मोदी जी के परम् मित्र जफर सरेशवाला के प्रयासो से खुल गया इस्लामी बैंक । हिन्दुत्व के कथित ध्वजावाहकों और राष्ट्रवादियों को इस बात से बेहद हर्ष होगा कि आखिर महाराष्ट्र के सोलापुर नगर में देश का पहला इस्लामी बैंक खुल गया है। देशवासियों को भ्रमित करने के लिये इसका नाम लोकमंगल बैंक रखा गया है। इस बैंक ने उद्घाटन के तुरन्त बाद एक दर्जन से अधिक मुसलमानों को ब्याज मुक्त ऋण देने की भी घोषणा की है। ज्ञातव्य है कि देशभर के मुस्लिम नेता गत दो दशक से कांग्रेस सरकार पर इस बात के लिये दबाव डाल रहे थे कि वह देश में इस्लामी बैंकिंग व्यवस्था लागू करने की अनुमति दें। मनमोहन सिंह सरकार ने यह मामला दो कारणो से खटाई में डाले रखा, पहला कारण- क्योंकि गुप्तचर एजेंसियों ने सरकार को इस बात की चेतावनी दी थी कि यदि इस बैंक को देश में पैर पसारने की अनुमति दी गई तो इससे इस्लामी धर्मांतरण में भारी वृद्धि होगी और इस बैंक के माध्यम से इस्लामी जिहादियों को आर्थिक सहायता देने का द्वार खुल जायेगा। दूसरा कारण- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिन्दू परिषद् व भाजपा ने इस्लामिक बैंक खुलने की संभावना के विरूद्ध ऐसा माहौल बना दिया था कि यदि इस्लामिक बैंक खोला गया तो जाने वो देश में क्या कर देंगे। एक दशक पूर्व केरल सरकार के सहयोग से एक प्राइवेट निगम बनाकर वहां पर इस्लामी बैंक खोलने का प्रयास किया गया था। यह मामला सुब्रमण्यम स्वामी उच्चतम् न्यायालय में ले गये। जिससे वहां पर इस बैंक का खोला जाना स्थगित हो गया। देश में हिन्दूवादी सरकार के सत्ता में आने के बाद सउदी अरब की सरकार ने भारत में पुनः इस्लामी बैंक की व्यवस्था शुरू करने के लिये भागदौड़ शुरू कर दी। कहा जाता है कि इस बैंक को खुलवाने में प्रधानमंत्री मोदी के चहेते जफर सरेशवाला नेे बड़ी मेहनत की। इसका नतीजा यह हुआ कि इस वर्ष जब मोदी सउदी अरब के दौरे पर गये थे तो भारत के सरकार बैंक एमैक्स का सउदी सरकार के बैंक इस्लामिक विकास बैंक के साथ एक समझौता हुआ जिसके तहत देश में इस्लामी बैंक की व्यवस्था प्रारम्भ करने का निर्णय किया गया। जानकार सूत्रों के अनुसार इस्लामी बैंकिंग व्यवस्था का भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निरन्तर विरोध किया जा रहा था। मगर नरेन्द्र मोदी के सत्ता में आने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक ने अपना स्टैण्ड बदल लिया और इस्लामी बैंकिंग की व्यवस्था लागू करने की अनुमति दे दी। इसके बाद मोदी मंत्रिमंडल ने 11 सितम्बर, 2016 भारत के दरवाजे इस्लामी बैंक के लिये खोल दिये।
आखिर क्या है इस्लामिक बैंक
इस्लामी कानून यानी शरिया के सिद्धांतों पर काम करने वाली बैंकिंग व्यवस्था को इस्लामिक बैंकिंग कहा जाता है। इन बैंकों की खासियत यह है कि इनमें किसी तरह का ब्याज न तो लिया जाता है और न ही दिया जाता है। इसमें बैंक को होने वाले लाभ को इसके खाताधारकों में बांट दिया जाता है। नियम के अनुसार, इन बैंकों का पैसा गैर इस्लामी कार्यों में नहीं लगाया जा सकता। गरीब हिन्दू अब ब्याज रहित धन के लालच में अब इन बैंको की तरफ आकर्षित होगे, इनसे कर्जा लेगे, उसके बाद उन गरीब हिन्दुओं का क्या होगा, यह भविष्य बतायेगा !
-विश्वजीत सिंह अनंत
राष्ट्रीय अध्यक्ष
भारत स्वाभिमान दल
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