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प्राचीन भारत ने ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में बहुत तरक्की कर ली थी। इसकी एक मिसाल कुतुब मीनार के पास स्थित महरौली का लौह स्तंभ है। गुप्तकाल के इस लोहे के खंभे में जंग नहीं लगती। पुराने समय में हमारे ऋषि-मुनि धर्म-अध्यात्म के साथ विज्ञान की साधना भी करते थे। उन्होंने वैज्ञानिक रिसर्च के आधार पर बहुत सारे ग्रंथ लिखे हैं। हम आपको बता रहे हैं प्राचीन भारत में हुए इन्वेंशन और डिस्कवरी के बारे में...
आज से ज्यादा अच्छी थी विमानों की टेक्निक
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-रामायण काल में महर्षि भारद्वाज ने यंत्र सर्वस्व नामक ग्रंथ लिखा था। इसमें तमाम तरह के यंत्रों के निर्माण और उनके संचालन के बारे में विस्तार से बताया गया है। इसमें एक हिस्सा वैमानिक शास्त्र का भी है।
-वैज्ञानिक डॉ. वामनराव काटेकर ने `अगस्त्य संहिता´ की एक प्राचीन पांडुलिपि के आधार पर की गई रिचर्स में बताया था कि पुष्पक विमान को अगस्त्य मुनि ने बनाया था।
-ऋग्वेद के चौथे मंडल के 25वें और 26वें सूत्र में तीन चक्कों वाले ऐसे हवाई जहाज का उल्लेख है, जो अंतरिक्ष में भी जा सकता था।
-प्राचीन ग्रंथ वैमानिका प्रकाराम के हवाले से एक रिसर्चर कैप्टन आनंद जे बोडास का दावा है कि उन दिनों के विमान आज के विमानों की तुलना में काफी बड़े होते थे। साथ ही वे दाएं-बाएं घूमने के अलावा पीछे की ओर भी आसानी से उड़ सकते थे।
शून्य व दशमलव का आविष्कार
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ग्वालियर के एक मंदिर की दीवार पर हिंदी में 270 का अंक अंकित है। यह संसार में शून्य का सबसे पुराना लिखित दस्तावेज है। माना जाता है कि शून्य का प्रयोग वैदिक काल से शुरू हुआ। सन् 498 में भारतीय गणितज्ञ आर्यभट्ट ने शून्य और दशमलव पद्धति का आविष्कार किया। उन्होंने कहा था- 'स्थानं स्थानं दसा गुणम्' अर्थात् दस गुना करने के लिए उसके आगे शून्य रखो। इसी को संख्या के दशमलव सिद्धांत की शुरुआत माना जाता है। भारत का 'शून्य' अरब में 'सिफर' (खाली) नाम से जाना गया। लैटिन, इटैलियन, फ्रेंच से होते हुए यह अंग्रेजी में 'जीरो' (zero) कहलाया।
प्लास्टिक सर्जरी सहित कई तरह की सर्जरी की शुरुआत
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सुश्रुत को पहला सर्जन माना जाता है। आज से 3,000 साल पहले सुश्रुत युद्ध या नेचुरल डिजास्टर में जो लोग घायल हो जाते थे उन्हें ठीक करने का काम करते थे। सुश्रुत ने 1,000 ईसा पूर्व प्रेग्नेंसी, कैटरेक्ट, बॉडी पार्ट ट्रांसप्लांट, पथरी का इलाज और प्लास्टिक सर्जरी जैसी कई तरह की सर्जरी के सिद्धांत बताए थे।
चक्के का आविष्कार
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मानव सभ्यता के इतिहास में चक्के का आविष्कार आग की खोज जितना महत्वपूर्ण समझा जाता है।
ऐसा माना जाता है कि रामायण और महाभारतकाल से पहले ही भारत में पहिया बनाया जा चुका था और रथों व बैलगाड़ियों में इसका इस्तेमाल होता था। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यताके अवशेषों से (ईसा से 3000-1500 वर्ष पूर्व की बनी) खिलौना हाथीगाड़ी मिली थी।
किसी भाषा के व्याकरण को एक स्टैंडर्ड रूप देना
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किसी भी भाषा का दुनिया का पहला व्याकरण व्यवस्थित रूप में पाणिनी ने लिखा। 500 ईसा पूर्व पाणिनी ने संस्कृत भाषा को व्याकरण के नियमों में बांधा था। इनके व्याकरण का नाम अष्टाध्यायी है, जिसमें 8 अध्याय और 4 सहस्र सूत्र हैं। अष्टाध्यायी में उस समय के भारतीय समाज के भूगोल, सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक, राजनीतिक जीवन, दार्शनिक चिंतन के संदर्भ भी हैं।
वैदिक गणित का आविष्कार
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वैदिक गणित की शुरुआत भारत में ही हुई थी। स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ द्वारा रचित वैदिक गणित न्यूमेरिकल कैल्कुलेशन की वैकल्पिक व शॉर्ट मेथड का समूह है। इसमें 16 मूल सूत्र दिए गए हैं। वैदिक गणित कैल्कुलेशन की ऐसी मेथड है, जिससे कठिन न्यूमेरिकल कैल्कुलेशन बेहद आसान तरीके से संभव हैं।
ज्यामिति (ज्यॉमेट्री) का ज्ञान
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बोधायन भारत के प्राचीन गणितज्ञ हैं। दरअसल 800 ईसा पूर्व के दौर में रहे बोधायन ने रेखागणित, ज्यामिति के महत्वपूर्ण नियम बनाए थे। उस समय भारत में रेखागणित, ज्यामिति या त्रिकोणमिति को शुल्व शास्त्र कहा जाता था।