19 जून 2016
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टी.वी. पर एक अभिनेता द्वारा बाढ़ त्रासदी पीड़ित लोगो के लिए ढाई करोड़ के दान की खबर चल रही थी तो वर्मा जी साथ बैठे अपने मित्र श्रीवास्तव साहब से तुनक कर बोले।  “अरे 2-ढाई अरब की संपत्ति बना ली है इसने, उसमे से ये चिल्लर दान कर दी तो क्या बड़ा काम कर दिया? ये न्यूज़ वाले भी ना…हुंह!”श्रीवास्तव साहब का मत

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चाहे दरमियाँ दरारें सही! (इश्क़ बकलोल उपन्यास से)

13 अगस्त 2017
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कल देवेन पाण्डेय जी की नॉवेल इश्क़ बकलोल की प्रति मिली। :) किताब का अमेज़न हार्डकॉपी लिंक जल्द ही एक्टिव होगा। उपन्यास शुरू होने से पहले किताब के 2 पन्नो पर मेरी कलम है….दरिया में तैरती बोतल में बंद खतों की,पलकों से लड़ी बेहिसाब रातों की,नम हिना की नदियों में बह रहे हाथों की,फिर कभी सुनेंगे हालातों की

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बागेश्वरी पत्रिका (अगस्त २०१५)

11 सितम्बर 2015
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समूह वाली मानसिकता (लेख) #ज़हन

29 सितम्बर 2017
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प्राकृतिक और सामाजिक कारणों से हम सभी की पहचान कुछ समूहों से जुड़ जाती है। उदाहरण के लिए एक इंसान की पहचान कुछ यूँ - महिला, भारतीय, अच्छा कद, गेहुँआ रंग, शहरी (दिल्ली निवासी), प्रौढ़, सॉफ्टवेयर क्षेत्र में काम करने वाली, हिन्दू (दलित), मध्यमवर्गीय परिवार आदि। अब पूरा जीवन इन समूहों और उनसे निकले उप-सम

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दिल की मजबूरी (प्रॉम्प्ट लेखन)

27 जून 2016
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Prompt - "Use CSR (Corporate Social Responsibility) in a different way..."सरीन पिछले दशक में देश के सबसे लोकप्रिय पॉपस्टार में से एक बन गया था। उसकी एक आदत प्रायोजकों और साथ की एजेंसी को खल रही थी। आखिरकार उस आदत के लिए एजेंसी हेड सरीन से मिलने आए। "सरीन तुम्हारा एक-एक सेकंड हमारे लिए कीमती है और जब

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फैन कॉमिक - विज्ञापन वार (16 पेज)

2 अक्टूबर 2017
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इस बार राज कॉमिक्स की कॉमेडी के दो स्तम्भ गमराज और फाइटर टोड्स आमने सामने हैं। हाथापाई के साथ-साथ दोनों में छिड़ी है कॉर्पोरेट वॉर ! पेश है एक अभूतपूर्व फैन वर्क ''विज्ञापन वॉर'' Artwork: Anuj KumarStory: Mohit SharmaColoring and Calligraphy: Shahab Khanhttp://www.naza

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नासमझ इतिहास - Micro Fiction Experiment # 03 (मोहितपन)

7 दिसम्बर 2015
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*) - अठारवीं सदी की बात है, दुनिया के सबसे दुर्गम नोलाम द्वीप पर तब तक कोई मानव नहीं पहुंचा था। *) - बेहतर जहाज़ों और तकनीकों के बल पर दुनिया के तीन शक्तिशाली देशों में वहाँ सबसे पहले पहुँचने की होड़ लगी थी। *) - एक देश द्वारा दल भेजे जाने की खबर के तुरंत बाद बाकी दोनों देशों ने भी आनन-फानन में अपने ज

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ऑनलाइन बहस के प्रकार (व्यंग लेख) #ज़हन

14 नवम्बर 2017
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दो या अधिक लोगों, गुटों में किसी विषय पर मतभेद होने की स्थिति के बाद वाली चिल्ल-पों को बहस कहते हैं। वैसे कभी-कभी तो विषय की ज़रुरत ही नहीं पड़ती है। दूसरी पार्टी से पुराने बैकलॉग की खुन्नस ही बिना मतलब की बहस करवा देती है। बहस में उलझे लोगों के व्यक्तित्व निर्भर करते हैं कि बहस अनियंत्रित होकर उनकी न

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अन-बेवकूफ (संवाद कहानी)

