श्रोता : राजीव जी, अगर आपकी इजाजत हो तो और भी कुछ सवाल है, क्या आपने कोई मल्टीनेशनल कंपनी मार भगाई है?
राजीव भाई : हाँ, है तो हमलोग बहुत छोटे ताकत में लेकिन कुछ दो तीन काम किये है, अभी तो ताजा ताजा एक आपको सुना सकता हु, राजस्थान का, राजस्थान में एक जिला है, उसका नाम है अलवर. अलवर जिले में एक जगह है उसका नाम है तेजारा, तेजारा एक बहुत मशहूर जैन तीर्थस्थान है. दिगम्बर जैन के लोगों का एक बहुत महत्वपूर्ण तीर्थस्थान है, तो वहां क्या हुआ, अमेरिका की एक कंपनी है विल्सन और हिंदुस्तान की एक कंपनी है केडिया. दोनों ने मिल के शराब के कारखाने लगाने के लिए तेजारा के पास के साढ़े चार सौ गाँव की ५०,००० बीघा जमींन एक्वायर की. मै एक बार अलवर गया हुआ था. कुछ भाई लोग मेरे पास आये कि राजीव भाई आप तो विदेशी कम्पनियों के पीछे डंडा ले के घूमते हो, हमारे गाँव में विदेशी कंपनी आ गई है. तो मैंने कहा कि क्या करने के लिए आई है? तो कहने लगे कि शराब बेंचने के लिए आई है. तो शराब का कारखाना खुलेगा, तो मुझे लगाया, मैंने पूछा उनसे कि आपका गाँव अलवर से कितना दूर है, तो उन्होंने कहा कि बिलकुल नजदीक है, आप चाहो तो कल चल सकते है. तो मैंने मेरे सारे प्रोग्राम पोस्टपोन किये और मै अगले दिन अलवर गया. और वहां जा के मैंने देखा कि सामने जैन मंदिर है और बिलकुल बाजु में जमींन दे दिया शराब बनाने के लिए. किसने किया? सरकार ने, किसकी सरकार है? भारतीय जनता पार्टी की.
मुझे बहुत क्रोध आया, फिर मैंने गाँव के लोगों की मीटिंग बुलाई. मैंने कहा कि आपने जमीन क्यों बेंची? तो उन्होंने कहा कि साहब जमीं हमने नहीं बेंची, जबरदस्ती हमसे अंगूठा लगवाया. रात के दो दो बजे, तीन तीन बजे कलेक्टर, एस.एस.पी. फ़ोर्स ले के गाँव में जाते थे, गाँव के लोगों को धमकाते थे, कि जमीन बेचो, नहीं बेचोगे तो जेल के अन्दर डाल देंगे. ये काम उन्होंने करवाया. और इस तरह से गाँव के लोगों को डरा के, धमका के, जमीन एक्वायर कर ली, तो मैंने कहा कि अगर ऐसा हुआ है, तो हम तो लड़ेंगे आपके लिए, आप बोलो कितनी मदद करोगे, तो उन्होंने कहा कि जो आप कहें. तो मैंने कहा कि सबसे पहला काम ये करो कि ग्राम पंचायत की मीटिंग बुलाओ. तो ग्राम पंचायत की मीटिंग बुलवाई. ग्राम पंचायत की मीटिंग में मैंने पूछा सबसे कि आप बताओ कि आपने कोई प्रस्ताव पारित किया था जमीन बेचने के लिए? तो ग्राम पंचायत का हर सदस्य कहता था कि हमने कभी कोई बात नहीं की. तो मैंने कहा कि ये बताओ कि जितनी जमीन गई है उसमे गौचर की जमीं भी है? तो बोले हाँ साहब, बड़ी जमीन तो गौचर की है, वो ले लिया शराब के कारखाने बनाने के लिए. तो हमने कहा कि आज आप प्रस्ताव पारित करिए कि ग्राम पंचायत ने, ग्राम सभा ने कोई भी जमीन दी नहीं है विदेशी कंपनी को जबरदस्ती हमसे ये जमीन ली गई है. और ग्राम सभा ने ग्राम पंचायत ने ऐसा प्रस्ताव पारित किया और ऐसा ४० गाँव में हमने करवाया. और वो ४० गाँव में जब ये प्रस्ताव पारित जो गए तो मैंने कहा कि अब हम जाएँगे कोर्ट में, और कोर्ट में हम गए. और हमने ये केस लगवाया. और कहा कि देखिये किस तरह से कानून का सरेआम उन्लंघन होता है, और ये जमीन जो थी वो खेती की जमीन थी, बहुत अच्छी खेती होती है.
