December 11, 2017
कभी भारतीय संस्कृति का प्रतीक माना जाने वाले बंगाल की दशा आज क्या हो चुकी है, ये बात तो किसी से छिपी नहीं है । हिन्दुओं के खिलाफ साम्प्रदायिक दंगे तो पिछले काफी वक़्त से होना शुरू हो चुके हैं और अब तो हालात ये हो चुके हैं कि त्यौहार मनाने तक पर रोक लगाई जानी शुरू हो गयी है। मगर बंगाल पर मशहूर अमेरिकी पत्रकार जेनेट लेवी ने अब जो लेख लिखा है और उसमें जो खुलासे किये हैं, उन्हें देख आपके पैरों तले जमीन खिसक जायेगी ।
जेनेट लेवी ने अपने एक लेख में दावा किया है कि कश्मीर के बाद बंगाल में जल्द ही गृहयुद्ध शुरू होने वाला है, जिसमें बड़े पैमाने पर हिन्दुओं का कत्लेआम करके मुगलिस्तान नाम से एक अलग देश की मांग की जायेगी, यानि भारत का एक और विभाजन होगा और वो भी तलवार के दम पर और बंगाल की वोट बैंक की भूखी ममता बनर्जी की सहमति से होगा सब कुछ ।
जेनेट लेवी ने अपने लेख में इस दावे के पक्ष में कई तथ्य पेश किए हैं । उन्होंने लिखा है कि “बंटवारे के वक्त भारत के हिस्से वाले पश्चिमी बंगाल में मुसलमानों की आबादी 12 फीसदी से कुछ ज्यादा थी, जबकि पाकिस्तान के हिस्से में गए पूर्वी बंगाल में हिंदुओं की आबादी 30 फीसदी थी । आज पश्चिम बंगाल में मुसलमानों की जनसंख्या बढ़कर 27 फीसदी हो चुकी है । कुछ जिलों में तो ये 63 फीसदी तक हो गई है । वहीं दूसरी ओर बांग्लादेश में हिंदू 30 फीसदी से घटकर केवल 8 फीसदी ही बचे हैं ।”
ये लेख एक चेतावनी के तौर पर उन देशों के लिए लिखा गया है, जो मुस्लिम शरणार्थियों के लिए अपने दरवाजे खोल रहे हैं । जेनेट लेवी ने बेहद सनसनीखेज दावा करते हुए लिखा है कि किसी भी समाज में मुस्लिमों की 27 फीसदी आबादी काफी है कि वो उस जगह को अलग इस्लामी देश बनाने की मांग शुरू कर दे ।
उन्होंने दावा किया है कि मुस्लिम संगठित होकर रहते हैं और 27 फीसदी आबादी होते ही इस्लामिक क़ानून शरिया की मांग करते हुए अलग देश बनाने तक की मांग करने लगते हैं । पश्चिम बंगाल का उदाहरण देते हुए उन्होंने लिखा है कि ममता बनर्जी के लगातार हर चुनाव जीतने का कारण वहां के मुस्लिम ही हैं । बदले में ममता मुस्लिमों को खुश करने वाली नीतियां बनाती है ।
जल्द ही बंगाल में एक अलग इस्लामिक देश बनाने की मांग उठने जा रही है और इसमें कोई संदेह नहीं कि सत्ता की भूखी ममता इसे मान भी जाए । उन्होंने अपने इस दावे के लिए तथ्य पेश करते हुए लिखा कि ममता ने सऊदी अरब से फंड पाने वाले 10 हजार से ज्यादा मदरसों को मान्यता देकर वहां की डिग्री को सरकारी नौकरी के काबिल बना दिया है । सऊदी से पैसा आता है और उन मदरसों में मजहबी कट्टरता की शिक्षा दी जाती है ।
गैर मजहबी लोगों से नफरत करना सिखाया जाता है । उन्होंने लिखा कि ममता ने मस्जिदों के इमामों के लिए तरह-तरह के वजीफे भी घोषित किए हैं, मगर हिन्दुओं के लिए ऐसे कोई वजीफे नहीं घोषित किये गए । इसके अलावा उन्होंने लिखा कि ममता ने तो बंगाल में बाकायदा एक इस्लामिक शहर बसाने का प्रोजेक्ट भी शुरू किया है ।
पूरे बंगाल में मुस्लिम मेडिकल, टेक्निकल और नर्सिंग स्कूल खोले जा रहे हैं, जिनमें मुस्लिम छात्रों को सस्ती शिक्षा मिलेगी । इसके अलावा कई ऐसे अस्पताल बन रहे हैं, जिनमें सिर्फ मुसलमानों का इलाज होगा । मुसलमान नौजवानों को मुफ्त साइकिल से लेकर लैपटॉप तक बांटने की स्कीमें चल रही हैं । इस बात का पूरा ख्याल रखा जा रहा है कि लैपटॉप केवल मुस्लिम लड़कों को ही मिले, मुस्लिम लड़कियों को नहीं ।
जेनेट लेवी ने लिखा है कि बंगाल में बेहद गरीबी में जी रहे लाखों हिंदू परिवारों को ऐसी किसी योजना का फायदा नहीं दिया जाता । जेनेट लेवी ने दुनिया भर की ऐसी कई मिसालें दी हैं, जहां मुस्लिम आबादी बढ़ने के साथ ही आतंकवाद, धार्मिक कट्टरता और अपराध के मामले बढ़ने लगे ।
आबादी बढ़ने के साथ ऐसी जगहों पर पहले अलग शरिया क़ानून की मांग की जाती है और फिर आखिर में ये अलग देश की मांग तक पहुंच जाती है । जेनेट ने अपने लेख में इस समस्या के लिए इस्लाम को ही जिम्मेदार ठहरा दिया है । उन्होंने लिखा है कि कुरान में यह संदेश खुलकर दिया गया है कि दुनिया भर में इस्लामिक राज स्थापित हो ।
