क्या बॉलीवुड को भारतीय संस्कृति का नाश करने का ठेका ले रखा है
फ़िल्म दंगल जो पहलवान महावीर फोगठ जी ओर उनकी बेटियाँ गीता & बबीता फोगठ की ज़िंदगी पे आधारित है
इसके कोई शक नहीं कि फ़िल्म में फोगाट की मेहनत ज़ुनून को काफ़ी हद तक सही दर्शाया हुआ लेकिन कुछ चीज़ें जो बिलकुल ग़लत दिखायी गयीं हैं
महावीर फोगाट हनुमान भक्त है (फ़िल्म में ऐसा कोई scene नहीं है )
उन्होंने शराब या धूम्रपान नहीं किया कभी भी (फ़िल्म में उन्हें कई बार शराब का सेवन करता दिखाया हुआ है )
ओर सबसे बड़ी बात अपने बच्चों का वज़न बढ़ाने के लिए कभी भी नॉन वेज नहीं खिलाया ( फ़िल्म में हलाल कसाई से चिकन लेकर बच्ची को खिलाने का scene दिखया हुआ है )
हरियाणा के लगभग सभी बड़े बाक्सर ओर पहलवान शुद्ध शाकाहारी है उदाहरण के लिए आप सुशील , विजेंदर, योगेश्वर दत्त , अन्य अन्य किसी भी बड़े खिलाड़ी को देख लो
वैसे ओर भी बहुत कमियाँ हैं दंगल में जैसे कि उनकी भतीजी को भी उन्होंने पहलवान बनाया वो नहीं दिखाया हुआ , उनकी बीवी ३बार सरपंच बनी उसका कोई ज़िक्र नहीं , उनका एक छोटा लड़का भी है उसका कोई ज़िक्र नहीं
भारत सरकार की तरफ़ से उनको द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया हुआ उसका कोई ज़िक्र नहीं !
कहने का तात्पर्य सिर्फ़ यह है कि किसी कि जीवनी पे फ़िल्म बनानी है तो तथ्य ठीक रखो , ठीक है थोड़ा फ़िल्मी मसाला लगाना पड़ता है लेकिन उस बंदे की इज़्ज़त कम न हो इसका तो ख़याल रखो
वैसे महावीर फ़ोगाट जी ने इतनी मेहनत से इतना पैसा नहीं कमाया होगा जितना आमिर खान उनके नाम पे बनी दंगल से कमा लेगा