27 जून 2016
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Mr. A - एक बात काफी सुनता हूँ मैं...."आज का यूथ जागरूक है, बेवकूफ नहीं है!"मतलब कल या पहले के यूथ - तुम्हारे माँ-बाप-दादे बेवकूफ थे? जितने साधन उनके पास थे उस हिसाब से बहुत सही थे। शायद गूगल-इंटरनेट के सहारे टिके "यूथ" से कहीं बेहतर...Miss B - ...लेकिन गलतियां तो हुई हैं पहले लोगो से?Mr. A - किसी पी

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लघुकथा - यादों की तस्वीर

24 नवम्बर 2017
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आज रश्मि के घर उसके कॉलेज की सहेलियों का जमावड़ा था। हर 15-20 दिनों में किसी एक सहेली के घर समय बिताना इस समूह का नियम था। आज रश्मि की माँ, सुमित्रा से 15 साल बड़ी मौसी भी घर में थीं।रश्मि - “देख कृतिका…तू ब्लैक-ब्लैक बताती रहती है मेरे बाल…धूप में पता चलता है। ये ब्राउन सा शेड नहीं आ रहा बालों में? इ

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काव्य कॉमिक - मेरी आज़ादी का रुआब!

4 सितम्बर 2015
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कलाकार श्री सत्यपाल सोनकर

26 नवम्बर 2017
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“…और मैं अनूप जलोटा का सहपाठी भी था।”*कलाकार श्री सत्यपाल सोनकरपिछले शादी के सीज़न से ये आदत बनायी है कि पैसों के लिफाफे के साथ छोटी पेंटिंग उपहार में देता हूँ। पेंटिंग से मेरा मतलब फ्रेम हुआ प्रिंट पोस्टर या तस्वीर नहीं बल्कि हाथ से बनी

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2 अंत (लघुकथा) मोहितपन

2 जुलाई 2016
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एक निजी कंपनी के 2 सहकर्मी दोपहर का भोजन साथ कर रहे थे। अनिरुद्ध - “मुझे पता चला कि आप हवाई यात्रा नहीं करते। अफवाह है या विमान में बैठने से डर लगता है?”रोनित - “सही सुना है आपने। हवाई यात्रा से डर नहीं लगता, पहले कई बार बैठ चुका हूँ।”अनिरुद्ध - “अरे…आपको कंपनी के काम

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ख़बरों की ऊपरी सतह (लेख)

7 दिसम्बर 2017
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एक नामी कलाकार हैं जिनका नाम नहीं लूँगा, जिनका नाम उनके काम से ना होकर उनकी मार्केटिंग और ब्रांडिंग से हुआ है। थोड़े वर्ष पूर्व अपने क्षेत्र में उन्होंने कुछ व्यंगात्मक काम किये जो देश की व्यवस्था, सरकार पर कटाक्ष थे। ये काम काफी जेनेरिक नेचर के थे यानी आज़ादी के बाद से हर रोज़ देश भर में ऐसे कई व्यंग

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सपने वाले अंकल जी (Micro Fiction Experiment # 05) #mohitness

12 दिसम्बर 2015
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एक रात वृद्ध अंकल जी को अचानक सपने दिखने लगे।रंग-बिरंगे, प्रकृति के, खेल-खिलोनो के, बच्चो के, समुद्र के, युद्ध के, मौसम के, अश्लील वाले, यात्रा के और विभिन्न विजुअल्स। सपने उन्हें आते थे कभी कबार पर इतने अधिक और इस तरह के रोलरकोस्टर दृष्टांत तो कतई नहीं। अंदाज़ लगाया कि शायद ईश्वर ने उन्हें मरने से प

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इश्क़ बकलोल (उपन्यास) समीक्षा #ज़हन

8 दिसम्बर 2017
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"इश्क़ बकलोल", नाम पढ़कर आपको लगा होगा कि खुद में एक बड़ा बाज़ार बन चुकी फूहड़ता का फायदा उठाने को एक पुस्तक और लिख दी गयी। ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। किसी रोलरकॉस्टर राइड से भारतीय परिवेश में भावनाओं की गुत्थमगुत्था है इश्क़ बकलोल। 2012 में देवेन पाण्डेय जी ने अपने अनुभवों, इ

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कला की डोर (लघुकथा)

3 जुलाई 2016
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रोज़ की तरह मंदिर के पास से घंटो भजन गा कर उठ रहे बुज़ुर्ग को पंडित जी ने रोका। पंडित जी - “बाबा मैंने सुना आपकी पेंशन आपका नकारा लड़का और बहु खा रहे हैं। आप घर से सटे टीन शेड में सोते हो?”बाबा - “हाँ, शायद अपने ही कर्म होंगे पहले के जो सामने आ रहे हैं।”पंडित जी - “तो पड़ोसी-पुलिस-रिश्तेदार किसी से बात

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नयी प्रयोगात्मक कॉमिक - समाज लेवक #ज़हन

10 दिसम्बर 2017
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इस बार हॉरर और नैतिक शिक्षा श्रेणियों का दुर्लभ मिश्रण किया है . समाज लेवक कॉमिक बड़े प्लैटफॉर्म , वेबसाइट , मोबाइल एप पर उपलब्ध है . समाज लेवक - Samaj Levak...Social Leech (World's first Educational-Horror Comic)Illustrators: Anand Singh, Prakash Bhalavi, Author: Mohit Trendster,

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ऑडियो मनोरंजन मोहित शर्मा ट्रेंडस्टर के सौजन्य से.....

