इंडिया संवाद ब्यूरो
नई दिल्ली : 8 सितम्बर 1938 को जब अंग्रेजों से लोहा लेने के लिए नेहरु ने लखनऊ के कैसरबाग से नेशनल हेराल्ड का आगाज किया तो उन्होंने सपने में भी नही सोचा होगा कि उनकी तीसरी पीढ़ी नेशनल हेराल्ड को किस अंजाम तक पहुंचाएगी। दरअसल सच तो यह है कि सोनिया और राहुल गाँधी के सत्ता में रहते हुए नेशनल हेराल्ड के 500 से ज्यादा पत्रकारों को नौकरी से निकालकर अख़बार बंद न किया होता तो शायद आज यह नौबत न आती।
लखनऊ और दिल्ली से प्रकाशित नेशनल हेराल्ड ही सिर्फ बंद नही हुआ बल्कि साथ-साथ इसकी सिस्टर पब्लिकेशन कौमी एकता और नवजीवन को भी बंद कर दिया गया। हेराल्ड पर आर्थिक संकट जब नेहरु के दौर में आया तो उन्होंने कहा कि नेशनल हेराल्ड चलता रहे इसके लिए वह आनंद भवन तक बेच देंगे लेकिन राहुल और सोनियां गाँधी को शायद अपने अख़बार की जरूरत ही कभी महसूस नही हुई।
बेरोजगार पत्रकारों को दिए गए झूठे आश्वासन
सूत्रों के मुताबिक छंटनी के बाद बेरोजगार हुए नेशनल हेराल्ड के पत्रकारों ने दस-जनपथ के कई चक्कर लगाये लेकिन उन्हें बार-बार सांत्वना ही दी गई। जनवरी 2008 में कांग्रेस हाईकमान ने संकेत दिए कि नेशनल हेराल्ड घाटे में चल रहा है इसलिए उसे बंद करना पड़ेगा। राजीव गाँधी की करीबी और लखनऊ में पली-बढ़ी पत्रकार सुमन दुबे को सोनिया गाँधी ने अख़बार की कमान सौप दी और जब देश में मनमोहन की सरकार आई तो सभी को यह आस जगने लगी कि अख़बार एक बार फिर से शुरू होगा।
2011 में नेशनल हेराल्ड की कमान संभाल रही सुमन दुबे ने सड़क पर आये बेरोजगार पत्रकारों को आश्वासन दिया कि 14 नवम्बर को बाल दिवस अर्थात नेहरु के जन्म दिवस पर अख़बार को फिर से शुरू किया जायेगा।
इंडिया कंपनी में 76 फीसदी शेयर सोनिया गांधी और राहुल गांधी के
पता लगा कि हेराल्ड ग्रुप जिसे एसोसिएट जरनल लिमिटेड प्रकाशित करता था अब उसकी जगह यंग इंडियन आ चुकी है। ऐसा कहा जाता है कि यंग इंडियन 23 नवम्बर 2010 को बनी। 26 अप्रैल 2012 को यंग इंडिया कंपनी ने एसोसिएटेड जर्नल्स का मालिकाना हासिल कर लिया। जिसमे यंग इंडिया कंपनी में 76 फीसदी शेयर सोनिया गांधी और राहुल गांधी के हैं। बाकी शेयर सैम पित्रोदा, सुमन दुबे, मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीज के पास हैं।
यंग इंडिया ने हेराल्ड की 1600 करोड़ की परिसंपत्तियां महज 50 लाख में हासिल कीं। 15 मई 2012 को कंपनी की मीटिंग में यह तय हुआ कि 2008 से बंद पड़े हेराल्ड ग्रुप को शुरू करके उन पुराने पत्रकारों को नौकरी दी जाएगी जो इससे पहले से जुड़े हुए थे। लेकिन 20012 के बाद गाँधी परिवार की अगुवाई में हेराल्ड ग्रुप पर कोई बैठक नही हुई। थक हार कर बेरोजगार हुए कई पत्रकारों ने बार-बार दस जनपथ के दरवाजे खटखटाए लेकिन कोई सुनवाई नही हुई।
स्वामी के पास पहुचे थे बेरोजगार पत्रकार
बेरोजगार पत्रकारों को ऐसी जानकारी मिली कि हेराल्ड हाउस को किराये पर उठाकर उससे हो रही कमाई को यंग इंडिया के खाते में डाला जा रहा है। सत्ता के गलियारों में गुप-चुप हो रही यह बातें सही साबित हुई और 10 जनपथ के दबाव में मनमोहन सरकार ने बहादूर जफ़र शाह मार्ग स्थित हेराल्ड हाउस का एक बड़ा हिस्सा दो सरकारी कंपनियों को मोटे किराए पर दे दिया गया।
अब यंग इंडिया के खाते में लाखों रूपये का किराया आने लगा लेकिन अख़बार को शुरू करने का कभी कोई फैसला नही हुआ। हेराल्ड से निकले गए पत्रकार इस पूरे मुद्दे को लेकर बीजेपी नेता सुब्रमन्यम स्वामी के पास पहुचे और इसकी जाँच करने की बात कही। बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी का आरोप है कि गांधी परिवार हेराल्ड की संपत्तियों का अवैध ढंग से उपयोग कर रहा है। इनमें दिल्ली का हेराल्ड हाउस और अन्य संपत्तियां शामिल हैं। वे इस आरोप को लेकर 2012 में कोर्ट गए।
कोर्ट ने लंबी सुनवाई के बाद 26 जून 2014 को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी के अलावा मोतीलाल वोरा, सुमन दूबे और सैम पित्रोदा को समन जारी कर पेश होने के आदेश जारी किए थे।