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नाम ... अंजना छलोत्रे 'सवि' जन्म ... 3 मई, हरदा (म. प्र) शिक्षा... .एम.ए. अर्थशास्त्र, एम.ए.हिंदी, एम जे पत्रकारिता. विधाएँ... कहानी,कविता,लेख, लघु कथा, फीचर,रेडियो बाल साहित्य, हास्य व्यंग्य, उपन्यास.। प्रकाशित पुस्तकें.... (1) मैं अकेली नहीं (कहानी संग्रह 2001), (2) फ़रिश्ता (कहानी संग्रह 2006), (3) शब्द श्रृंगार (कविता संग्रह (2007), (4) अटल संयोग ( कविता संग्रह 2008), (5) अभिशप्त देव (कहानी संग्रह 2008), (6) लक्ष्मी बाई के ग्वालियर में अन्तिम अठारह दिन (शोधपरक बुक 2010), (7) पनाह (कहानी संग्रह 2016) (8) ऊँची उड़ान ( लघुकथा संग्रह 2017) (9) मन का भगड़ा (कविता संग्रह 2018) (10) लोकतन्त्र की सार्थकता, पंचायती राज और कामकाजी महिलाएँ ( लघुशोध लेख 2019) (11) भारतीय इतिहास की महान वीरांगनाएँ (2020) (12)धानी चुनर (ग़ज़ल संग्रह..2021) (13) सुनहरे सपनों का सफ़र (कहानी संग्रह 2021) (14) शक्रचाप (कहानी संग्रह 2022) पुरस्कार..."अभिशप्त देव", कहानी संग्रह को मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी संस्कृति विभाग द्वारा 'सुभद्रा कुमारी चौहान ' राज्य पुरस्कार 2008 में। संप्रति...लेखक, सामाजिक कार्यकर्ता, राजनिति, व्यवसाय। मेरा नजरिया... ईश्वर की महती कृपा से कल्पना शक्ति को रचनात्मकता प्राप्त हुई है, जिससे मैं संवेदना की नाव पर सवार हो पूरे ब्रह्मांड में विचर सकूँ, तमाम बिखरी संपदा, संवेदना को आत्मसात करूँ और कागज पर उसे उकेर दूँ, तृप्ति के सागर से पुनः नई संभावनाएँ तलाशूँ.... अंजना छलोत्रे 'सवि' भोपाल

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अगर तुम न होते

अगर तुम न होते

विविध रंगों से भरे इस जीवन में अनेक ऐसी संभावनाएँ हैं जहाँ सकारात्मक सोच कर जीवन को सुगम और सरल बना सकते हैं स्वच्छ और पवित्र भावनाओं का केंद्र बिंदु जहाँ प्रेम कर्त्तव्य की वेदी से होकर रूह में समाहित हो समर्पित हो रहा है इस उपन्यास "अगर तुम ना होते

6 common.readCount
36 common.articles
common.personBought

ईबुक:

₹ 53/-

प्रिंट बुक:

239/-

अगर तुम न होते

अगर तुम न होते

विविध रंगों से भरे इस जीवन में अनेक ऐसी संभावनाएँ हैं जहाँ सकारात्मक सोच कर जीवन को सुगम और सरल बना सकते हैं स्वच्छ और पवित्र भावनाओं का केंद्र बिंदु जहाँ प्रेम कर्त्तव्य की वेदी से होकर रूह में समाहित हो समर्पित हो रहा है इस उपन्यास "अगर तुम ना होते

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अन्तिम भाग (36)

19 सितम्बर 2022
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अनुज सभी को संबोधित कर रहा है लेकिन जिया नहीं सुन पाई, न ही बाहर आने की उसने कोशिश की, वह समझ गई जो भी अनुज कहेगा वह बाद में पता लग ही जाएगा, लेकिन कहीं न कहीं अंदर एक खलबली भी है ऐसा क्या कह रहा है।

भाग (35)

19 सितम्बर 2022
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जिया को अब अच्छा लग रहा है अब बेफिक्र है कि अनुज कल आ रहा हैं पर इस बार जो वह बेचैन हुई है उसके लिए जवाब तलब तो करना ही पड़ेगा, इस तरह कोई कैसे कर सकता है, अनुज समझ नहीं आता, पता नहीं कब कहाँ क्या कर

भाग (34)

19 सितम्बर 2022
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"कुछ खास नहीं, लिखा है, ठीक है कल आ रहे हैं, हो सकता है यह मैसेज सभी को दिया हो, कोई जरूरी नहीं कि यह मैसेज मुझे ही दिया हो,"...जिया ने भी उकता कर कहां। "दीदी, यह भी तो हो सकता है कि यह मैसेज आपको

भाग (33)

19 सितम्बर 2022
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देर रात अगस्त्य घर पहुँचा सभी सोने की तैयारी कर रहे हैं उसने देखा जिया दीदी के कमरे की लाइट जल रही है उसने झांककर देखा तो दीदी बैठी किसी किताब के पन्ने पलट रही हैं। "दीदी, अंदर आ जाऊँ क्या ?"...अगस

भाग (32)

19 सितम्बर 2022
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अगस्त्य निश्चित समय पर होटल के रूम में पहुँच गया उसने दरवाजा खटखटाया, दरवाजा खुला, सामने अनुज खड़ा है। "आ जाओ अगस्त्य, सुनाओ क्या हाल है तुम्हारी दीदी के, कुछ परिवर्तन महसूस हुआ,"... अनुज ने गहरी ठ

भाग (31)

13 सितम्बर 2022
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अनुज को गये  चौथा दिन है किसी भी हालत में लौटना ही है शाम हो गई पर अब तक अनुज नहीं आया, हो सकता है देर तक आये। अनुज ने उसके कॉल का भी कोई जवाब नहीं दिया है पता नहीं क्या बात है जिया संकोच कर रह गई, का

भाग (30)

13 सितम्बर 2022
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"आप देख लीजिए सर, वैसे तो जगह बहुत अच्छी है, खूबसूरत भी है लेकिन बहुत बहुत पैसा लग जायेगा,"... थोड़ा हिचकते हुए बोली। "जिया निर्णय दो मैं यह वाला घर ले लूँ,"...अनुज ने फिर पूछा। "सर, बिल्कुल ले सकते

भाग (29)

13 सितम्बर 2022
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अनुज ने ठान लिया है कि आज और कल दो दिन जिया को इतना सोचने पर मजबूर कर देना है कि जल्दी से जल्दी अपने दिल की बात सहजता से कह पाये। शाम को जैसे ही ऑफिस से जिया उतरी अनुज दौड़ता हुआ पहुँच गया। "जिया, मे

भाग (28)

13 सितम्बर 2022
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ऐसा लग रहा है कि जिया अपनी खींज के चरम तक पहुँच रही है, वह अपने में आये इस बदलाव से अपना स्वाभाविक व्यवहार खोती जा रही है, वह करें भी क्या, एक तो अनुज की तरफ से कोई प्रतिक्रिया का न आना उपर से नई सहयो

भाग (27)

13 सितम्बर 2022
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शगुन, अगस्त्य बेचैन हो रहे हैं कि पूछे किस तरह दीदी ने प्रेजेंटेशन दिया और दीदी कैसी यह सब कर पाई, बहुत सारी बात सुनना चाह रहे हैं लेकिन मां ने इसारे से चुप करने को कह दिया था लेकिन जैसे ही रात का खान

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