इंडिया संवाद ब्यूरो
नई दिल्ली: आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि आतंकी संगठन अलकायदा ने जिस शख्स को AQIS (भारतीय उपमहाद्वीप में अलकायदा का सरगना) घोषित कर, उसे पूरे भारत में अलकायदा का नेटवर्क फैलाने की मुख्य जिम्मेदारी सौंपी है, अलकायदा का वह सरगना सनाउल हक उर्फ मौलाना आसिम उमर उत्तर प्रदेश के संभल तहसील के एक स्वतंत्रता सेनानी परिवार से जुड़ा है।
जांच एजेंसियों ने किया बड़ा खुलासा
मौलाना आसिम उमर के बारे में यह बड़ा खुलासा जांच एजेंसियों ने किया है। इन एजेंसियों के मुताबिक, उमर का जन्म यूपी के संभल स्थित एक स्वतंत्रता सेनानी परिवार में हुआ है। अलकायदा ने उमर को AQIS घोषित किया था, जो भारत में अलकायदा का नेटवर्क फैलाने में मुख्य भूमिका निभा रहा था।
मां के लिए 6 साल पहले ही मर गया था
सूत्रों के मुताबिक, उमर की पहचान संभल निवासी मोहम्मद आसिफ से पूछताछ के बाद की गई है। आसिफ से पूछताछ में यह सबसे बड़ा खुलासा हुआ कि उमर भारत में इस आतंकी संगठन का फरार सरगना है। हालांकि, इस खुलासे से संभल में मौजूद उमर के परिवार को कोई खास फर्क नहीं पड़ा। उसकी 70 साल की मां ने शुक्रवार को बताया, हमारे लिए वह छह साल पहले ही मर गया था, जब स्थानीय खुफिया एजेंट्स ने हमें बताया कि वह एक आतंकी संगठन में शामिल हो गया है।
परिवार के लिए बड़ा जख्म, बेटे से तोड़ा रिश्ता
दरअसल, खुफिया एजेंट पहली बार साल 2009 में संभल के दीपा सराय गांव में उमर के घर पहुंचे थे। उन्होंने बताया था कि जिस बेटे को वह पिछले 14 साल से लापता मान रहे थे, वह जिंदा है। एजेंट्स ने परिवार को बताया कि उनका बेटा तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान और अलकायदा जैसे आतंकी संगठनों के लिए काम कर रहा है। इसके बाद उसके पिता इरफान-उल-हक ने अखबारों में विज्ञापन देकर यह घोषणा कर दी थी कि उमर से उनका कोई रिश्ता नहीं है। हालांकि, स्वतंत्रता सेनानियों के इस परिवार के लिए यह बहुत बड़ा जख्म था।
बचपन से ही किताबों में थी दिलचस्पी
इरफान ने बताया कि उमर उर्फ सनाउल को हमेशा से किताबों में बड़ी दिलचस्पी थी, लेकिन एक दिन उसने कहा कि वह एक मदरसा में कुरान और अरबी भाषा पढ़ना चाहता है। उसने परिवार को कहा कि अगर वह पढ़कर हाफिज बन गया तो उन्हें जन्नत नसीब होगी। सनाउल के पिता इस बात के लिए राजी नहीं हुए और उन्होंने उसे समझाने की काफी कोशिशें कीं, लेकिन वह नहीं माना। इरफान ने बताया, 1995 में बात पूरी तरह बिगड़ गई, जब सनाउल ने आगे की पढ़ाई के लिए मक्का जाने की बात कहकर एक लाख रुपये मांगे। मुझे गहरा धक्का लगा। मैंने उससे कहा कि वह एक नौकरी तलाश कर परिवार की मदद करे या यहीं पढ़ाई करे, लेकिन वह देश छोड़ना चाहता था। उसके चाचा ने तो उसे पीटा भी था। हम सब उसको लेकर बेहद चिंतित थे। इसके बाद एक दिन वह गायब हो गया और परिवार ने उसके लापता होने की शिकायत भी लिखाई। फिर उन्हें पता चला कि वह आतंकी संगठन से जुड़ गया है।
भारत में पहली बार अलकायदा का पर्दाफाश
गौरतलब है कि जेल में बंद इंडियन मुजाहिदीन (IM) के कमांडर यासीन भटकल से पूछताछ से मिले सुराग के आधार पर भारत में पहली बार अलकायदा गैंग का पर्दाफाश किया गया है। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में अलकायदा से जुड़े तीसरे आतंकवादी और फाइनेंसर जफर मसूद को पकड़ा है। इसी मामले में उड़ीसा के कटक से मंगलवार को अब्दुल रहमान को गिरफ्तार किए जाने के बाद आसिफ को गिरफ्तार किया गया था। रहमान का भाई ताहिर अली पहले से ही जेल में है। उस पर कोलकाता के अमेरिकी सेंटर पर 2001 में हुए हमले के दोषियों को मदद करने का आरोप है।
भारत में AQIS का प्रधान विचारक बनाने के लिए दी ट्रेनिंग
पूछताछ में पता चला है कि आसिफ ने उत्तरी वजीरिस्तान के सुमाली में उस्मान नाम के एक ऐसे भारतीय मित्र से मुलाकात की थी, जो काफी पहले ही भारत छोड़कर वहां जा बसा था। यह उस्मान ही था, जिसने आसिफ का मौलाना आसिम उमर से परिचय कराया। मौलाना आसिम उमर ही सनाउल था। अलकायदा प्रमुख अयमान अल जवाहिरी ने खुद उसे AQIS का अमीर घोषित किया था। वजीरिस्तान में आसिफ को ट्रेनिंग दी गई, ताकि वापस लौटकर वह भारत में एक्यूआईएस का प्रधान विचारक बन सके।