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साहित्य

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दो सिर वाला हारड्डाप्राचीन समय की बात है। हारड्डा (एक अजीब - सा, बड़ा - सा पक्षी) नामक एक विचित्र पक्षी रहता था जिसके सिर दो थे किंतु घड़ एक ही था। दोनों सिर के अंदर कोई एकता नहीं थी। दो दिमाग होने की

आकांक्षा’ पत्रिका-2022 हेतु ‘नारी सशक्तिकरण’ पर केन्द्रित रचनाएँ सहयोग सहित आमंत्रित-टीकमगढ़ जिले से प्रकाशित एक मात्र साहित्यिक वार्षिक पत्रिका *'आकांक्षा’* के सन् 2022 अंक-17 हेतु *‘नारी सशक्तिकरण’*

कविवर जयशंकर प्रसाद जी की महान कृति "कामायनी" से प्रेरित होकर लिखी गई कविता। किन्तु यहाँ परिस्थिति प्रलय की नहीं, अपितु पहले लॉकडाउन की थी (मार्च 2020 में)। बालकनी के संकरे मार्ग पर टिककर रेलिंग पर

एक छन्द मां वीणापाणिके श्री चरणों में अर्पित-----                         -------डॉ. मधु प्रधान                सरस्वती वंदना              ---------------------- वीणा पाणि माल युक्त श्वेत वस्त्

अखण्ड भारत का राष्ट्रवादी स्वर: अटल बिहारी वाजपेयीडॉ. आनन्द कुमार शुक्लसहायक प्राध्यापक (हिन्दी)कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालयदेश के राजनीतिक क्षितिज पर दीर्घकाल तक देदिप्यमान ..

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——-राघवेन्द्र कुमार त्रिपाठी ‘राघव’

जीवट जिनका लाखों जन को
सम्बल देता

तु वो बाग़ की कोमल कली हैतुझे तोड़ा अधर्मी वो बली हैजिसे तूने तन मन से माना हैउसने ही तुझे ये पापी दाग़ में साना हैमैं माली हूँ बाग़ से टूटे कली कातु कर भरोसा मेरे साँस कीतेरा छोड़ अब किसका होने वाली हूँतुझे डर किस बात कीदेख मुझे हज़ारों ग़म है फिर भी मतवाली हूँतु छंद है मेरे पंक्तियों की मैं नशा

मैं शब्द रूचि उन बातों की जो भूले सदा ही मन मोले-2अँगड़ाई हूँ मैं उस पथ का जो चले गए हो पर शोले-2हर बूँदो को हर प्यासे तक पहुँचाने का आधार हूँ मैं-2मैं बड़ी रात उन आँखो का जो जागे हो बिना खोलें-2जो कभी नहीं बोला खुल कर वो आशिक़ की जवानी हूँ।-2मीरा की पीर बिना बाँटे राधा के श्याम सुहाने हैं।-2

https://vishwamohanuwaach.blogspot.com/2020/03/blog-post_65.htmlमहिला, साहित्य और सोसिअल साईट https://youtu.be/9RQcAyqOAUc

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*इस सम्पूर्ण संसार में जब कहीं किसी सभ्यता का अस्तित्व नहीं था तब भारतीय सनातन सभ्यता एवं दिव्य इतिहास ने सकल मानव समाज को एक नई दिशा प्रदान की हमारे धर्मग्रन्थों के प्रणेता भगवान वेदव्यास जी के द्वारा लिखित अनेक ग्रन्थों ने मानव को जीवन जीने की कला सिखाई | सनातन धर्म के चार वेद , अठारह पुराण , छ: श

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'कविता मौन ही होती है...’ मेरे द्वारा लिखित कविताओं का संग्रह है जो भिन्न-भिन्न समय और मानसिक अवस्था में लिखी गयीं हैं. कविता भावनाओं की अभिव्यक्ति होती है जिसमें व्यक्ति एक अलग ही तरह का मानसिक सुख पाता है. यह सुख व्यक्तिगत होता है लेकिन कई बार यह व्यक्तिगत से सार्वजनिक भाव भी रखता है.भावनाएं कभी स

लघुकथाबोझक्या पुरूष, क्या स्त्री, क्या बच्चे , सब के सब आधुनिकता के घोड़े पर सवार फैशन की दौड़ में भाग रहे थे और वह किसी उजबक की तरह ताक रहा था । गाँव से आया वह पढा लिखा आदमी, भूल से , एक भव्य माल में घुस आया था और अब ठगा-सा खड़ा था।उसकी नजर एक आदमी पर पड़ी जो एक स्टील के बेंच पर बैठा था। उसके पास

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Rahul Sankrityayan in Hindi- भारत में एक से बढ़कर एक साहित्यकार हुए और इनकी हमेशा से यही कोशिश रही है कि वे हिंदी भाषा का समय-समय पर प्रचार करता रहता है। यहां हम बात हिंदी साहित्यिक राहुल सांकृत्यायन जी के बारे में बात करने जा रहे हैं। जब साहित्य की किताबें हिन्दी से ज्यादा हिंग्लिश की ओर जोर मारने

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