स्वदेशीसायबर सेना का गठन हम स्वदेशी के मान्यता वाले लोग आखिर क्यों विदेशी कंपनियों के हाथों में सौप रहे है भारतीय अर्थव्यवस्था को?
विदेशी कम्पनिया के हाथों में सरल और सुरक्षित कैशलेस लेनदेन हो पाना क्या सम्भव है ण्ण्घ् विदेशो में बैठे शायबर क्राइम जो की महज 6 सेकेण्ड में साइबर क्राइम द्वारा उपभोक्ता के पूरे अकाउंट में फ्रॉड कर सकते है क्या हमारी न्याय व्यवस्था या 18 वी सदी के कानून और पुलिस हम भारतीयों को न्याय दिलवाने में तत्पर और तैयार है ...?
ऐसा कदापि नहीं है कि प्रधानमंत्री के लेस कैश और विमुद्रिकरण अभियान के मैं खिलाफ हूँ परंतु कैस लेस इकोनामी को फाल्टलेस बनाने हेतु संसाधन भारत में उपलब्ध है या हम केवल उन विदेशी कम्पनियो पर निर्भर है जिसका प्रमाण भोपाल गैस त्रास्दी है एक विदेशी कम्पनी के आगे हमारी राजनैतिक व्यवस्था ए नेता अधिकारी और न्यायालय सब घुटने टेक कर खड़े हो गए आज तक पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पाया ऐसे में क्या यदि किसी भारतीय के साथ आन लाइन या ऑफलाइन वित्तीय फ्रॉड होता है तो क्या हमारी राजनैतिक ए प्रशासनिक या न्याय व्यवस्था उन कम्पनियो पर कार्यवाही करने में सक्षम है जिन कम्पनियो के सर्वर विदेशो में है वेबसाइट अमेरिका में है तो आफिस हालेंड में है और व्यापार कर रही है भारत में ।
आन लाइन सुरक्षा
आधार के माद्यम से एक करोड़ लोगो का ऑनलाइन ऑथेंटिकेशन है जिनका उपयोग ये कम्पनिया अपने फायदे के लिए कभी भी हम भारतीयों के डेटा का इन लीगल माइनिंग के रूप में प्रयोग कर सकती है ।
डिजिटल इंडीया योजना के लक्ष्य के तहत एक लाख गाँव को इंटरनेट से जोड़ना था जुड़े महज 8ः लोगो को मार्च 2017 तक 8 हजार गाँव को जोड़ पाये ।
2017 तक सभी गावो को जोड़ना था । वर्तमान रफ़्तार से कार्य इसी प्रकार चला तो 12 वर्ष लग जाएंगे । जो सरकार कालड्रॉप पर आज तक कम्पनियो पर कार्यवाही नहीं कर पाई याचक की तरह मोबाइल कम्पनियो के आगे खड़ी है ।
क्या वो मोबाइल बैंकिंग में फ्रॉड का शिकार उपभोक्ता को न्याय दे पायेगी ।
डिजिटल एजुकेशन .
भारत की 30% आबादी गरीबी रेखा से नीचे व अनपढ़ है यदि इनके साथ कोई फ्रॉड होता है तो क्या इन्हें न्याय मिल पायेगा जबकि हम सब न्यायालयों के निर्णय से परिचित है किस प्रकार सलमानखान या दिवंगत जयललिता पैसे के बल पर अदालती निर्णय को अपने पक्ष में कर सकते है ।
मोबाइल द्वारा कैशलेस के लिए टेलीकॉम कम्पनियो के खिलाफ कठोर कानून बने
टेलीकॉम कम्पनिया कालड्रॉप के नाम पर उपभोक्ता को लूट रही है । यदि ग्राहक का नंबर बंद हो जाता है तो उसी नम्बर को कुछ समय बाद किसी अन्य ग्राहक को वही नम्बर प्रदान कर देती है ऐसे में ये कैशलेश सुरक्षा के लिए गम्भीर विषय है ।
चोरी हुए मोबाइल या सिम की रोकथाम हेतू सख्त नियम की आवश्यकता है ।
आर्थिक नफा नुकशान
विश्व की सबसे बड़ी माइक्रोसाफ्ट कम्पनी जो भारत में ऑपरेट करती है और भारत में 4 लाख 29 हजार करोड़ का कारोबार करती है और टेक्स देती है मात्र 6 हजार करोड़ रूपये । पहले कालाधन विदेशो में जाता था भ्र्ष्ट नेता अधिकारियों एवं काले कारोबारियों द्वारा कालाधन विदेश अभी भी जाएगा बीएस उसका स्वरुप बदल जाएगा ।
भारत सरकार का आंकड़ा है प्रति एटीम 5 लाख की लागत लगानी पड़ती है और प्रति ट्रांजेक्शन पर 15 रूपये खर्च करना पड़ता है इससे बचने के लिए वालेट कम्पनियो को बढ़ावा दिया जा रहा स्वाभाविक है ये 15 रूपये बैंक द्वारा इन कम्पनियो को प्रति टांजेक्शन दिया जाएगा और यदि कम्पनी विदेशी है तो प्रतिवर्ष लाखो करोडो रूपये विदेश जाएगा ।
अतः आज हमारे सामने बहुत सारी चुनौतियां है आज कैश लेश प्रचलन को बढ़ावा देने के लिए सरकार विज्ञापन दे रही रही बड़े बड़े लकी ड्रा की घोषणा हो रही है अच्छी बात है इससे दो कदम आगे जाते हुए सरकार विज्ञापन दे यदि किसी उपभोक्ता के साथ फ्रॉड हो जाता है तो उसका तय समय सीमा में न्याय और भुगतान ब्याजसहित किया जाएगा ।
वित्त मंत्री चाइना से कॉर्ड स्वीप की मशीनें मंगवाने की बात कर रहे है स्वाभाविक है हम स्वदेशी की मान्यता वाले लोगो के लिए ये गम्भीर चिंतन का समय है ।
भारत की आर्थिक संप्रभुता की रक्षा के लिए पूरी आर्थिक व्यवस्था का स्वदेशीकरण होना अति आवश्यक है जो भारत सुपरकम्प्यूटर बना सकता वो ए टीम मशीन और ज कॉर्डस्वीप की pos भी बना सकता है ।
भारत सरकार द्वारा देश के सभी उच्चताकनिकी के संस्थानों को कैशलेस योजना हेतू स्वदेशी सिस्टम विकसित करने हेतू युद्ध स्तर पर लगाना चाहिए नए साइबर कानून बने और इसके लिए नए युवाओ को प्रशिक्षण देकर शायबर सेना में उन्हें रोजगार का अवसर प्रदान करना चाहिए ताकि वो हमारी आर्थिक लेनदेन को loc पर खड़े जवान की भांति सदैव रक्षा करने में तत्पर और तैयार रहे ।
स्वदेशी रक्षक