बहुत समय पहले की बात है, रामपुर गांव में ननकू और उसकी पत्नी गुलाबवती रहते थे। ननकू को जमींदार के खेतों पर काम करक जो रूखा-सूखा मिलता था, उससे ही गुजारा चलता था। उसकी पत्नी गुलाबवती भगवान शिव की अनन्य भक्त थी, शिव के आर्शीवाद से ही बांकेलाल का जन्म हु
यह कॉमिक्स हमारी राष्ट्रीय नदी- गंगा के महत्त्व को खूबसूरत तरीके से प्रदर्शित करती है। इसके अतिरिक्त, गंगा महोत्सव, नदियों की उपयोगिता, इनका इतिहास, इनकी पवित्रता, संस्कार इत्यादि के विषय में इस नई युवा पीढ़ी को अवगत कराया गया है। यह कॉमिक, चाचा चौधर
एक शिक्षाप्रद कॉमिक एक दिन पढ़ना - आपकी मानसिकता को एक लाख तरीके से बदल सकता है # टॉकिंग कॉमिक्स" हम किसके लिए बात कर रहे हैं? चाचा चौधरी और मेंस्ट्रुएशन हाइजीन मैनेजमेंट कॉमिक बड़ी हो रही लड़कियों के लिए एक संपूर्ण गाइड बुक है, जो उस उम्र में युवा
काटूर्ननिस्ट प्राण ने एक बूढ़े सज्जन व्यत्तिफ़ की कल्पना की, जो अपनी तीव्र बुद्धिमत्ता से समस्याओं का समाधान करता हो। इस प्रकार चाचा चौधरी का उदय 1971 में हुआ। बृहस्पति ग्रह के लंबे और हट्टे-कट्टे निवासी साबू ने चाचा चौधरी का जबर्दस्त साथ दिया। बुद्ध
जापान की चर्चित माँगा चित्रकला की प्रसिद्ध रचनाकार कोनो फुमियो की विख्यात चित्रकथा 'नीरव संध्या का शहर : साकुरा का देश' का हिन्दी अनुवाद अब हिन्दी साहित्य जगत की एक कड़ी बनने के लिए इच्छुक है। अभी तक इस पुस्तक का अनुवाद कोरिया, ताइवान, इंगलैंड, अमेरि
चूंकि, हमारे पास क्रिस्टल बॉल नहीं है, इसलिए भविष्य की सटीक भविष्यवाणी करना असंभव है! यह विशेष रूप से सच है, जब निवेश, अचल संपत्ति, ब्याज दरों, मुद्रास्फीति के दबाव, सरकारी कार्यों, अंतरराष्ट्रीय कारकों आदि सहित आर्थिक मुद्दों की बात आती है। मुद्रास्
लेखक - रोहन विश्वकर्मा कोपिराईट© - 2022 चकरा कोमिक्स All Rights Reserved. चेतावनी यहा दिखाई गये सभी पात्र काल्पनिक है, यदी किसी पात्र से आपका नाम या कुछ भी समान है तो , यह महज एक संयोग है, और इससे ज्यादा कुछ नहीं। केरेक्टर्स - 1.आर्यभट्ट - Captai
6 दोस्त होते जो जंगल एडवेंचर्स में जाते हैं । जो एक आईलैंड होता हे जिसमे उनके कोच घूमने ले जाते हे ओर आईलैंड मे कुछ बहुत बड़ी दुर्घटना हो जाती हे ओर वहा से सभी लोग निकल जाते हे लेकिन 6 दोस्त वाही फस जाते हे अब वो वहा से क़ई मुश्किलों से ब कर निकलते हे।
मैं पागलों की तरह उसे देख रही थी। उसके लब्ज़ कानों में गूँज रहे थे और जबान सच में मुझेहाँह में चिपक गई थी। शादी को एक दिन भी पूरा नहीं हुआ था और झुबेर से ऐसा कुछ सुनने को मिलेगा, मैं सोच भी नहीं सकती थी। मुझे तो क था कि झुबेर कभी भी मेरा दिल नहीं दुखा