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काव्य / कविता संग्रह की किताबें

तूं चाही,मैं रीता

तूं चाही,मैं रीता

ओंकार नाथ त्रिपाठी

"तूं चाही,मैं रीता"यह मेरी सातवीं तथा शब्द इन पर प्रकाशित होने वाली। छठवीं काव्य संग्रह है।जब तक यह लिखी जा रही है तब तक के लिये पाठकों के लिए नि:शुल्क शब्द इन पर उपलब्ध रहेगी लेकिन पूर्ण हो जाने के बाद यह सशुल्क उपलब्ध हो सकेगी। आनलाइन लेखन मैंने सब

13 पाठक
50 रचनाएँ
1 लोगों ने खरीदा

ईबुक:

₹ 230/-

तूं चाही,मैं रीता

तूं चाही,मैं रीता

ओंकार नाथ त्रिपाठी

"तूं चाही,मैं रीता"यह मेरी सातवीं तथा शब्द इन पर प्रकाशित होने वाली। छठवीं काव्य संग्रह है।जब तक यह लिखी जा रही है तब तक के लिये पाठकों के लिए नि:शुल्क शब्द इन पर उपलब्ध रहेगी लेकिन पूर्ण हो जाने के बाद यह सशुल्क उपलब्ध हो सकेगी। आनलाइन लेखन मैंने सब

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वैद्यनाथ मिश्र नागार्जुन की प्रतिनिधि कविताएँ

वैद्यनाथ मिश्र नागार्जुन की प्रतिनिधि कविताएँ

वैद्यनाथ मिश्र 'नागार्जुन'

वैद्यनाथ मिश्र नागार्जुन की प्रतिनिधि कविताएँ का संकलन।

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69 पाठक
72 रचनाएँ

निःशुल्क

वैद्यनाथ मिश्र नागार्जुन की प्रतिनिधि कविताएँ

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पृथ्वीराज-संयोगिता की गौरव गाथा (काव्यरूप में)

पृथ्वीराज-संयोगिता की गौरव गाथा (काव्यरूप में)

Kavita Rani

यह पुस्तक हमारे उन सभी महापुरुषों एवं पूर्वजों को समर्पित है, जिन्होंने सनातन धर्म की परम्पराओं (मानवता, सत्यता, न्याय इत्यादि) का आदर्श रूप से पालन करते हुए अपने श्रेष्ठ कर्मों द्वारा अपने धर्म, कुल एवं देश के गौरव को बढ़ाया तथा उसके हेतु अपना सर्वस्

38 पाठक
24 रचनाएँ
5 लोगों ने खरीदा

ईबुक:

₹ 81/-

प्रिंट बुक:

255/-

पृथ्वीराज-संयोगिता की गौरव गाथा (काव्यरूप में)

पृथ्वीराज-संयोगिता की गौरव गाथा (काव्यरूप में)

Kavita Rani

यह पुस्तक हमारे उन सभी महापुरुषों एवं पूर्वजों को समर्पित है, जिन्होंने सनातन धर्म की परम्पराओं (मानवता, सत्यता, न्याय इत्यादि) का आदर्श रूप से पालन करते हुए अपने श्रेष्ठ कर्मों द्वारा अपने धर्म, कुल एवं देश के गौरव को बढ़ाया तथा उसके हेतु अपना सर्वस्

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श्रीमद्भागवत गीता (घर घर गीता, गीत पुनीता)

श्रीमद्भागवत गीता (घर घर गीता, गीत पुनीता)

रश्मि गुप्ता

श्रीमद्भागवत गीता का सरल काव्य रूपांतरण

11 पाठक
18 रचनाएँ
27 लोगों ने खरीदा

प्रिंट बुक:

223/-

हार्डकवर:

423/-

श्रीमद्भागवत गीता (घर घर गीता, गीत पुनीता)

श्रीमद्भागवत गीता (घर घर गीता, गीत पुनीता)

रश्मि गुप्ता

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मीराबाई  की प्रसिद्ध  रचनाएँ

मीराबाई की प्रसिद्ध रचनाएँ

मीराबाई

मीरा के पदों में कृष्ण लीला एवं महिमा के वर्णन का उद्देश्य मीराबाई द्वारा कृष्ण के प्रति अपनी अनन्य भक्ति का प्रकटीकरण करना था। मीराबाई बचपन से ही कृष्ण की अनन्य भक्तिन थीं। मीराबाई श्रीकृष्ण को ही अपना प्रियतम मान बैठी थीं। रस-योजना - मीराबाई के का

