ठेले पर हिमालय डॉ० धर्मवीर भारती द्वारा लिखित यात्रावृत्तांत श्रेणी का संस्मरणात्मक निबंध है। इसमें लेखक ने नैनीताल से कौसानी तक की यात्रा का रोचक वर्णन किया है। इस निबंध के माध्यम से लेखक ने जीवन के उच्च शिखरों तक पहुँचने का जो संदेश दिया है, वह भी
ठेले पर हिमालय डॉ० धर्मवीर भारती द्वारा लिखित यात्रावृत्तांत श्रेणी का संस्मरणात्मक निबंध है। इसमें लेखक ने नैनीताल से कौसानी तक की यात्रा का रोचक वर्णन किया है। इस निबंध के माध्यम से लेखक ने जीवन के उच्च शिखरों तक पहुँचने का जो संदेश दिया है, वह भी
मुंबई एक ऐसा शहर है जो सभी को अपने आगोश में समेट लेता है लेकिन ज़ब आप मुंबई के होना चाहते है तो आपको अपनी पहचान छोड़नी पड़ती है तभी आप मुंबई के हो सकते है. ये एक सचित्र पुस्तक है.
मुंबई एक ऐसा शहर है जो सभी को अपने आगोश में समेट लेता है लेकिन ज़ब आप मुंबई के होना चाहते है तो आपको अपनी पहचान छोड़नी पड़ती है तभी आप मुंबई के हो सकते है. ये एक सचित्र पुस्तक है.
नेपाल विदेश यात्रा (26 मई 2022 से 3 जून 2022) विदेश भ्रमण की मेरी दिली तमन्ना बहुत पहले से ही थी। हालांकि गत वर्ष 2021 की दिसम्बर के अंतिम सप्ताह में मुझे मालदीव जाने का मौका मिला था किंतु पासपोर्ट नहीं बन पाने के कारण इस विदेश या
नेपाल विदेश यात्रा (26 मई 2022 से 3 जून 2022) विदेश भ्रमण की मेरी दिली तमन्ना बहुत पहले से ही थी। हालांकि गत वर्ष 2021 की दिसम्बर के अंतिम सप्ताह में मुझे मालदीव जाने का मौका मिला था किंतु पासपोर्ट नहीं बन पाने के कारण इस विदेश या
यह संस्कृत में 'कृष्णमिश्र' द्वारा रचित 'प्रबोधचन्द्रोदय' नाटक के तीसरे अंक का अनुवाद है। (4) धनंजय विजय – 1873 ई. - यह संस्कृत के 'कांचन' कवि द्वारा रचित 'धनंजय विजय' नाटक का हिन्दी अनुवाद है।
यह संस्कृत में 'कृष्णमिश्र' द्वारा रचित 'प्रबोधचन्द्रोदय' नाटक के तीसरे अंक का अनुवाद है। (4) धनंजय विजय – 1873 ई. - यह संस्कृत के 'कांचन' कवि द्वारा रचित 'धनंजय विजय' नाटक का हिन्दी अनुवाद है।
विश्वधरोहर विश्वधरोहर यूं ही नहीं कहलाता कोई खजुराहो । जो स्थल है महत्वपूर्ण धरा का यूं ही नहीं महत्वपूर्ण कहलाता है । जब आप व्यतीत करेंगे कोई एक सांझ धरा के इस भूभाग में । स्वच्छंद स्वतंत्र निर्विकार आप प्रत्यक्ष अनुभव कर सकेंगे अनुभूतियां
विश्वधरोहर विश्वधरोहर यूं ही नहीं कहलाता कोई खजुराहो । जो स्थल है महत्वपूर्ण धरा का यूं ही नहीं महत्वपूर्ण कहलाता है । जब आप व्यतीत करेंगे कोई एक सांझ धरा के इस भूभाग में । स्वच्छंद स्वतंत्र निर्विकार आप प्रत्यक्ष अनुभव कर सकेंगे अनुभूतियां
एक संवाद लगातार बना रहता है अकेली यात्राओं में। मैंने हमेशा उन संवादों के पहले का या बाद का लिखा था... आज तक। ठीक उन संवादों को दर्ज करना हमेशा रह जाता था। इस बार जब यूरोप की लंबी यात्रा पर था तो सोचा, वो सारा कुछ दर्ज करूँगा जो असल में एक यात्री अपन
एक संवाद लगातार बना रहता है अकेली यात्राओं में। मैंने हमेशा उन संवादों के पहले का या बाद का लिखा था... आज तक। ठीक उन संवादों को दर्ज करना हमेशा रह जाता था। इस बार जब यूरोप की लंबी यात्रा पर था तो सोचा, वो सारा कुछ दर्ज करूँगा जो असल में एक यात्री अपन
अजय सोडानी की किताब 'दरकते हिमालय पर दर-ब-दर’ इस अर्थ में अनूठी है कि यह दुर्गम हिमालय का सिर्फ़ एक यात्रा-वृत्तान्त भर नहीं है, बल्कि यह जीवन-मृत्यु के बड़े सवालों से जूझते हुए वाचिक और पौराणिक इतिहास की भी एक यात्रा है। इस पुस्तक को पढ़ते हुए बार-बार