मैंने कंपनी से आंकड़े मंगवाए, मैंने कहा आप अपनी प्रोजेक्ट रिपोर्ट दीजिये, केडिया और विल्सन का जो जॉइंट वेंचर था उसकी प्रोजेक्ट रिपोर्ट जब मेरे पास आई तो मैंने देखा, उसमे उन्होंने ये लिखाया हुआ था कि ५ करोड़ लीटर पानी उनको चाहिए प्रतिदिन, शराब बनाने के लिए. और उस पुरे एरिया को राजस्थान सरकार ने डार्क जोन घोषित किया, डार्क जोन माने सूखे वाला इलाका. जमीन के १०० फीट निचे तक पानी नहीं है वहां पे, तो मेरे समझ में नहीं आया कि ये ५ करोड़ लीटर पानी प्रतिदिन लायेंगे तो कहाँ से लायेंगे? तो उसी प्रोजेक्ट रिपोर्ट को आगे पढने पे पता चला कि वो ग्राउंड वाटर का इस्तेमाल करेंगे. माने अपने पंप लगायेंगे, और पंप लगा के जमीन के निचे का पानी खिचेंगे. और प्रतिदिन अगर ५ करोड़ लीटर पानी खीचा जाएगा, तो २ – ३ साल में वो एकदम सुखा पड़ जाएगा. तो ये ४० गाँव की जनता रहती है उसका क्या होगा? वो तो शराब बनायेंगे, बेचेंगे, मुनाफा कमाएँगे. इस देश को शराबी बना देंगे, लेकिन इस गाँव की जनता का क्या होगा? और इस बात को ले के हमने आन्दोलन शुरु किया. और गाँव गाँव में मैंने पदयात्राए की, तीन महीने मै रहा उस इलाके में, और पैदल जाता था, एक गाँव से दूसरा, दुसरे से तीसरा, तीसरे से चौथा, घूमते घूमते मेरे साथ एक जमात खड़ी हो गई, नौजवानों की, उसमे सब तरह के लोग थे, हिन्दू भी थे, मुसलमान भी थे, जैन भी थे, दिगम्बर जैन उस क्षेत्र में बहुत है. वहां एक बात एक साधू भगवन आए, दिगम्बर जैन समुदाय के, मै उनके पास गया, मैंने कहा ये देखिये, इतना अनर्थ हो रहा है आपका आशीर्वाद चाहिए, ये बड़ी लड़ाई हमने हाँथ में ली है. उन्होंने कहा कि इस काम के लिए सर्वदा मेरा आशीर्वाद है. मैंने कहा कि आप जैन समाज को कॉल दीजिए कि इस लड़ाई में हमारे साथ आए. तो उनका कॉल आया तो पूरा का पूरा जैन समाज हमारे साथ खड़ा हुआ, बड़ी ताकत मिली उसमे. फिर उसके बाद मै एक मौलाना साहब से मिला वहां पे मुसलमान समुदाय के लोग है, मैंने कहा कि आपके यहाँ तो शराब अधर्म है. तो उन्होंने कहा कि मै भी आदेश करूंगा, उन्होंने आदेश किया तो मुसलमान हमारे साथ आये. हिन्दू पहले से ही साथ में थे वहां के. और ऐसी बड़ी ताकत खड़ी हुई १०,००० नौजवानों का संगठन की. और हमने सबसे एक ही बात की कि आप जिस पार्टी के हों उसको घर में रख दो. अभी ये बचानी है जमीन, जो जा रही है विदेशी कंपनी के हाँथ में. और हर गाँव के आदमियों का दर्द यही था कि ये जमीन बचनी चाहिए. तो १०,००० लोग खड़े हो गए तो एक दिन हमने कुछ नहीं किया, हम गये जुलुस निकालते हुए, और जहाँ से इनका कारखाना बनाने का सारा तामझाम रखा हुआ था, कोई छोटी मोटी बिल्डिंग बनाई हुई थी, वहां पे तार की बाड़ वाड़ लगा दी थी उन्होंने, हमने कुछ नहीं किया, वो जा के उनकी तार की बाड़ हटा दी. और उनके जो कारखाने वारखाने थे उन सब को हटा दिया, एक तरफ रख दिया और वहा पे ये लिख के टांग दिया कि ये जमीन गाँव की है, ये कभी विदेशी कंपनी की हो नहीं सकती. उससे गाँव वालों में बहुत ताकत आई. पहले गाँव वाले डरते थे कि हम इस विदेशी कंपनी के खिलाफ कैसे करेंगे. सरकार पिटेगी, पुलिस मारेगी, मैंने कहा मारेगी इससे ज्यादा क्या करेगी. और उस दिन क्या हुआ कि जब हम ये सारा काम कर रहे थे, तब केडिया कंपनी ने अपने कुछ गुंडे बुलवाए और उससे गोली चलवाई. गोली चली हमलोगों के ऊपर. उपरवाले की महेरबानी थी या महाराज साहब की कृपा थी मुझे मालूम नहीं, मुझे नहीं लगी, मेरे बगल वाले साथी को लगी. तो उसके बाद भी हमने काम नहीं रोका. ये उनके डराने का तरीका था, जो हमको धमकी दे रहे थे कि देखो तुमको मार डालेंगे. हमने कहा हमको मरने का डर ही नहीं लगता तो हमको मरोगे क्या? और उसके बाद नतीजा निकला कि जब गोली चली तो गाँव में और ज्यादा उत्साह फैला, तो पता चला कि १०,००० की फ़ौज अब २०,००० – २५,००० की फ़ौज में कन्वर्ट होनें वाली है. फिर धीरे धीरे अख़बारों में आना शुरु हुआ. और अख़बारों में आना शुरु हुआ तो एक दिन फिर हमने क्या किया पता है, वहां के सरकार के मंत्री द्वारा उदघाटन का एक पत्थर लगाया था उन्होंने, शराब के कारखाने के उदघाटन का.