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311 पाठक
325 रचनाएँ

निःशुल्क

मीराबाई  की प्रसिद्ध  रचनाएँ

मीराबाई की प्रसिद्ध रचनाएँ

मीराबाई

मीरा के पदों में कृष्ण लीला एवं महिमा के वर्णन का उद्देश्य मीराबाई द्वारा कृष्ण के प्रति अपनी अनन्य भक्ति का प्रकटीकरण करना था। मीराबाई बचपन से ही कृष्ण की अनन्य भक्तिन थीं। मीराबाई श्रीकृष्ण को ही अपना प्रियतम मान बैठी थीं। रस-योजना - मीराबाई के का

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मुट्ठी भर रेत

मुट्ठी भर रेत

डॉ. निशा नंंदिनी भारतीय

"मुट्ठी भर रेत" काव्य संग्रह में इंद्रधनुषी रंगों से रंगी अनेकानेक रचनाएं हैं। कहीं मां के आंचल की सुगंध है,तो कहीं देश-भक्ति का रंग दिखाई देता है। कुछ रचनाएं समाज को ललकारती हैं, तो कुछ प्रेम से पुचकार कर उन्नति के पथ पर अग्रसर करती हैं।

73 पाठक
44 रचनाएँ
3 लोगों ने खरीदा

ईबुक:

₹ 66/-

प्रिंट बुक:

213/-

मुट्ठी भर रेत

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डॉ. निशा नंंदिनी भारतीय

"मुट्ठी भर रेत" काव्य संग्रह में इंद्रधनुषी रंगों से रंगी अनेकानेक रचनाएं हैं। कहीं मां के आंचल की सुगंध है,तो कहीं देश-भक्ति का रंग दिखाई देता है। कुछ रचनाएं समाज को ललकारती हैं, तो कुछ प्रेम से पुचकार कर उन्नति के पथ पर अग्रसर करती हैं।

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लफ्जों के पंख...🕊️

लफ्जों के पंख...🕊️

✨𝑻𝒘𝒊𝒏𝒌𝒂𝒍𝒆 𝒌....🖊️

खामोशियां......अल्फाजों की दुनियां..🍁

12 पाठक
51 रचनाएँ
3 लोगों ने खरीदा

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₹ 53/-

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कबीर दास जी के दोहे

कबीर दास जी के दोहे

कबीर दास

कबीर दास जी की वाणी में अमृत है। उन्होंने अपने दोहों के माध्यम से समाज की कुरीतियों पर प्रहार करने का कार्य किया है। कबीर दास जी मुख्य भाषा पंचमेल खिचड़ी है जिसकी वजह से सभी लोग उनके दोहों को आसानी से समझ पाते हैं। जब भी दोहे शब्द सुनाई देता है, तो सब

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22 पाठक
40 रचनाएँ

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कबीर दास जी के दोहे

कबीर दास जी के दोहे

कबीर दास

कबीर दास जी की वाणी में अमृत है। उन्होंने अपने दोहों के माध्यम से समाज की कुरीतियों पर प्रहार करने का कार्य किया है। कबीर दास जी मुख्य भाषा पंचमेल खिचड़ी है जिसकी वजह से सभी लोग उनके दोहों को आसानी से समझ पाते हैं। जब भी दोहे शब्द सुनाई देता है, तो सब

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'कुरुक्षेत्र'

'कुरुक्षेत्र'

रामधारी सिंह दिनकर

'कुरुक्षेत्र' का प्रतिपाद्य यही है कि मनुष्य क्षुद्र स्वार्थों को छोड़कर, बुद्धि और हृदय में समन्वय स्थापित करे तथा प्राणपण से मानवता के उत्थान में जुट जाए। युद्ध एक विध्वंसकारी समस्या है, जिससे त्राण पाने के लिए क्षमा, दया, तप, त्याग आदि मानवीय मूल्

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17 पाठक
7 रचनाएँ

निःशुल्क

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'कुरुक्षेत्र'

रामधारी सिंह दिनकर

'कुरुक्षेत्र' का प्रतिपाद्य यही है कि मनुष्य क्षुद्र स्वार्थों को छोड़कर, बुद्धि और हृदय में समन्वय स्थापित करे तथा प्राणपण से मानवता के उत्थान में जुट जाए। युद्ध एक विध्वंसकारी समस्या है, जिससे त्राण पाने के लिए क्षमा, दया, तप, त्याग आदि मानवीय मूल्

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सुनो न!