अजय सोडानी की किताब 'दरकते हिमालय पर दर-ब-दर’ इस अर्थ में अनूठी है कि यह दुर्गम हिमालय का सिर्फ़ एक यात्रा-वृत्तान्त भर नहीं है, बल्कि यह जीवन-मृत्यु के बड़े सवालों से जूझते हुए वाचिक और पौराणिक इतिहास की भी एक यात्रा है। इस पुस्तक को पढ़ते हुए बार-बार
एक दुनिया जो हमारे इर्द-गिर्द होती है, जहाँ हम रहते हैं, हमारे कम्फ़र्ट ज़ोन की दुनिया और एक दुनिया उससे कहीं दूर- हमारे सपनों की दुनिया। लेकिन उस दूसरी दुनिया तक पहुँचना इतना आसान नहीं होता।वहाँ पहुँचने के लिए कुछ सीमाएँ लाँघनी पड़ती हैं,पार करने होते
एक दुनिया जो हमारे इर्द-गिर्द होती है, जहाँ हम रहते हैं, हमारे कम्फ़र्ट ज़ोन की दुनिया और एक दुनिया उससे कहीं दूर- हमारे सपनों की दुनिया। लेकिन उस दूसरी दुनिया तक पहुँचना इतना आसान नहीं होता।वहाँ पहुँचने के लिए कुछ सीमाएँ लाँघनी पड़ती हैं,पार करने होते
◆●【इश्क़ और इत्तफ़ाक!】●◆ "इश्क़ और इत्तफ़ाक!" इश्क़ में इत्तफ़ाक की भूमिका बेहद अहम् होती है। इश्क़ में इत्तफ़ाक वही किरदार निभाता है, जो कुछ अब्द से ख़ाली पड़े मकान में एक किरायदार निभाता है। ये इत्तफ़ाक किसी मकान के किरायदार की तरह होता तो क
◆●【इश्क़ और इत्तफ़ाक!】●◆ "इश्क़ और इत्तफ़ाक!" इश्क़ में इत्तफ़ाक की भूमिका बेहद अहम् होती है। इश्क़ में इत्तफ़ाक वही किरदार निभाता है, जो कुछ अब्द से ख़ाली पड़े मकान में एक किरायदार निभाता है। ये इत्तफ़ाक किसी मकान के किरायदार की तरह होता तो क
करौली जिले में अवस्थित कैला मैया के दरबार में हाजिरी लगाने और पौत्र शिवांश का रजिस्ट्रेशन बीजासनी माता के यहां करवाने को लेकर यह यात्रा दुर्गाष्टमी के दिन शुरू की थी जो रामनवमी को समाप्त हुई । इस यात्रा का वृत्तांत इस रचना में प्रस्तुत कर रहा हूँ ।
करौली जिले में अवस्थित कैला मैया के दरबार में हाजिरी लगाने और पौत्र शिवांश का रजिस्ट्रेशन बीजासनी माता के यहां करवाने को लेकर यह यात्रा दुर्गाष्टमी के दिन शुरू की थी जो रामनवमी को समाप्त हुई । इस यात्रा का वृत्तांत इस रचना में प्रस्तुत कर रहा हूँ ।
बात 1995 के फरवरी की है, जब मैंने ग्वालियर से खजुराहो तक की यात्रा साइकिल से की थी- अकेले। लौटते समय मैं ओरछा और दतिया भी गया था। कुल 8 दिनों में भ्रमण पूरा हुआ था और कुल-मिलाकर 564 किलोमीटर की यात्रा मैंने की थी। इसे एक तरह का सिरफिरापन, दुस्साहस
बात 1995 के फरवरी की है, जब मैंने ग्वालियर से खजुराहो तक की यात्रा साइकिल से की थी- अकेले। लौटते समय मैं ओरछा और दतिया भी गया था। कुल 8 दिनों में भ्रमण पूरा हुआ था और कुल-मिलाकर 564 किलोमीटर की यात्रा मैंने की थी। इसे एक तरह का सिरफिरापन, दुस्साहस
मैं उस आदमी से दूर भागना चाह रहा था जो लिखता था। बहुत सोच-विचार के बाद एक दिन मैंने उस आदमी को विदा कहा जिसकी आवाज़ मुझे ख़ालीपन में ख़ाली नहीं रहने दे रही थी। मैंने लिखना बंद कर दिया। क़रीब तीन साल कुछ नहीं लिखा। इस बीच यात्राओं में वह आदमी कभी-कभी मेर
मैं उस आदमी से दूर भागना चाह रहा था जो लिखता था। बहुत सोच-विचार के बाद एक दिन मैंने उस आदमी को विदा कहा जिसकी आवाज़ मुझे ख़ालीपन में ख़ाली नहीं रहने दे रही थी। मैंने लिखना बंद कर दिया। क़रीब तीन साल कुछ नहीं लिखा। इस बीच यात्राओं में वह आदमी कभी-कभी मेर