अँधेर नगरी प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार भारतेंदु हरिश्चंद्र का सर्वाधिक लोकप्रिय नाटक है। ६अंकों के इस नाटक में विवेकहीन और निरंकुश शासन व्यवस्था पर करारा व्यंग्य करते हुए उसे अपने ही कर्मों द्वारा नष्ट होते दिखाया गया है। 'अंधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर
कुछ चीजें अनुभव से भी परे होती हैं। कभी-कभी अनुभव की ये पोटली गलत भी साबित हो जाती है। जिन चीजों का अनुभव भी नहीं उन्हीं यादों के अधूरे पन्नो को कविताओं के रूप में लाने का एक प्रयास !
लोगो के पूर्व में दिए हुए प्यार, स्नेह और ऊर्जा को आधार बनाकर एक बार फिर कुछ रचनाएँ आपके हवाले कर रहा हूँ। रचनाएँ अच्छी बनी हैं या बुरी, ये तो पाठक ही तय करेंगे, मगर इतना जरूर कह सकता हूँ कि इन्हें लिखने, सुधारने और सँवारने में मैंने अपना सबकुछ झोंक
मुक्तक-संसार के अटूट पथ पर कुर्सी कंचन कामिनी"मुक्तक संग्रह" एक अदना से कंकण के समान पथ समृद्धि में अपना योगदान दे और समस्त मानव इसके आनन्द-सागर से कुछ संग्रहित कर सके इस हेतु एक छोटा सा प्रयास आपकी सेवा में। आपका गिरिजा शंकर तिवारी "शाण्डिल्य"
किस्सा है अमरावती का, वैसे अमरावती अभी तो 72 वर्ष की है पर यह घटना पुरानी है।
यह कहानी एक गांव की लड़की की है ,जो बहुत ही चंचल स्वभाव की है उसके पैर घर में बिल्कुल भी नहीं टिकते हैं । शहर क्या होता है यह मानवी नहीं जाती है । बच्चों में बच्ची बन जाती है ,तो कभी बड़ों में दादी मां की तरह बात करने लग जाती है । व
आपकी दोस्ती जो मिला प्यार आपसे उसका कर्जदार हू आपकी दोस्ती का शुक्रगुजार हू । अगर आपलोग ना आते जीवन में लिखना, गाना ,रूठना मनाना सब अधूरा रह जाता जिंदगी तो यूंही कट रही थी पर आप सभी के साथ आने से से खिल गया किस्मत का फूल अब महकेंगे
Namskar ये रचनायें एक कल्पनिक दृष्टिकोण से लिखी गई। किसी प्रकार से किसी को ठेस नहीं पहुंचना चाहती हैं। बस लोगो के मनोरंजन के लिए लिखी गई। हमे उम्मीद हैं दर्शक इस किताब को पढ़ जरूर लुफ्त उठायेगे।
कुछ बेहतरीन कविताओं का संग्रह
अमृत लाल नागर 1932 में निरंतर लेखन किया। अमृतलाल नागर हिन्दी के उन गिने-चुने मूर्धन्य लेखकों में हैं जिन्होंने जो कुछ लिखा है वह साहित्य की निधि बन गया है। सभी प्रचलित वादों से निर्लिप्त उनका कृतित्व और व्यक्तित्व कुछ अपनी ही प्रभा से ज्योतित है उन्ह
राजनैतिक, सामाजिक, पारिवारिक और अन्यविषयों से संबंधित हास्य व्यंग्य की रचनाओं का एक संकलन ।
हास्य-व्यंग्य पर आधारित लिखे मेरे प्रसंग
विभिन्न विषयों पर हंसने हंसाने वाली कविताएं इस किताब में मिलेंगी
सरकारी कार्य प्रणाली किस तरह कार्य करती है । एक कलेक्टर किस तरह व्यवस्था को सुधारना चाहता है लेकिन पूरी व्यवस्था ही उस कलेक्टर को "सुधार" देती है । इस प्रक्रिया में विधायक जी की भूमिका भी बड़ी शानदार रहती है । इन सबको हास्य व्यंग्य के रूप में इस कहा
जीवन में किसी के अधरों पर मुस्कान लाने से श्रेष्ठ और कोई काम नहीं हो सकता है । इस किताब के माध्यम से मैंने एक छोटा सा प्रयास किया है । आशा है कि यह किताब पाठकों को पसंद आयेगी
एक शौचालय राशि कि चाहत रखने वाले आम आदमी कि लघु कथा।