शिर्षक का अंग्रेजी में होने के मायने यह है की कुछ शिर्षक अगर उसी रूप में हो तो पढ़ने और समझने और बोलने में अच्छे लगते है, अगर इसका हिंदी रूपांतर किया जाये तो ये हो जायेगा निंद्रा विहीन रात और घुमावदार केंद्र जिसका कोई मायने मतलब ढंग से निकलता नहीं है!
लोकतंत्र में आंदोलन, जन आंदोलन सत्ता के हिसाब से जायज है नाजायज है, देश और जनता के मद्देनज़र इसका क्या महत्व है इसका कोई एक या दो सुत्रिये गणनांक तो नहीं है मगर फिर भी कह सकते है की ज़रूरी भी है और मजबूरी भी? देश का हालिया इतिहास विरोध प्रदर्शन और आंदोलनों से भरा रहा मांग थी जन लोकपाल जो इस देश लगभग पिछले ४३-४५ बर्षों से लंबित है शुरूआती दौर में सत्ता रूढ़ दल के एक नेता ने कहा था यह किस चिड़िया का नाम है?
जंतर मंतर, रामलीला मैदान, तिहाड़, मुलाकात,वाद-विवाद, कटाक्ष ये सब सत्ता रूढ़ दल के साथ जारी रहा देश के लोगों ने साथ दिया और यह कहाँ भी गलत नही होगा की समाचार माध्यम ने भी जम कर साथ भी दिया और चांदी भी काटी, अब तक के इतिहास में इससे ज्यादा TRP कभी नहीं मिली होगी?
जनता और मीडिया का साथ बढ़ता जन आंदोलन जैसे सत्ता रूढ़ दल की तो जैसे नींद की ख़राब कर दी थी सूझ ही नहीं रहा था की आगे का रास्ता क्या होगा और कैसे निकलेगा, यहाँ तक की भारत सरकार के राजपत्र तक का कोई महत्व नहीं रह गया था? आंदोलन के लिए और आंदोलन को दबाने के लिए दोनों और अनुमानित १:४० के औसत के अनुपात में पैसे खर्च किये गए फिर भी जब मामला नहीं सुलझा तो इसको SLEEPLESS NIGHT की संज्ञा देना मैंने उचित समझा?
SLEEPLESS NIGHT जारी रहती निर्भया कांड और तब फिर एक देश का एक बहुचर्चित घोटाला जिसपर उनके ही सहयोगियों का कहना था की इतना छोटा घोटाला इतना बड़ा आदमी कभी कर ही नहीं सकता, मै नहीं मानता?
एक दौरे पर पुरे देश की निगाहे टिकी थी, दौरा होगा या टलेगा, अंत में दौरा कामयाब रहा चुनौती के मद्देनज़र और यह दौरा देश की राजनीती का एक अहम पड़ाव था जिसने उस ज़मीन को हिला कर रख दी जिस पर खड़े रह कर देश की जनता उस खौफ के मंजर को सामना करती थी जिसका लोकतंत्र में ना ही कभी कोई स्थान नहीं था, है और ना कभी होना चाहिए?
इसे देश के राजनैतिक इतिहास का TURNING POINT अगर कहाँ जाये तो अनुचित नहीं होगा,इतना सबकुछ होने के बाद भी लोकपाल/जन लोकपाल नामक चिड़िया लुटियन जोन में संसद/विधान सभा के गलियारों में धुल फांक रही है जिसकी सुध लेने वाला अब शायद कोई नहीं रहा?