पारिवारिक साख प्रतिष्ठा मान मर्यादा और स्वयं की लज्जा एवं भीरुता के कारण जो मुद्दे समाज से अछूते रह गए उसका उत्तरदायी कौन ॽॽ ,अवनी , राजीव,या फिर उनका परिवेश संस्कार या आधुनिकता के बहाने सिनेमा घरों में परोसी गयी अश्लीलता जो रिश्तो के तानो बानो को
यह कहानी पुरी तरह काल्पनिक है अगर यह कहानी किसी व्यक्ति विशेष जाती समुदाय से मिलती है तो यह मात्र एक संयोग होगा मुझे विश्वास है कि यह कहानी आप लोगों Pको उतनी ही पसंद आएगी जितनी की बाकी की कहानियां पसंद आती है यह कहानी है एक लड़की की जो मध्यम वर्गी पर
मैं आप लोगों के सामने एक नई कहानी लेकर आया हूं (गरीबी) यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है,इसका किसी भी व्यक्ति,धर्म,समुदाय या समाज से कोई लेना देना नहीं है।इस कहानी का कोई पात्र या घटना अगर किसी से जुड़े हैं,तो वह सिर्फ एक संयोग ही होगा।यह कहानी पाठको
लव मैरिज के पंद्रह सालों बाद परिवार की तीन भाइयों में इकलौती लाड़ली बहन को घर बुलाया गया है क्योंकि पापाजी बीमार हैं। एक भाई विदेश में बस गया है तो बाकी दो भाई देश में ही अस्पताल चलाते हैं। ये मेरा उपन्यास इतने अंतराल में बदल गए रिश्तों के समीकरण हल
बालक की प्रथम पाठशाला परिवार होता है
A Science that was preserved and associated largely as a support to martial arts and warfare can now be used and applied for normal healing on a wide range of physical and mental diseases as a result of research and application, since 1993, of this l
आजकल के दौर का प्रेम! दो लोगों के बीच की गलतफहमी झगड़ा... एडजस्ट करने का तरीका ... एक दिल को छू जाने वाली अधूरी मोहब्बत की दास्तां...
Stress Management Guide Read more
मन की किताब तेरे मेरे.…..……...… चाहत की वो की किताब जहाँ तेरे सपनों में खोये खोये रहते है तेरे खत जो पन्ने एतबार की उम्मीद आज भी हम रखें है आओ पढ़े
इस दिन को सेलिब्रेट करने के लिए हर साल फ्रेंडशिप डे (Friendship Day 2023) मनाया जाता है. भारत में हर साल अगस्त माह के पहले रविवार को फ्रेंडशिप डे मनाया जाता है. इस दिन हर कोई अपने दोस्तों के साथ एंजॉय करता है. उसे फ्रेंडशिप डे की बधाई देता है. इस साल
माता पिता के संस्कार से बहन भाई मिले अनमोल बचपन की यादो को समेट कर बने हम महान साथ साथ खेलते ,साथ साथ रहते प्रेम की गंगा में साथ साथ नेहाते हसीं की गुलशन खिलते एक साथ हस्ते हसाते बात बात रूशते सब मम्मी पापा सब को मनाते लडाई झगडे की सफर में द
"आज मेरी आवाज सुनने वाला कोई नहीं है अगर किसी को जानना है कि मैं क्या कह रहा हूँ उसके लिए, उसे मेरे आंतरिक विचार पर अधिक ध्यान केंद्रित करना होगा। क्योंकि आजकल मैं एक भी शब्द बोलने की कोशिश नहीं कर सकता, मेरी आवाज खोई हुई सी है और मैं अपनी सारी भा
इस पुस्तक में एक लड़के के जीवन पर प्रकाश डाला है जिसमें वह अपनी जिंदगी में कुछ गलतियां करने के कारण बहुत पछतावा करता है। वह इतना जिद्दी है कि उसे अपनी जिद के सामने सब कुछ छोटा लगता है
एक औरत की व्यथा ,जो बेचारी हमेशा अपनो के लिये मरती रहती है ,पर अंत में उसका अपना क्या रहता है ,*"!!
रिश्तों की व्याख्या...! 'वक़्त'... आपने नाम तो सुना ही है। कितना निष्ठुर, कितना निर्दयी, कितना खुदगर्ज़ होता है। अपने ही चाल में मस्त मलंग बस चलता जाता है... चलता जाता है... चलता जाता है....। इस बेपरवाह अमूर्त प्राणी को कोई परवाह नहीं की इसके विशाल प
साहित्य समाज का दर्पण होता है। हमारे समाज में और हमारे आसपास बहुत सी ऐसी घटनाएं घटित होती है जो हमारे ही ़जीवन से जुड़ी होती है। ऐसे ही जीवन में घटित होने वाले छोटे छोटे पलों को शब्दों में पिरो कर कुछ लघु कथाओं के रूप में पेश किया गया है। लघु
मेरी बेटी बड़ी ही शैतान है। वह लगभग रोज मुझसे किसी न किसी बात पर डांट खाती है। मैंने उसकी शैतानी से बहुत परेशान रहता हूं। सोचता हुं कब वह सुधारेगी। पर यह मेरे लिये दर की कौडी लग रही थी।
शब्दों की लड़ियां पिरो उन्हें भावों से अलंकृत कर खुबसूरत भावाभिव्यक्ति के साथ ख्वाहिशों के मुताबिक सजाती हूं और अपने पाठकों व प्रशंसकों के दिलों में जज्बातों को जगा उनके दिल को छूना चाहतीं हूं। बोलिए, आप सब मेरा साथ देंगे।अपना प्यार और दुलार हम पर लु