क्या लोकपाल भी सत्ता पे काबिज होने का हथियार साबित हुआ? कुछ सालों पहले देश में लोकपाल की मांग बुलंद थी फिर सत्ता हासिल हुई इसकी मांग करते करते फिर सब इसे भूल गए मगर क्यों, कोई नहीं जानता!
वैसे भी कभी देश के हुकुमरानों ने कहा था ये किस चिड़िया का नाम है?जिसका इंतजार देश की जानता को लगभग ४५-४६ सालों से है वो कैसे पूरा होगा जब पूरा करने वाले भी नहीं चाहते! क्योंकि जब बहुमत नहीं था तब लाने की तमन्ना थी और अब जब बहुमत है तब खाने की तमन्ना है?
लाने और खाने के दरम्यान एक रोड़ा है लोकपाल जीने भी दो यारो खाने भी दो यारों, क्या रखा है लोकपाल इसे पि कर भटकने भी दो यारों?