सभी अपनी अपनी सरकार बनाने में व्यस्त है और जनता भी अपने अपने हिसाब से अपनी पसंदीदा सरकार बना रही है, विचारधारा में विभाजित वर्ग भी अपने आंकलन में मस्त है और लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के रूप में पत्रकारिता जगत भी खुलकर कहें या संभल कर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रही है? केंद्र में सत्ता रूढ़ दल के विजयी होने के मायने कहीं छत्रकों की भूमिका को छेत्र तक सीमित या निगल तो नहीं जाएगी क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो इसका व्यापक असर यक़ीनन पुरे देश में देखने को मिलेगा? छत्रकों के जीत के मायने देश में तथाकथित सबसे बड़े दल के रूप में प्रतिष्ठित राजनैतिक दल को यक़ीनन जीवन दान के रूप में दोबारा संघर्ष करके सत्ता में वापसी का रास्ता खुलेगा?
एक आंकलन क्या इस रूप में भी की जा सकती है की अपने बलबूते संग़ठन को खड़ा करने वालों का राजनीति से अवकाश का वक़्त भी करीब है, और उनकी अगली पीढ़ी उस रूप में अपने आपको स्थापित करने में क्या नाकाम रही है जिसका खामियाजा भी देश में राजनैतिक बदलाव के कारकों में से एक सिद्ध होंगे?
देश के प्रदेश में जहाँ चुनाव है वो हमेशा से ही अखवारों की सुर्खियां में रही है, दूरदर्शन के दौर में नलिनी सिंह साहिबां की व्रिस्तृत विवरणको ही ले लीजिये चाहे (Mr .K .J RAO ) के दौर में चुनाव प्रबंधन को ले लीजिये अखवारों की सुर्ख़ियों बने बिना इस प्रदेश में चुनाव न कभी आज़ादी के बाद से आज तक सम्भव हुआ है और न आगे के दौर का पता नहीं? इस चुनाव के परिणाम का देश बेसब्री से इंतज़ार कर रहा है क्योंकि देश की दशा और दिशा जिसमे सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक नीति, विदेश नीति और साथ में पत्रकारिता जगत के साथ साथ कार्यकारिणी और न्यायपालिका के कामकाज पर भी व्यापक असर डालने वाली है? हमारे साथ आप भी इस चुनाव के परिणाम का इंतज़ार कीजिये और अपने अपने स्तर पर सरकार बनाने में सहयोग के बाद .................?