नववर्ष पर अपनी स्वरचित कविता लिखिए
तुम्हें!शोहरत की हवस नेकुछ ऐसानशीला बना दिया कि सोहबत का तुम पर असर होता ही नहीं।नज़रें!बिक जाती रहीं अक्सर जब भीउठायीं प्रश्न तेरे नजरिये पर।तेरी नीयतबोल उठती रही स्पर्श से हीभाषा के भ
आज हम सब उन महान शख्सियत की बात करेंगे जो अक्सर हम सब उन सभी को न जाने क्यों याद नहीं करते न जाने क्यों उनके चर्च नहीं होते चलो हम मुद्दों से बाहर नहीं जाते मैं आप सभी से कुछ सवाल करूंगा मेरा पहला प्र
नए साल का नया सवेरामुझे देख फिर वो मुस्काया पिछले साल जो किए थे वादेकितने मैं पूरे कर पाया।उसके ये प्रश्न को सुनकरएक पल मैं भी मुस्काया फिर रुककर मैं लगा सोचनेकितने मैं पूरे कर पाया।शान्त चि
पृथक समय में वक़्त की, होय पृथक रफ़्तार, विपत्ति समय धीरे चले, सुख में झटपट पार । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"
भांति-भांति के रंग से, बना हुआ सँसार, जैसी नजर से देखिये, वैसा ले अवतार । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"
दृष्टि को व्यापक रखें, धारण करके मौन, ऐसे मानुष को भला, करे पराजित कौन। (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"
इक बेरुखी अफसाने.. बस कर धड़कनों में बहाने-बहाने, सर्वदा ही याद आए जो भूलने से भी ना भूलाएं। शायद खुदाई उपहार है। ये दिल का प्यार है। पूर्ति की बौछारें लगी हो, फिर भी। उनके बिना जिंदगी हमसे जिया
सूरज की नई किरण संग,आया नववर्ष का उजाला।हर दिन हो सुख-शांति से भरपूर,हर पल मुस्कान वाला।बीते दुखों को कर विदा,सपनों को दो नए पंख।आशा का दीप जलाएं,हर ओर फैले उमंग।स्नेह, सहयोग, प्रेम का बंधन,और हो गहरा
नये साल में कुछ नया नया हो तो अच्छा लगे,किसी के जख्म पर मरहम लगाये तो अच्छा लगे।जात-पात, ऊंच- नीच, तेरा-मेरा का भेद मिटाकर, हम सब मिलकर एक हो जाए तो अच्छा लगे।सबकी जिंदगी में खुशियां और मुस्कुराह