सभी राजनैतिक दलों के एकाथ दो नेताओं के साथ डिग्री के मामले कुछ न कुछ गड़बड़ झाला है,
बहुत से विद्यार्थी पढ़ते है सबकी डिग्रीयां मिल भी जाती है बिना किसी त्रुटि के वक़्त पर?
ये त्रुटि वाला डिग्री हमारे ही देश के नेताओं के पास क्यों होती है वो भी ऑक्सफ़ोर्ड,येल और बिहार से?
इतिहास गवाह है कभी भारत में बाहर से पढ़ने की लिए आते है, आज हम पढ़ने के लिए बाहर जाते है?
शिक्षा का बाज़ारीकरण हुआ, शिक्षा संस्थान अब ज्ञान के लिए नहीं व्यवसाय के लिए खोले जाते है,
और अब जब शिक्षा वयवसाय है तो डिग्रीयां तो बिकेंगे ही तो इसमें इतना बवाल क्यों और किसलिए?
शिक्षा संस्थानों का सही उपयोग कीजिये डिग्रीयां खरीदिए ज्ञान के साथ इलाज भी विदेशों से प्राप्त कीजिये, और शिक्षा का व्यवसाईकरण जारी रखिये? देश में जनता का लूट जारी रहना चाहिए?