हमने कुछ लडको को इकठ्ठा किया और एक दिन उस पत्थर को उठा के फेंक दिया. और जिस दिन हमने वो पत्थर हटाया, सारे गाँव में हमने ये ऐलान कर दिया कि आज के बाद ये जमीन हमारी है. हम इस पर खेती करेंगे, फसल बोयेंगे, देखें कौन आता है और इसको रोकता है. और हमने गाँव में बैरिकेड लगवा दिए कि आज के बाद इस गाँव में कोई पुलिस अधिकारी या डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट बिना गाँवसभा की परमिशन के गाँव में घुसेगा नहीं. तुम जयपुर में सरकार चलते हो चलाओ, हमारे गाँव में हमारी सरकार है और हमारी सरकार ये आदेश करती है कि आज के बाद कोई भी मंत्री, कोई भी एम्.एल.ए. कोई भी कलेक्टर घुसेगा नहीं गाँव में बिना गाँव सभा के परमिशन के. तो एक बार क्या हुआ कि डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ने कोशिश की अपनी जीप ले के आया लाल बत्ती, हरी बत्ती टे टे टे टे करते हुए, गाँव में बेरिकेड लगाया हुआ था, वहां आ के जीप खड़ी हो गई, आदेश देने लग गया कि इसको हटाओ, गाँव की बहने निकली, और एक एक लट्ठ उठाया और मार मार के कार के शीशे तोड़ दिए. भागे सब वहां से दुम दम दबा के डी.एम्. भागा और उसके पीछे पीछे उसका अर्दली भी भागा. और गाँव वालो ने देखा की हमारे सामने जब डी.एम्. भाग सकता है दुनिया की कोई भी तो उनकी ताकत भाग सकती है. उमकी हिम्मत वापस आई, और आज नतीजा ये है कि राजस्थान सरकार को वो लाइसेंस रद्द कर देने पड़े. छोटे काम है, शुरु शुरु में जब उठाये जाते ही वो पचासों लोग कहते है कि अरे ये हो नहीं पायेगा, लेकिन मुझे लगता है कि अगर संकल्प शक्ति हो और मन में पवित्रता का भाव हो, आपका उदेश्य बड़ा हो, समाज के हित में हो, तो जीत तो होती ही है, भले ही हमारी शक्ति कम है, आज कम है कल अधिक हो जाएगी, और अधिक कैसे होगी, ऐसी छोटी लड़ाईयां लड़ते लड़ते किसी बड़ी लड़ाई की तयारी हम करेंगे या कर रहे है. १९९२ से हमने ये अभियान शुरु किया था, १९९२ से अबतक इतना कर पाए है, हम ३ – ४ लोगों ने ये अभियान शुरु किया था, तब सबलोग कह रहे थे कि क्या फालतू का काम कर रहे हो अच्छा खासा कैरियर छोड़ के इस तरह के काम में लग गये, परिवार वाले भी नाराज़ है, रिश्तेदार वाले भी नाराज़ है, हमने कहा ठीक है, आप नाराज़ रहिये क्योंकि ये पशु बन के जिन्दा रहना तो हमें मंजूर नहीं है कि हाय पैसा, हाय पैसा, हाय पैसा, पैसा जिंदगी का सबकुछ नहीं होता है, देश उससे बड़ा होता है, समाज उससे बड़ा होता है, संस्कृति बड़ी होती है, और कभी अगर भगत सिंह हो सकते है, चंद्रशेखर हो सकते है तो आज क्यों नहीं भगत सिंह और चंद्रशेखर हो सकते है.
आज भी तो वही परिस्थितियां है, तो कुछ लोगों को तो ये करना ही पड़ेगा और निकल हमलोग पागलों की तरह से और आज होते होते कुछ हजार की संख्या हमारे पास है और तीन चार साल चलेंगे तो शायद कुछ लाख की संख्या हो जाएगी और जिस दिन वो हो जाएगी तो उस दिन उनको आमने सामने की टक्कर दे के युद्ध की आखरी लड़ाई लड़ेंगे, वो आशीर्वाद आपका चाहिए, आपकी दुआएं हमको चाहिए आपका सहयोग हमको चाहिए, आपका समर्थन हमको चाहिए, इस बड़ी लड़ाई में, इस धर्मयुद्ध में जितना आप लोगों की मदद, हमलोगों का सहयोग करेंगे, आपका बहुत बहुत सुक्रिया.
हर हर महादेव
जय हिन्द
जय भारत
वन्दे मातरम
- राजीव भाई के व्याख्यानों से लिया गया एक अंश।
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राजीव दीक्षित स्वदेशी संस्था, गुङगांव।
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