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सन्ध्या गोयल सुगम्या

अपनी बात मुझमें से गर निकाल दो मेरी लेखनी मेरी ज़िन्दगी से मेरी नहीं निभनी यूँ तो आते हैं सभी जीने के लिये पर ज़िन्दगी न लगती सबको भली इतनी सुख में सखी और दुख में दोस्त मेरी लेखनी ने कभी न होने दी कोफ्त मेरी अनुभूतियाँ ,जो कवित

24 पाठक
61 रचनाएँ
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₹ 63/-

प्रिंट बुक:

194/-

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सन्ध्या गोयल सुगम्या

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चाँद पर रँगोली

चाँद पर रँगोली

सुजीत झा

वस्तुतः यह सफर मिथिला के अधवारा नदी से शुरू हो कर कर्नाटक के कृष्णा तट के बसावना बागेवाड़ी में विश्राम तक की भावनाओं का मिश्रण है। इस सफ़रनामा के कई दास्तानों के साथ आपको भी चाँद का सफर तय करना है, जहाँ हम सब मिल कर रंगोली बनाएँगे। एक ऐसा रंगोली जिस

6 पाठक
75 रचनाएँ
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₹ 66/-

प्रिंट बुक:

275/-

चाँद पर रँगोली

चाँद पर रँगोली

सुजीत झा

वस्तुतः यह सफर मिथिला के अधवारा नदी से शुरू हो कर कर्नाटक के कृष्णा तट के बसावना बागेवाड़ी में विश्राम तक की भावनाओं का मिश्रण है। इस सफ़रनामा के कई दास्तानों के साथ आपको भी चाँद का सफर तय करना है, जहाँ हम सब मिल कर रंगोली बनाएँगे। एक ऐसा रंगोली जिस

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रश्मिरथी

रश्मिरथी

रामधारी सिंह दिनकर

इसमें कुल ७ सर्ग हैं, जिसमे कर्ण के चरित्र के सभी पक्षों का सजीव चित्रण किया गया है। रश्मिरथी में दिनकर ने कर्ण की महाभारतीय कथानक से ऊपर उठाकर उसे नैतिकता और वफादारी की नयी भूमि पर खड़ा कर उसे गौरव से विभूषित कर दिया है। रश्मिरथी में दिनकर ने सारे स

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65 पाठक
63 रचनाएँ

निःशुल्क

रश्मिरथी

रश्मिरथी

रामधारी सिंह दिनकर

इसमें कुल ७ सर्ग हैं, जिसमे कर्ण के चरित्र के सभी पक्षों का सजीव चित्रण किया गया है। रश्मिरथी में दिनकर ने कर्ण की महाभारतीय कथानक से ऊपर उठाकर उसे नैतिकता और वफादारी की नयी भूमि पर खड़ा कर उसे गौरव से विभूषित कर दिया है। रश्मिरथी में दिनकर ने सारे स

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सुखनवर

सुखनवर

sangita kulkarni

यह किताब शेरो शायरी से संबधित है, जो आपको पसंद आएगी ! इसमें आपको शेरो शायरी की मेजवानी मिलेगी, जिसे पढकर आपका पेट तो भर जाएगा, पर मन नहीं ! आप बार बार पढना चाहोगे, इसमें आपको हर तरह की शायरी पढने मिलेगी, कोशिश की है मैनें कुछ हाले दिल लिखने की, उम्म

12 पाठक
31 रचनाएँ
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₹ 42/-

सुखनवर

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sangita kulkarni

यह किताब शेरो शायरी से संबधित है, जो आपको पसंद आएगी ! इसमें आपको शेरो शायरी की मेजवानी मिलेगी, जिसे पढकर आपका पेट तो भर जाएगा, पर मन नहीं ! आप बार बार पढना चाहोगे, इसमें आपको हर तरह की शायरी पढने मिलेगी, कोशिश की है मैनें कुछ हाले दिल लिखने की, उम्म

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मेरे मनोभाव

मेरे मनोभाव

Suraj Sharma'Master ji'

मेरी इस पुस्तक में मैंने मेरे भावों को शब्दों में पिरोया है। मैं एक शिक्षक का दायित्व निभाते हुए जीवन में जो अनुभव ले पाया उन्हीं अनुभवों और अहसासों को मैंने यहाँ मेरी रचनाओं में उकेरा है। आशा है आप सभी सुधी पाठकों को मेरा यह प्रयास पंसद आयेगा। कृपया

