क्या राजनैतिक ज़मीन को बनाने में पानी सहायक हो सकती है? ये सवाल कोई यूं ही देश की जनता के दिमाग में नहीं आते है, क्योंकि पानी ही एक ऐसी द्रब्य है जिसको जिसमे मिला उसका रंग उस जैसा हो जाता है!
एक काफी पुराना नगमा है, "पानी रे पानी तेरा रंग कैसा जिसमे मिलो दो उस जैसा"
राजनीती में भी पानी को मिला दो पानी का रंग राजनीती जैसा हो जायेगा? ईमानदारी में मिला दो ईमानदार दिखेगा, भरषटाचार में मिला दो भरषटाचार जैसा दिखेगा, कालेधन में मिला दो कालेधन जैसा दिखेगा,रंगदारी में मिला दो रंगदार जैस दिखेगा? लाजबाब है रंग पानी का!
चुनावी राजनीती का रंग देखिये पंजाब से हरियाण को पानी देना दूभर हो रहा था मगर दिल्ली से लातूर चला जायेगा?
बिहार में रंगीन पानी पर पाबन्दी लगी तो हाय तौबा मच रही है, और कुछ राजनैतिक वयान ने तो देश के महापुरुषों को भी नहीं छोड़ा!
पानी ही जीवन है पानी ही क़यामत है, अंग्रेजों का दिया हुआ खेल जिसमे अंग्रेज आज तक विस्व कप नहीं जीत पाएं, आज पानी के बिना मातम मना रहा है?
पानी मानव समाज के लिए कुदरत का अनमोल तोहफा है अपने और दूसरों के लिए सहेजिए, राजनीती मत कीजिये! बिना खाएं एक आम इंसान यक़ीनन एक महीने तक जी सकता है मगर पानी के बिना जीना मुश्किल है!
जियों और जीने दो, पियो और पिने दो (पानी)!