देखो UP में हिंदूऔ की मूर्खता
हिंदुओं के यूपी में एकजुट नही होने
का परिणाम !
1992 मेँ 27 मुस्लिम विधायक,
1997 मेँ 38 मुस्लिम विधायक,
2002 मेँ 45 मुस्लिम विधायक,
2007 मेँ 55 मुस्लिम विधायक,
2012 मेँ 68 मुस्लिम विधायक,
कृतघ्न हिन्दू सपाइयोँ,बसपाइयोँ एवं कांग्रेसियोँ,
इन्हेँ चुनकर इनका मनोबल बढ़ाओ और गाजर
मूली की भाँति कटते रहो,
अपनी दुर्गति कराते रहो।
ताकि 2022 के चुनाव मेँ सारे विधायक मुस्लिम
हो जाये और दूसरा पाकिस्तान तैयार हो जाये,
ताकि तुम्हारी आगामी पीढ़ी भी इस्लाम स्वीकार
करने को विवश हो जाये।
दिल्ली,बिहार,बंगाल में हिन्दू एकजुट नही
होने का दुष्परिणाम हिन्दू भुगत ही रहे हैं।
अभी तो यूपी में कुछ कैराना ही बने हैं।
एकजुट नही हुए तो आगामी बर्षों में यूपी
भी कश्मीर बनेगा।
Not- भाजपा ने UP मे एक भी मूस्लिम उम्मीदवार नही उतारा है,
अब देखना है कि UP के हिंदू भाजपा को वोट देने की समझदारी करेंगे या गैर भाजपा को वोट देने की महा मूर्खता
नेहरु ने क्यों किया था बैन इस गीत को --
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संभल के रहना अपने घर में छिपे हुए गद्दारों से।
54 वर्ष पूर्व (1958) महान राष्ट्रभक्त कवि प्रदीप ने खरे शब्दों में सीधी चेतावनी देते हुए इस अमर गीत की रचना की थी. तत्कालीन नेहरु सरकार को यह चेतावनी रास नहीं आयी थी. अतः
गीत पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
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1965 में पाक के नापाक हमले से आँखें खुली तो गीत से भी प्रतिबन्ध हटा था. सुनिए और सोचिये की आज भी कितना प्रासंगिक है यह गीत -
इसे फैलाइए… इस उम्मीद को…
इस मुहब्बत को….. इस बेबाक़ी को…! –
फिल्म : तलाक (1958)
गायक : मन्ना डे
बिगुल बज रहा आजादी का, गगन गूंजता नारों से
मिला रही है आज हिंद की मिट्टी नजर सितारों से
एक बात कहनी है लेकिन, आज देश के प्यारो से
जनता से, नेताओ से, फौजों की खड़ी कतारों से
कहनी है इक बात हमें इस देश के पहरोदारों से
संभल के रहना अपने घर में छुपे हुए गद्दारों से
झांक रहे हैं अपने दुश्मन अपनी ही दीवारों से
संभल के रहना अपने घर में छुपे हुए गद्दारों से
ए भारत माता के बेटों, सुनो समय की बोली को
फैलाती जो फूट यहाँ पर, दूर करो उस टोली को
कभी न जलने देना फिर से, भेद भाव की होली को
जो गांधी को चीर गयी थी, याद करो उस गोली को
सारी बस्ती जल जाती है, मुट्ठी भर अंगारों से
संभल के रहना अपने घर में छुपे हुए गद्दारों से
जागो तुमको बापू की जागीर की रक्षा करनी है
जागो लाखों लोगों की तक़दीर की रक्षा करनी है
अभी बनी है जो उस तस्वीर की रक्षा करनी है
होशियार तुमको अपने, कश्मीर की रक्षा करनी है
आती है आवाज यही, मंदिर मस्जिद गुरुद्वारों से
संभल के रहना अपने घर में छुपे हुए गद्दारों से