11 पाठक
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Suraj Sharma'Master ji'

मेरी इस पुस्तक में मैंने मेरे भावों को शब्दों में पिरोया है। मैं एक शिक्षक का दायित्व निभाते हुए जीवन में जो अनुभव ले पाया उन्हीं अनुभवों और अहसासों को मैंने यहाँ मेरी रचनाओं में उकेरा है। आशा है आप सभी सुधी पाठकों को मेरा यह प्रयास पंसद आयेगा। कृपया

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कलरव की गूंज

कलरव की गूंज

Pragya pandey

यह पुस्तक प्रकृति और जीवन से सम्बन्धित कविताओं को प्रस्तुत करती है । प्रकृति के अनुपम सौंदर्य को और जिंदगी के अनुभवों को काव्य के रूप में प्रस्तुत किया गया है ।अगर आप प्रकृति - प्रेमी हैं और जीवन के संघर्षों को काव्य के रूप में पढ़ना चाहते है तो यह

102 पाठक
26 रचनाएँ
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₹ 132/-

कलरव की गूंज

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Pragya pandey

यह पुस्तक प्रकृति और जीवन से सम्बन्धित कविताओं को प्रस्तुत करती है । प्रकृति के अनुपम सौंदर्य को और जिंदगी के अनुभवों को काव्य के रूप में प्रस्तुत किया गया है ।अगर आप प्रकृति - प्रेमी हैं और जीवन के संघर्षों को काव्य के रूप में पढ़ना चाहते है तो यह

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बनते बिगड़ते जमाने के रंग

बनते बिगड़ते जमाने के रंग

Praveen Mishra

सभी को सदर प्रणाम, कैंची साइकिल चलाने के सुख से शुरू हुई जीवन के इस उलटफेर में न दिन रुका न रात थमी। भगवान से ज्यादा शक्तिशाली समझने वाले लोगो ने भी अपने विकास के रफ्तार को दिन दूना रात चौगुना गति पकड़ने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। लेकिन अद

4 पाठक
13 रचनाएँ
1 लोगों ने खरीदा

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₹ 16/-

बनते बिगड़ते जमाने के रंग

बनते बिगड़ते जमाने के रंग

Praveen Mishra

सभी को सदर प्रणाम, कैंची साइकिल चलाने के सुख से शुरू हुई जीवन के इस उलटफेर में न दिन रुका न रात थमी। भगवान से ज्यादा शक्तिशाली समझने वाले लोगो ने भी अपने विकास के रफ्तार को दिन दूना रात चौगुना गति पकड़ने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। लेकिन अद

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खिचड़ी विप्लव देखा हमने

खिचड़ी विप्लव देखा हमने

वैद्यनाथ मिश्र 'नागार्जुन'

नागार्जुन के काव्य संग्रह खिचड़ी विप्लव देखा हमने का संकलन।

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26 रचनाएँ

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वैद्यनाथ मिश्र 'नागार्जुन'

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कविताएं और शेर

कविताएं और शेर

रिया सिंह सिकरवार " अनामिका "

बेहद प्यार

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39 पाठक
11 रचनाएँ

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कविताएं और शेर

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मनमीत

मनमीत

मीनाक्षी वर्मा

इस पुस्तक के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया गया है कि जीवन मूल्यों में सार्थक और अल्प शब्दों का प्रयोग करके अच्छे विचार प्रस्तुत किए जा सकते हैं | मेरा यह प्रथम संकलन समर्पित है उसको जिसके सानिध्य में रह कुछ मोती पाए हैं | आशा करती हूं कि आपका सहय

20 पाठक
81 रचनाएँ
4 लोगों ने खरीदा

ईबुक:

₹ 42/-

प्रिंट बुक:

166/-

मनमीत

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मीनाक्षी वर्मा

इस पुस्तक के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया गया है कि जीवन मूल्यों में सार्थक और अल्प शब्दों का प्रयोग करके अच्छे विचार प्रस्तुत किए जा सकते हैं | मेरा यह प्रथम संकलन समर्पित है उसको जिसके सानिध्य में रह कुछ मोती पाए हैं | आशा करती हूं कि आपका सहय

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परी सी हैं वो ..🧚🏻‍♀️

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रिया सिंह सिकरवार " अनामिका "

चाँद का टुकड़ा

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47 पाठक
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