11 सितम्बर 2015
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बाहरी परत (कहानी) - मोहित शर्मा ज़हन

5 जुलाई 2016
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ओलम्पिक 800 मीटर दौड़ क्वालीफाइंग राउंड में रमन ने गिर कर भी रस पूरी की और क्वालीफाई किया। हालांकि, गिरने के दौरान रमन की कुछ पसलियां टूट गईं, और अंदरूनी चोटें लगी। अन्य राउंड के दौरान यह अपडेट दुनियाभर में दर्शकों को मिली। उन्हें यह भी बताया गया कि रमन ने फाइनल राउंड  में दौड़ने का फैसला लिया है। इस

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लालची मौत (हॉरर कॉमिक) - मोहित शर्मा ज़हन, कुलदीप बब्बर

4 सितम्बर 2015
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मुदित चोर नहीं है! - लेखक मोहित शर्मा (ज़हन)

4 सितम्बर 2015
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"गलती आपकी है जो 150 की जगह 1500 का रिचार्ज कर दिया।" मन ही मन खुश होते मुदित ने दुकानदार से कहा। दुकानदार - "कभी-कबार जीरो की गलती हो जाती है, आँखें कमज़ोर हो गयी है। अभी सब देने को नहीं कह रहा बाद में जब इस्तेमाल कर लो तब दे देना, या धीरे-धीरे लौटा देना। अब बुढ़ापे में ऐसा तो...."मुदित - "बूढ़े हो गए

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नशीले शेड्स - लेखक मोहित शर्मा (ट्रेंडस्टर)

6 सितम्बर 2015
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"क्या हुआ चौबे साहब, कुछ चिंतित लग रहे है?" तहसीलदार ने शहर के दानी उद्योगपति श्री लोमेश चौबे से पूछा। चौबे जी ने गंभीर स्वर में कहा, "कुछ लोगो को शहर के रैनबसेरे, धार्मिक स्थलों आदि कहीं पर भी ठोर ठिकाना नहीं दिया जाता था उनके चाल-चलन की वजह से, ऐसे बेसहारा लोगो के लिए शहर में कुछ जगह शेड्स लगवाये

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देसीपन (इंग्लिश) - लेखक मोहित शर्मा ज़हन

8 सितम्बर 2015
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आज फिर उस दर से लौटना हुआ…(ग़ज़ल)

15 अक्टूबर 2015
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आज फिर उस दर से लौटना हुआ…आज फिर उस दर से लौटना हुआ…एक राह मुज़रिम तंग थी,2 मुसाफिरों का साथ चलना हुआ,एक प्यार बेतरतीब यूँ…कितने शिक़वे और एक मुफ़लिस शुक्रिया,आज फिर उस दर से लौटना हुआ…कोशिश रहेगी उम्र भर,एक नाम पर निकले दुआ,जिन कमरो में तन्हाई थी,वहीं यादों से मिलना हुआ,आज फिर उस दर से लौटना हुआ….जो व

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दूसरों का देवता (कहानी) – #मोहित_ट्रेंडस्टर

8 मार्च 2016
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दो पडोसी बड़े कबीलों नर्मक और पालेसन के पुराने बैर में न जाने कितनी लड़ाइयां, खून हुए थे। मुख्य वजह थी दोनों कबीलों के धर्म और देवताओं का अलग-अलग होना। इसी दुश्मनी की नयी कड़ी में नर्मक के सेनापति और कुछ बलशाली सैनिको की टुकड़ी, रात के अँधेरे में, पालेसन के लोगो का मनोबल गिराने के लिए उनका धार्मिक स्थल

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कलाकार श्री सुरेश डिगवाल

14 नवम्बर 2016
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मेरे एक कलाकार-ग्राफ़िक डिज़ाइनर मित्र ने मुझसे शिकायत भरे लहज़े में कहा कि मैं अक्सर भारतीय कॉमिक्स कलाकारों, लेख कों के बारे में कम्युनिटीज़, ब्लॉग्स पर चर्चा करता रहता हूँ पर मैंने कभी सुरेश डिगवाल जी का नाम नहीं लिया। मैंने ही क्या अन्य कहीं भी उसने उनका नाम ना

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