जहां हमें दुष्ट यवनों और मलेच्छों से लडना है वहां हमें स्वयं के धर्म में आई कुरितियों अन्धविश्वासों व पाखंड को भी दूर करना है | गत लगभग दो हजार वर्षों से बहुत कूडा कर्कट अपनी अपनी आस्था के नाम पर इकट्ठा हो गया है | जब तक इस कूडे को ढोते रहेंगे हम कभी भी यवनों का सामना छाती तान कर नहीं कर सकेगें | ऋषि दयानंद जी ने इस बात को समझा और सबसे पहले उन्होंने हमारे अपने धर्म में आई कुरितियों का जम कर खण्डन किया पश्चात यवनों व मलेच्छों की धुलाई की | परन्तु उनको विष देकर मारने वालों में सबसे आगे हिन्दू ही थे क्योंकि वे चाहते थे कि यवनों व मलेच्छों का तो खण्डन किया जाये पर उनका न किया जाये | उनके जाने के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है आज भी हिन्दू आर्य समाज को समझ ही नहीं पा रहा वह समझता है कि आर्यजन उनकी आस्थाओं पर चोट कर उनको आपस में लडा रहा है ! जबकि वास्तविकता इससे बिल्कुल विपरित है आर्य समाज धर्म के नाम पर चल पडे सब अन्धविश्वास व पाखंड को दूर कर उन्हें बहुत मजबूत करना चाहता है | आज जब हम कुराण बाईबल आदि की दकियानूसी अवैज्ञानिक बातों का खण्डन करते हैं तो वे हमारे पुराणों में लिखी कपोल कल्पित हास्यास्पद गाथाओं को लेकर बैठ जाते हैं, गली मुहल्लों में दो दो रुपयों में बिकने वाले भगवानों को लेकर बैठ जाते हैं,हमें हजार वर्ष तक गुलाम बनाये रखने की शेखी मारने लगते हैं | भांति भांति की मूर्तियों व भांति भांति के भगवानों की पूजा हमारी लम्बी दास्ता का मुख्य कारण रहा है | आर्य समाज कोई मजहव नहीं वह तो एक संस्था है जो सब मजहवों की दीवारों को तोडना चाहता है ,कृण्वन्तोविश्वार्यम् के वेद सन्देश को साकार करना चाहता है | आर्य समाज के दीवाने अपने गुरु ऋषि दयानंद की तरह विष पीकर अमृत पिलाने में विश्वास रखते हैं | ऋषि दयानंद जी का मानना था कि जब तक भिन्न भिन्न मतमतान्तरों का विरुद्धावाद नहीं छूटेगा विश्व में एकता व शान्ति नहीं हो सकती | जब तक हिन्दू ऋषि दयानंद की एक एक बात को स्वीकार कर उसे आत्मसात नहीं करेगा तब तक वह दुष्ट यवनों व मलेच्छों का डट कर सामना नहीं कर सकेगा| पता नहीं कब यह बात हिन्दू भाईयों को समझ लगेगी ,कब वे आर्यों को अपना असली मित्र व शुभचिंतक समझेगें ? कब वे सब अन्धपरम्पराओं का परित्याग कर यज्ञ व योग को अपनी दिनचर्या की अंग बनायेंगे ?
पाषाण पूजा ,पशुबलि ,मांस भक्षण ,अवतारवाद अद्वैतवाद ,राशिफल आदि वेदविरुद्ध मानयताओं को छोडना ही होगा | निर्मल बाबा ,रामपाल बाबा, राधे मां जैसे पाखंडी गुरुओं और विभिन्न चैनलों पर सुबह सुबह लोगों का भविष्य व दु;ख दूर करने के टोटके बताने वाले मूर्खों के विरुद्ध आवाज उठानी ही होगी वरन् एक और लम्बी दास्ता को झेलना पड सकता है | सब प्रकार की शंकाओं के निवारण व धर्म कर्म की सही सही जानकारी के लिये सत्यार्थप्रकाश का पढना भी बहुत आवश्यक है |