इंडिया संवाद ब्यूरो
नई दिल्ली: आजादी से अब तक देश में काफी बड़े घोटालों का इतिहास रहा है आजादी के बाद 40 से अधिक बड़े घोटाले हो चुके हैं. , कैग रिपोर्ट की अनुसार यूपीए-2 एक बार फिर से बड़े घोटाले की चपेट में घिरती नजर आ रही है. कैग रिपोर्ट के अनुसार ताजा घोटाला जिसमें मनमोहन सरकार पर 40 हजार करोड़ रुपए के धान घाटाले का मामला सामने आया है.
धान की खरीदारी प्रणाली में हेराफेरी
कैग रिपोर्ट में यह बात निकलकर सामने आयी है कि किसाने को धान खरीदने के एवज में न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं दिया गया . साथ ही सरकार ने धान खरीद की प्रणाली में हेराफेरी की गयी है. धान की खरीद सहित उसकी ढुलाई सहित कई अन्य प्रक्रियाओं में 40564 करोड़ रुपए की अनियमितता की बात कैग रिपोर्ट में सामने आयी है. यही नहीं इन अनियमितताओं के चलते सरकार को सब्सिडी का लाभ हुआ.
मिल मालिकों को फायदा पहुंचाया गया
यही नही थमा अनियमितताओं का दौर. साल 2009-10, 2012-13 और 2013-14 की अवधि में मिल मालिकों से धान की डिलिवरी में हुई देरी का ब्याज भी नहीं वसूला गया, जिसकी वजह से सीधा 159 करोड़ रुपये लाभ मिल मालिकों को हुआ. बिहार, हरियाणा, ओडिशा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना में 7,570 करोड़ रुपये का चावल भी सरकारी संस्थाओं को नहीं दिया गया जिस वजह से सरकार को काफी नुकसान उठाना पड़ा.
खेत से खरीदे गये धान पर भी दिया गया मंडी लेबर चार्ज
अनियमितताओ की सारी हदे पार करता हुओ नियमों को भी ताख़ पर रख दिया . अब नियमों के अनुसान सीधे खेत से खरीदे गये धान पर मंडी लेबर चार्च नहीं दिया जाता है लेकिन केंद्र सरकार ने मिल मालिकों को यह लेबर चार्ज भी दे दिया. इस हेराफेरी के चलते भी मिल मालिकों को 194 करोड़ रुपये तक का मुनाफा हुआ
घटिया चावल की खरीद ने पहुंचाया करोड़ों का नुकसान
पंजाब में 2010-11, 2013-14 में 82 टन धान की की घटिया गुणवत्ता खरीद के चलते सरकार को 9788 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा. सरकार ने घटिया धान का भी पूरा भुगतान किया.
किसानों को धोखे में रखा गया
जिन किसानो को न्यूनतम समर्थन मूल्य के तहत भुगतान कीया गया उनके बैंक खातों की जानकारी भी उपलब्ध नहीं हैं. यानी की किसानों को इसकी कोई जानकारी नहीं हैं. यही नहीं आंध्र प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में भी 17,985 करोड़ रुपये के घोटाले की बात सामने आयी है.