कुछ बदलाव की है जरूरत
सम्पूर्ण व्यवस्था के लिए कार्यरत संगठन भारत स्वाभिमान दल द्वारा पाँच सूत्री माँगों को लेकर 11 जून 2017 को दिल्ली के जंतर मंतर से जन आंदोलन की शुरुआत सम्पूर्ण व्यवस्था परिवर्तन व राष्ट्रीय एकता के लिए आवश्यक है कि भारत स्वाभिमान दल की पाँच सूत्री माँगों को भारत सरकार तत्काल माने।
1. साम्प्रदायिक आधार पर भेदभाव करने वाले कानूनों को निरस्त कर समान नागरिक संहिता बनायी जाए। वर्तमान भारतीय संविधान जाति व धर्म के आधार पर भारतीय नागरिकों में भेदभाव करता हैं, यह संविधान धर्म के आधार पर किसी नागरिक को सामान्य, तो किसी नागरिक को विशेषाधिकार देता हैं। इस संविधानिक साम्प्रदायिक भेदभाव के चलते देश में जातीय व साम्प्रदायिक तनाव बढ़ रहा हैं, जो राष्ट्रीय एकता व अखण्डता के लिए घातक हैं, और कालांतर में गृहयुद्ध का कारण भी बन सकता हैं। अतः राष्ट्र हित में साम्प्रदायिक आधार पर भारतीय नागरिकों में भेदभाव करने वाले कानूनों को निरस्त कर समान नागरिक संहिता लागू की जाए। देश में समानता का अधिकार लागू किया जाना चाहिए।
2. जाति को अवैध घोषित किया जाए, सरकारी महत्व के अभिलेख विद्यार्थी पंजीकरण, मूल निवास, जॉब पंजीकरण आदि परिपत्रों में जाति लिखने पर प्रतिबंध लगाया जाए।
3. नौकरी हेतु किसी भी प्रकार के आरक्षण को अवैध घोषित कर उस पर प्रतिबंध लगाया जाए, केवल शिक्षा हेतु आर्थिक आधार पर गरीब विद्यार्थियों को सहायता दी जाए, नौकरी उन्हें उनकी योग्यता के आधार पर मिले। पर जब तक ऐसा करना संभव नहीं होता तो आर्थिक आधार पर आरक्षण की व्यवस्था की जा सकती है। आर्थिक आधार पर आरक्षण किसे दिया जाए और किसे न दिया जाए, इसका प्रारूप आपको निवेदित हैं : > जो बच्चे 10 2 तक सरकारी विद्यालयों व बाद में सरकारी महाविद्यालयों में ही पढ़े हों, सिर्फ उन्हें ही आरक्षण मिले, प्राइवेट स्कूलों में पढ़े हुए बच्चों को नहीं। सरकारी स्कूल में पढ़े बच्चे वास्तव में ही गरीब होते हैं, अमीर के बच्चे तो प्राइवेट विद्यालयों में पढ़ेंगे।
जिस परिवार में तीन से अधिक बच्चे हों, उस परिवार के किसी बच्चे को आर्थिक आरक्षण नहीं मिलेगा क्योंकि आरक्षण की मदद उनके लिए होती है जिन पर जिंदगी बोझ हो, उनके लिए नहीं जो देश पर बोझ हों। > अगर एक बार भी विधायक, सांसद या किसी अन्य सरकारी लाभ के पद पर रहे हो या क्लास 3 या इससे ऊपर की सरकारी नौकरी तक गए हो तो आर्थिक आरक्षण के दायरे से बाहर हो गए।
जिसके माता या पिता पहले से ही आरक्षण का लाभ पाकर सरकारी नौकरी में कार्यरत हो उनके बच्चे को भी आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। > अति उपजाऊ भूमि में 5 एकड़ से कम, मध्यम उपजाऊ भूमि में 15 एकड़ से कम व रेगिस्तानी भूमि में 25 एकड़ से कम वाले छोटे व गरीब किसानों के बच्चों को ही आरक्षण मिलेगा। >
कभी खुद का चार पहिया वाहन न रहा हो और शहर में अपना मकान न हो, सिर्फ उन्हीं गरीबों के बच्चों को आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाये। अभी के लिए इतना काफी है, आर्थिक आरक्षण मिलने के बाद कहीं से गलत सेंध लगे, उसकी समीक्षा करके वो रास्ते बन्द किये जाते रहें।
4. केन्द्रीय गौवंश मंत्रालय बनाकर गौवंश की हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए, स्वदेशी गौवंश को प्रोत्साहन की नीति बनाई जाए। केन्द्रीय योजना बनाकर जिला स्तर पर एक एक लाख गौवंश की क्षमता वाली गौशालाएँ बनायी जाए, उनमें बेसहारा गाय, बैल व सांडों को रखा जाए तथा गौवंश आधारित उद्योगों की शुरुआत की जाए, गैस, बिजली, खाद, औषधि आदि गौवंश से उत्पन्न कर विदेशी मुद्रा बचाई जाए, तथा गाँवों में गौवंश आधारित संयंत्र स्थापित करने के लिए गौवंश पालक किसानों को सबसिडी दी जाए, ग्रामीण भारतीयों को आत्मनिर्भर बनाया जाए।
5. अधिकतम तीन संतान उत्पन्न करने का कठोर जनसंख्या कानून बनाया जाए। सम्पूर्ण व्यवस्था परिवर्तन के इस जन आंदोलन में स्वयं जुड़े, दूसरों को जोड़ें। इस जन आंदोलन में सहयोग देने के इच्छुक दान दाता भारत स्वाभिमान दल के राष्ट्रीय सचिव श्री धर्म सिंह जी से 8535004500 पर संपर्क करें। वन्दे मातरम् जय माँ भारती राष्ट्र हित में इस पोस्ट को अधिक से अधिक कॉपी पेस्ट व शेयर करें
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