23 नवम्बर 2016
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समाज लोगों को अध्याय जोड़ना है... गरीबों की सेवा करे... असहाय लोगों की मदद करे...D
सच कहा आपने, टेलिविज़न और अखबारों में इस तरह के विज्ञापन नित्य ही देखने को मिलता है। यदि इतनी ही शक्ति होती इन ताबीज़, पेंडेंट, लाकेट इत्यादि में तो फिर विज्ञापन देने वाले स्वयं इससे लाभ क्यों नहीं उठाते।
25 नवम्बर 2016