बिजनौर कोर्ट में हुई घटना के बाद प्रशासन अदालतों की सुरक्षा के लिए सक्रिय हुआ है और उसे लेकर अदालतों के परिसर की दीवार ऊंची कराना, अदालतों में प्रवेश के लिए मेटल डिटेक्टर लगाया जाना, वकीलों को, मुन्शीयों को परिचय पत्र जारी किया जाना आदि कदम उठाए जा रहे हैं, ऐसे में बहुत कुछ सराहनीय किया जा रहा है तो बहुत कुछ ऐसा है जो कि अनदेखा किया जा रहा है.
अदालतों में कोर्ट में जाने का काम वकीलों का है और उनके मुन्शीयों का है किन्तु अगर देख लिया जाए कि अदालतों के परिसर में वादकारियों के अलावा और भी बहुत सी भीड़ रहती है जिसका भी वहां के अदालती कार्यवाही में काफी हस्तक्षेप रहता है और वह भीड़ है वहां के टाइपिस्ट और कैंटीन वालों की और अभी इनके संबंध में कोई भी दिशानिर्देश न अदालतों को और न ही संबंधित बार एसोसिएशन को मिल पाए हैं.
अतः इलाहाबाद हाई कोर्ट से यह विनम्र निवेदन है कि वह इस संबंध में अति शीघ्र संज्ञान लेते हुए कार्यवाही करे क्योंकि टाइपिस्ट व कैन्टीन वाले इस संबंध में संदिग्ध सूची में शामिल होने की कगार पर हैं और कोर्ट व बार एसोसिएशन की तरफ मदद के लिए देख रहे हैं.
शालिनी कौशिक एडवोकेट
कनिष्ठ उपाध्यक्ष
बार एसोसिएशन
कैराना