मैं आप सबके लिए एक नई कहानी लेकर आई हूँ ,जिसका शीर्षक है 'कचोटती तनहाइयाँ '। मेरी ये कहानी पूर्णतः काल्पनिक है ।मेरी ये कहानी है कहानी के नायक सूर्य प्रताप भानु व उसकी सहधर्मिणी दिव्या प्रताप भानु की । सूर्य प्रताप भानु जो अपने पूर्वजों द्वारा प्राप्
मैं आप लोगों के लिए एक नई कहानी लेकर आई हूँ -'शापित संतान '।मेरी ये कहानी पूर्णतः काल्पनिक है । एक पिता अपनी संतान के लिए हर त्याग करता है मगर जब उसकी संतान गलत राह पकड़ ले तो उसका सुख ,चैन छिन जाता है ,ऐसी संतान शापित संतान ही होती है ।ऐसी ही शापित
मैं आप लोगों के लिए एक नई कहानी लेकर आई हूँ-'बहू की विदाई' ।मेरी ये कहानी पूर्णतः काल्पनिक है । एक रुढि़वादी ,दकियानूसी ,व स्त्रियों को अपने से नीचे समझने वाले समाज के एक व्यक्ति द्वारा अपनी बहू के विवाह करने पर मेरी ये कहानी है 'बहू की विदाई' । मेर
पारिवारिक साख प्रतिष्ठा मान मर्यादा और स्वयं की लज्जा एवं भीरुता के कारण जो मुद्दे समाज से अछूते रह गए उसका उत्तरदायी कौन ॽॽ ,अवनी , राजीव,या फिर उनका परिवेश संस्कार या आधुनिकता के बहाने सिनेमा घरों में परोसी गयी अश्लीलता जो रिश्तो के तानो बानो को
एक झलक 👉 चारों तरफ घटा घिरी हुई थी ठंडी ठंडी हवा का झोंका मन को लुभा रहा था,,, ऊपर से पड़ती रिमझिम बारिश,, रह रह के आसमान में चमकती बिजली दिल में एक अजीब सी बेचैनी पैदा कर रही थी,,, । मिट्टी से उठती हुई सोंधी खुशबू,, दिल को लुभा रही थी नूरी पगडंडी
मैं आप लोगों के समक्ष एक नई कहानी लेकर आई हूं (कायरा का इंसाफ) यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है, इस कहानी के पात्र के नाम या घटना अगर किसी से जुड़े हैं, तो वह सिर्फ एक संयोग ही होगा, इस कहानी का किसी के वास्तविक जीवन से भी कोई लेना देना नहीं है, यह क
मनुष्य की ज़िंदगी बड़ी ही कठोर और संघर्षशील होती है । आज के परिवार विखंडन का कारण किसी को स्पष्ट तौर पर पता ही नहीं हो प रही है । एक तरफ तकनीक की दुनिया में सोशल मीडिया और मनोरंजन की दुनिया मई व्यस्त होती हुई जिंदगियाँ और दूसरी तरफ भारतीय संस्कृति और स
जोगिंदर,रमनी और चंचला के प्यार को जानने के लिए आपको "क्या यही प्यार है" का सीजन :-1 पढ़ना होगा।अब हम आप को प्यार के एक अलग स्वरुप से अवगत कराएंगे।आईए आप और हम साथ साथ महसूस करें सिया और जिया के प्यार को।कितनी शिद्दत से उन्होंने प्यार किया अपने अपने म
क्या आज की युवा पीढ़ी प्यार का मतलब जानती है ....नहीं।बस आज कल के युवा लैला मजनूं,शीरी फरहाद,इन की कहानी पढ़कर उन राहों पर निकल पड़ते हैं। प्यार पाना ही नहीं होता। प्यार के लिए मर मिटना भी प्यार है। सदियों तक किसी का इंतजार भी प्यार है। आइए हम और आप
इस किताब में दैनिक विषयों पर मानवीय आदर्शों को जीवन में प्रेरणा देने वाली दैनिक रचनाएं रचित की जा रही है।
यह कहानी एक बेहद खूबसूरत लड़की नैना अग्रवाल की है। जो खूबसूरत होने के साथ-साथ काफी टैलेंटेड भी थी। महज 24 साल की उम्र में ही एक बड़ी कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत थी, नैना अपने पति शिवांश और बेटे आरव के साथ दिल्ली के पॉश एरिया मैं बने फ्ल
कसक तेरे प्यार की एक प्रेम कहानी है।जो प्रेमी जोड़े के एक साथ रहते हुए भी कदम कदम पर प्यार की कसक से तड़पते रहते हैं। उनकी कसक का क्या अंजाम होता है जानने के लिए पढ़ें कहानी कसक तेरे प्यार की।
ये एक ऐसी लड़की की कहानी है, जो सीधी और भोली होने के साथ -साथ बहादुर भी है । ज़िंदगी में उसे प्यार में धोखे भी मिले, ज़िंदगी के उतार चढ़ाव को पार करते हुए उसकी ज़िंदगी कहाँ से कहाँ पहुँच गयी? तब भी अपने लोगों और दोस्तों के साथ खड़ी रहती है । अपने जीव
बेटियां क्यों पराई हो जाती है । क्यों वो हक से अपने अपने मायके नही आ पाती ।उसके दो घर होने के बाद भी कोई घर नहीं होता। मां कहती हैं पराई है और सास कहती हैं पराये घर से आई है बड़ी गजब रचना हूं मैं तेरी भगवान। बेटी बन कर भी पराई
मेरी पुस्तक का नाम बशीरा है। मैने अपनी इस पुस्तक में बशीरा नाम के एक व्यक्ति के बारे में लिखा है। बशीरे के जरिए मैंने यह समझाने की कोशिश की है,कि जो लोग खुद को बदकिस्मत समझते हैं ,और भगवान को कोसते हैं कि हमें हीं भगवान ने इतने दुख दिए । उनको यह समझ
सागरिका ,उस दिन अपने होने वाले पति से पहली बार मिलने ,के,लिए जा रही थी।शायद वो थोड़ी लेट हो चुकी थी। सुबह का समय था। बारिसो का सीजन चल रहा था। कुल मिलाकर उस दिन मौसम सुहाना सा था।सागरिका जब घर से निकली ही थी,की , हलकी हवाएं और बारिसो की बुंदे भी अप
यह कहानी पुरी तरह काल्पनिक है अगर यह कहानी किसी व्यक्ति विशेष जाती समुदाय से मिलती है तो यह मात्र एक संयोग होगा मुझे विश्वास है कि यह कहानी आप लोगों Pको उतनी ही पसंद आएगी जितनी की बाकी की कहानियां पसंद आती है यह कहानी है एक लड़की की जो मध्यम वर्गी पर
ये किताब मेरे रोज के लेखो का संग्रह है। जिंदगी में खुशी भी है और गम भी। आप इसमें से अपने लिए क्या लेते हैं? यह आप पर निर्भर करता है।
मैने अपनी पुस्तक, सफलता की ओर, में एक विधवा औरत की कहानी लिखी है। जिसका नाम सुरजीत है। सुरजीत ने अपनी बेटी को पढ़ा लिखा कर । अपनी बेटी को अपने पैरों पर खड़ा किया। सुरजीत से बहुत लोगों ने कहा कि मिनी को पढ़ाने लिखाने का तुम्हें क्या फायदा। इसने तो अपन