जेनेट ने लिखा है कि हर जगह इस्लाम जबरन धर्म -परिवर्तन या गैर-मुसलमानों की हत्याएं करवाकर फैला है । अपने लेख में बंगाल के हालातों के बारे में उन्होंने लिखा है । बंगाल में हुए दंगों का जिक्र करते हुए उन्होंने लिखा है कि 2007 में कोलकाता में बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन के खिलाफ दंगे भड़क उठे थे । ये पहली कोशिश थी जिसमें बंगाल में मुस्लिम संगठनों ने इस्लामी ईशनिंदा (ब्लासफैमी) कानून की मांग शुरू कर दी थी ।
1993 में तस्लीमा नसरीन ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों और उनको जबरन मुसलमान बनाने के मुद्दे पर किताब ‘लज्जा’ लिखी थी । किताब लिखने के बाद उन्हें कट्टरपंथियों के डर से बांग्लादेश छोड़ना पड़ा था । वो कोलकाता में ये सोच कर बस गयी थी कि वहां वो सुरक्षित रहेंगी क्योंकि भारत तो एक धर्मनिरपेक्ष देश है और वहां विचारों को रखने की स्वतंत्रता भी है ।
मगर हैरानी की बात है कि धर्म निरपेक्ष देश भारत में भी मुस्लिमों ने तस्लीमा नसरीन को नफरत की नजर से देखा। भारत में उनका गला काटने तक के फतवे जारी किए गए । देश के अलग-अलग शहरों में कई बार उन पर हमले भी हुए । मगर वोटबैंक के भूखी वामपंथी और तृणमूल की सरकारों ने कभी उनका साथ नहीं दिया । क्योंकि ऐसा करने पर मुस्लिम नाराज हो जाते और वोटबैंक चला जाता ।
जेनेट लेवी ने आगे लिखा है कि 2013 में पहली बार बंगाल के कुछ कट्टरपंथी मौलानाओं ने अलग ‘मुगलिस्तान’ की मांग शुरू कर दी । इसी साल बंगाल में हुए दंगों में सैकड़ों हिंदुओं के घर और दुकानें लूट लिए गए और कई मंदिरों को भी तोड़ दिया गया। इन दंगों में सरकार द्वारा पुलिस को आदेश दिये गए कि वो दंगाइयों के खिलाफ कुछ ना करें ।
ममता को डर था कि मुसलमानों को रोका गया तो वो नाराज हो जाएंगे और वोट नहीं देंगे ।लेख में बताया गया है कि केवल दंगे ही नहीं बल्कि हिन्दुओं को भगाने के लिए जिन जिलों में मुसलमानों की संख्या ज्यादा है, वहां के मुसलमान हिंदू कारोबारियों का बायकॉट करते हैं । मालदा, मुर्शिदाबाद और उत्तरी दिनाजपुर जिलों में मुसलमान हिंदुओं की दुकानों से सामान तक नहीं खरीदते ।
यही वजह है कि वहां से बड़ी संख्या में हिंदुओं का पलायन होना शुरू हो चुका है । कश्मीरी पंडितों की ही तरह यहाँ भी हिन्दुओं को अपने घरों और कारोबार छोड़कर दूसरी जगहों पर जाना पड़ रहा है । ये वो जिले हैं जहां हिंदू अल्पसंख्यक हो चुके हैं ।
इसके आगे जेनेट ने लिखा है कि ममता ने अब बाकायदा आतंकवाद समर्थकों को संसद में भेजना तक शुरू कर दिया है। जून 2014 में ममता बनर्जी ने अहमद हसन इमरान नाम के एक कुख्यात जिहादी को अपनी पार्टी के टिकट पर राज्यसभा सांसद बनाकर भेजा । हसन इमरान प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिमी का सह-संस्थापक रहा है ।
हसन इमरान पर आरोप है कि उसने शारदा चिटफंड घोटाले का पैसा बांग्लादेश के जिहादी संगठन जमात-ए-इस्लामी तक पहुंचाया, ताकि वो बांग्लादेश में दंगे भड़का सके । हसन इमरान के खिलाफ एनआईए और सीबीआई की जांच भी चल रही है ।
लोकल इंटेलिजेंस यूनिट (एलआईयू) की रिपोर्ट के मुताबिक कई दंगों और आतंकवादियों को शरण देने में हसन का हाथ रहा है । उसके पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से रिश्ते होने के आरोप लगते रहे हैं । जेनेट के मुताबिक़ बंगाल का भारत से विभाजन करने की मांग अब जल्द ही उठने लगेगी । इस लेख के जरिये जेनेट ने उन पश्चिमी देशों को चेतावनी दी है, जो मुस्लिम शरणार्थियों को अपने यहाँ बसा रहे हैं, कि जल्द ही उन्हें भी इन सबका सामना करना पडेगा ।
अभी भी वक्त है #हिन्दुस्तानी #सावधान हो जाये तो #हिन्दुस्तान को कोई खंडित नही कर सकता अगर थोड़ा भी चूक किया तो आने वाली पीढ़ी को बहुत #भुगतान करना पड़ेगा ।